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80 लाख साल पहले सुपरनोवा की वजह से हमारे पूर्वजों ने की थी दो पैरों पर चलने की शुरुआत

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अध्ययन के आधार पर किया दावा 80 लाख साल पहले सुपरनोवा की वजह से हमारे पूर्वजों ने की थी खड़े होकर चलने की शुरुआत।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 30 May 2019 11:30 AM (IST)Updated: Thu, 30 May 2019 11:30 AM (IST)
80 लाख साल पहले सुपरनोवा की वजह से हमारे पूर्वजों ने की थी दो पैरों पर चलने की शुरुआत
80 लाख साल पहले सुपरनोवा की वजह से हमारे पूर्वजों ने की थी दो पैरों पर चलने की शुरुआत

वाशिंगटन, प्रेट्र। ब्रह्मांड में अनगिनत ऐसी घटनाएं समय-समय पर घटित हुई हैं, जिनके परिणामस्वरूप मानव जाति लगातार विकसित होती गई। इस विकासक्रम में एक अहम पड़ाव है मानव का दो पैरों पर चलना। अब एक नवीन अध्ययन में बताया गया है कि किस तरह मानव ने दो पैरों पर सीधे खड़े होकर चलने की शुरुआत की। अध्ययन में दावा किया गया है कि 80 लाख वर्ष पूर्व सुपरनोवा द्वारा कॉस्मिक एनर्जी (ब्रह्मांडीय ऊर्जा) की बमबारी ने कई घटनाओं की शृंखला शुरू की थी, जिसके कारण प्राचीन मानव ने दो पैरों पर गति आरंभ की थी।

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जियोलॉजी नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि सुपरनोवा ने निचले वायुमंडल में इलेक्ट्रॉन्स के हिमस्खलन की शुरुआत की थी। इस वायुमंडलीय आयनीकरण ने संभवत: बादलों से जमीन पर प्रकाश को तीव्र गति से भेजा, जिससे दुनियाभर के जंगलों में आग लग गई। पूर्वोत्तर अफ्रीका के जंगल आग की वजह से बड़े मैदानों में बदल गए। शोधकर्ताओं का कहना है कि आग और उसके चलते मैदानों का बनना भी एक प्रमुख कारण हो सकता है, जिसकी वजह से होमो सेपियन्स के पूर्वजों में दो पैर विकसित हुए।

अमेरिका स्थित कंसास यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर एड्रियन मेलोट का कहना है कि ऐसा माना जाता है कि इस घटना से पहले ही प्राचीन मानवों में दो पैरों पर चलने की प्रवृत्ति थी, लेकिन तब वे दो पैरों का इस्तेमाल पेड़ों पर चढ़ने के लिए करते थे। बड़े मैदान बन जाने के बाद एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर जाने के बजाए उनके पास घास के मैदान उपलब्ध थे। इसके परिणाम स्वरूप उन्होंने सीधे खड़े होकर चलने की शुरुआत की। सीधे खड़े होकर चलने से वे घास के ऊपर से देख सकते थे और शिकारियों को भी देखने में सक्षम हो गए।

ऐसा माना जाता है कि इन मैदानों की वजह से ही दो पैर विकसित हुए, जिसके परिणामस्वरूप प्राचीन मानव और ज्यादा प्रभावी होते गए। एड्रियन कहते हैं कि आमतौर पर निचले वायुमंडल में आयनीकरण नहीं मिलता है, क्योंकि ब्रह्मांडीय किरणें वहां तक नहीं पहुंच पाती हैं, लेकिन सुपरनोवा से अधिक ऊर्जावान किरणें निकलती हैं, जिसके चलते इलेक्ट्रॉन्स निचले वायुमंडल में पहुंचे और उपरोक्त घटनाक्रम की शुरुआत की।

दुनियाभर में उथल-पुथल की शुरुआत

शोधकर्ताओं ने संभावना जताई है कि जंगलों में लगी आग के कारण दुनियाभर में उथल-पुथल की शुरुआत हुई थी। मिट्टी में जमा कार्बन के अध्ययन से वे ब्रह्मांडीय ऊर्जा की बमबारी के समय से मेल खाते हैं। एड्रियम के मुताबिक, हमारे अध्ययन धरती पर कुछ लाख साल पहले बहुत अधिक चारकोल और कालिख की शुरुआत होने की पुष्टि करते हैं। समय के मिलान के आधार पर हम कह सकते हैं कि सुपरनोवा की वजह से ब्रह्मांडीय ऊर्जा की जो बमबारी हुई थी, उसकी वजह से कई घटनाएं घटीं और मनुष्य दो पैरों पर खड़ा होने में कामयाब हो सके।

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