फेसबुक चुराता है डेटा, इस बात से अनजान हैं तीन चौथाई यूजर
फेसबुक का कहना है कि इसकी मदद से यूजर अपने प्रोफाइल पर दिख रहे विज्ञापनों को नियंत्रित कर सकता है।
वाशिंगटन, द न्यूयॉर्क टाइम्स। फेसबुक के साथ अन्य सोशल मीडिया वेबसाइट पिछले कुछ समय से बिना अनुमति के अपने यूजर्स की निजी जानकारियां जुटाने और उन्हें विज्ञापनदाताओं को बेचने के लिए सवालों के घेरे में हैं। इसके चलते कई बार फेसबुक को यूजर्स की निजता सुरक्षित करने और साइट की पारदर्शिता बढ़ाने के लिए कदम भी उठाने पड़े हैं। हालांकि फेसबुक के तीन चौथाई यूजर अब भी इस बात से अनजान हैं कि सोशल साइट उनकी निजी जानकारियों और रचि का ब्योरा रख रही है।
वाशिंगटन स्थित प्यू रिसर्च सेंटर (पीआरसी) ने पिछले साल चार सितंबर से एक अक्टूबर के बीच फेसबुक पर प्रोफाइल बनाने वाले 963 अमेरिकियों के बीच कराए गए अध्ययन के बाद यह जानकारी दी है। सभी प्रतिभागियों को उनके फेसबुक प्रोफाइल पर मौजूद 'एड प्रिफरेंस' पेज भी दिखाया गया था। इस पेज पर वह सारी जानकारी होती है जिससे यूजर जान सकता है कि उसे कोई भी विज्ञापन लगातार क्यों दिखाई दे रहा है? फेसबुक का कहना है कि इसकी मदद से यूजर अपने प्रोफाइल पर दिख रहे विज्ञापनों को नियंत्रित कर सकता है।
अध्ययन के दौरान आधे से अधिक प्रतिभागी इस पेज पर मौजूद अपनी निजी जानकारियों से सहज नहीं थे। पीआरसी ने कहा, 'लोग अब भी इस बारे में जागरूक नहीं हैं कि फेसबुक पर उनके क्रियाकलापों के आधार पर उनकी निजी जानकारियां इकट्ठी की जाती हैं। उन्हें नहीं मालूम कि इस सूची को 'एड प्रिफरेंस' में संकलित किया जाता है। यह चिंता का विषय है।'
आपके हर क्लिक का हिसाब फेसबुक के पास फेसबुक इस्तेमाल करते हुए आप किस लिंक पर क्लिक करते हैं, कौन से लेख शेयर करते हैं या क्या लिखते हैं, इन सब पर उसकी नजर रहती है। कंपनी यह तक जान लेती है कि आपका राजनीतिक झुकाव किस ओर है? आप एशियाई हैं या अफ्रीकी या कौन से समुदाय से आपकी संवेदना है, यह सारी जानकारी विज्ञापनदाताओं को दे दी जाती है जिससे आपके पेज पर आपको अपनी रचि के मुताबिक विज्ञापन दिखने लगते हैं। इस तरह के विज्ञापनों से फेसबुक हर साल करीब 40 अरब डॉलर (करीब 2.86 लाख करोड़ रूपए) की कमाई करता है।