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फेसबुक पर 3500 करोड़ डॉलर का मुकदमा, 70 लाख लोगों को देना होगा हर्जाना

सैन फ्रांसिस्को में नौ सर्किट वाले न्यायाधीशों की तीन न्यायाधीशीय पैनल ने फेसबुक की याचिका को खारिज कर दिया है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Sun, 20 Oct 2019 08:18 AM (IST)Updated: Sun, 20 Oct 2019 08:18 AM (IST)
फेसबुक पर 3500 करोड़ डॉलर का मुकदमा, 70 लाख लोगों को देना होगा हर्जाना
फेसबुक पर 3500 करोड़ डॉलर का मुकदमा, 70 लाख लोगों को देना होगा हर्जाना

सैन फ्रांसिस्को, आइएएनएस। अमेरिका की एक अदालत ने फेसबुक द्वारा अपने बचाव में दायर याचिका को खारिज कर दिया है। उस पर इलिनोइस के नागरिकों के फेशियल रिकग्निशन संबंधी डाटा के कथित दुरुपयोग के खिलाफ 3500 करोड़ डॉलर (करीब ढाई लाख करोड़ रुपये) क्लास-एक्शन मुकदमा दायर किया गया था।

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टेकक्रंच की रिपोर्ट के अनुसार, सैन फ्रांसिस्को में नौ सर्किट वाले न्यायाधीशों की तीन न्यायाधीशीय पैनल ने फेसबुक की याचिका को खारिज कर दिया है। अगर सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप नहीं किया तो अब मामले की सुनवाई होगी।

टेकक्रंच की रिपोर्ट के मुताबिक, मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि इलिनोइस के नागरिकों ने अपलोड किए गए अपने फोटो के फेशियल रिकग्निशन संबंधित स्कैन करने की अनुमति नहीं दी और न ही उन्हें इस बात की जानकारी दी गई थी कि 2011 में मैपिंग शुरू होने पर डाटा कितनी देर तक सुरक्षित रहेगा। फेसबुक को 70 लाख लोगों को प्रतिव्यक्ति 1000 से 5000 डॉलर हर्जाने के तौर पर देना होगा, ऐसे में उस पर लगे हर्जाने की राशि 3500 करोड़ डॉलर तक होगी।

फेसबुक ने साल 2011 में फेशियल रिकग्निशन संबंधित स्कैन तकनीक का इस्तेमाल किया था, जिसमें फेसबुक के यूजर्स से पूछा जाता है कि उनके द्वारा अपलोड की गई तस्वीर में जो लोग टैग किए गए हैं, उन्हें वे जानते हैं या नहीं। न्यायधीशों ने कहा, 'फेशियल रिकग्निशन संबंधित स्कैन तकनीक लोगों की निजता पर हमला है।' कोर्ट के कागजात के अनुसार, 'फेसबुक की फेशियल रिकग्निशन तकनीक इलिनोइस के बायोमेट्रिक इंफरमेशन प्राइवेसी एक्ट (बीआईपीए) का उल्लंघन करता है।' फेसबुक ने हमेशा लोगों को फेस रिकग्निशन तकनीक के उपयोग के बारे में बताया है। इस बारे में फेसबुक ने बयान दिया है कि फेसबुक ने हमेशा लोगों को फेस रिकग्निशन तकनीक के उपयोग के बारे में बताया है और उन्हें इसे नियंत्रित करने के बारे में भी बताया गया है।

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