फोन निर्माताओं से डाटा शेयरिंग को निजता का उल्लंघन नहीं मानता फेसबुक
अखबार का कहना है कि कैंब्रिज एनालिटिका द्वारा लगभग नौ करोड़ उपभोक्ताओं के डाटा चुराने के साथ-साथ फेसबुक का कंपनियों के साथ करार उसके व्यवहार को दिखाता है।
वाशिंगटन [प्रेट्र]। उपभोक्ताओं की डाटा चोरी का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि फेसबुक एक और विवाद में घिर गया है। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इसने 60 फोन निर्माता कंपनियों के साथ उपभोक्ताओं, यहां तक कि उसके मित्रों का डाटा साझा करने का करार किया हुआ है। खबरों के मुताबिक, 2004 में स्थापना के बाद से फेसबुक ने लगातार फोन निर्माता कंपनियों के साथ डाटा साझा करने का समझौता किया है। इनमें एप्पल, अमेजन, ब्लैकबेरी, माइक्रोसॉफ्ट और सैमसंग जैसी कंपनियां शामिल हैं। फेसबुक ने इन कंपनियों के साथ डाटा साझा करना उसी समय शुरू कर दिया था, जब स्मार्ट फोनों पर उसके एप व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं थे।
फेसबुक ने फोन निर्माता कंपनियों को अपने उपभोक्ताओं और उनके मित्रों के डाटा की जानकारी दी। यह काम उसने बगैर उनकी सहमति के किया। यह घोषणा करने के बाद भी कि वह बाहरी कंपनियों को ज्यादा दिनों तक डाटा मुहैया नहीं कराएगा, उसने यह काम जारी रखा। न्यूयॉर्क टाइम्स का कहना है कि इस करार से फेसबुक को दुनियाभर में अपने पैर पसारने में मदद मिली।
फोन निर्माताओं के सुझावों के बाद इसने लाइक बटन, एड्रेस बुक और मैसेजिंग जैसे फीचर जोड़े। अखबार का कहना है कि कैंब्रिज एनालिटिका द्वारा लगभग नौ करोड़ उपभोक्ताओं के डाटा चुराने के साथ-साथ फेसबुक का कंपनियों के साथ करार उसके व्यवहार को दिखाता है। उल्लेखनीय है कि सोशल मीडिया का बड़ा मंच होने के कारण दुनियाभर में इसके करोड़ों उपभोक्ता है।
जानिए कैंब्रिज एनालिटिका के बारे में
कैंब्रिज एनालिटिका रक्षा क्षेत्र से जुड़े एससीएल ग्रुप का हिस्सा है। यह ब्रिटेन की एक बड़ी डाटा अनैलेसिस कंपनी है। कंपनी राजनीतिक और कॉर्पोरेट ग्राहकों को उपभोक्ता रिसर्च से लेकर, डाटा एनालिसिस की सेवाएं देती है। ये कंपनी चर्चा में तब आई जब इसने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डॉनल्ड ट्रंप के लिए काम किया था।
क्या है कैंब्रिज एनालिटिका से जुड़ा विवाद
उल्लेखनीय है कि फेसबुक के 8.7 करोड़ यूजर्स का डाटा चोरी कर राजनीतिक फायदे के लिए उसका उपयोग करने के आरोप लगने के बाद से कैंब्रिज एनालिटिका कंपनी विवादों में है। कैंब्रिज एनालिटिका पर फेसबुक के करोड़ों यूजर्स की निजी जानकारी का दुरुपयोग करने का आरोप है। कैंब्रिज एनालिटिका ने 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में डोनाल्ड ट्रंप के लिए काम किया था। कंपनी ने फेसबुक यूजर्स की जानकारी का इस्तेमाल अमेरिकी चुनाव में वोटरों को प्रभावित करने के लिए किया। हाल ही में कंपनी पर यह भी आरोप लगा था कि उसने 2014 में भारत के आम चुनावों को भी प्रभावित किया था। फेसबुक ने भी स्वीकार किया था कि करोड़ो यूजर्स के डेटा में कैंब्रिज एनालिटिका ने सेंध लगाई थी। भारत सरकार ने इस मामले में कड़ा एतराज जताते हुए फेसबुक पर कार्रवाई की बात कही थी।
बचाव में फेसबुक ने कहा निजता का उल्लंघन नहीं
फोन निर्माता कंपनियों के साथ डाटा साझा करने की जानकारी सामने आने के बाद फेसबुक ने अपने बचाव में कहा है कि इससे किसी की निजता का उल्लंघन नहीं हुआ है। फेसबुक के उपाध्यक्ष इम आर्किबोंग ने एक बयान जारी कर कहा कि सहयोगी कंपनियों ने उपभोक्ताओं की सहमति से ही उनका डाटा हासिल किया है। उनकी सहमति के बगैर यह काम नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि मोबाइल फोन के शुरुआती दौर में फेसबुक की मांग ने निर्माता कंपनियों को इसके लिए प्रेरित किया था। वे ऐसा फोन बनाना चाहते थे कि हर फोन पर फेसबुक उपलब्ध हो। अब तो यह याद करना भी मुश्किल है, लेकिन उस जमाने में एप स्टोर नहीं हुआ करते थे। ऐसे में फेसबुक, गूगल, यूट्यूब और ट्विटर को अपने प्रचार-प्रसार के लिए सीधे फोन निर्माता कंपनियों के साथ मिलकर काम करना पड़ता था।