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अब स्पेस में ज्यादा समय बिता पाएगें अंतरिक्ष यात्री, वापसी को भी आसान करेगा व्यायाम

अंतरिक्ष में समय बिताने के बाद वापसी के समय चक्कर और बेहोशी की समस्या होती है रोजाना दो घंटे व्यायाम से इससे निजात पाया जा सकता है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Wed, 24 Jul 2019 10:37 AM (IST)Updated: Wed, 24 Jul 2019 10:37 AM (IST)
अब स्पेस में ज्यादा समय बिता पाएगें अंतरिक्ष यात्री, वापसी को भी आसान करेगा व्यायाम
अब स्पेस में ज्यादा समय बिता पाएगें अंतरिक्ष यात्री, वापसी को भी आसान करेगा व्यायाम

ह्यूस्टन, प्रेट्र। अंतरिक्ष यात्रियों के लिए उड़ान भरना तो आसान है पर अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहना और वापसी सबसे चुनौती पूर्ण मानी जाती है, क्योंकि अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव शून्य हो जाता है। शरीर सुचारु रूप से काम करे इसके लिए गुरुत्वाकर्षण भी जरूरी है क्योंकि इससे रक्त संचार में बाधा नहीं आती। जब अंतरिक्ष यात्री वापस धरती की ओर आते हैं तो गुरुत्वाकर्षण के खिंचाव के कारण अक्सर वह बेहोश हो जाते हैं।

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इस समस्या से निजात पाने के लिए शोधकर्ताओं ने एक ऐसा साधारण तरीका बताया है जिससे अंतरिक्ष यात्री स्पेस में लंबा समय बिताने के साथ ही आसानी से पृथ्वी पर लौट सकते हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि इसके लिए अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में अपने 24 घंटे की गतिविधियों में से कम से कम दो घंटे व्यायाम के लिए निकालने होंगे। इससे न सिर्फ उनकी रक्तवाहिनियां ठीक से काम करेंगी, बल्कि हड्डियां और मांशपेशियां भी मजबूत होंगी।

अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास (यूटी) के साउथवेस्टर्न मेडिकल सेंटर में प्रोफेसर बेंजामिन लेविन ने कहा कि मानवयुक्त अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत के बाद से सबसे बड़ी समस्या अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी में होती है क्योंकि नीचे की ओर आने पर बेहोश होने के खतरा बना रहता है। उन्होंने कहा कि जितनी ज्यादा देर तक हम गुरुत्वाकर्षण-मुक्त वातावरण में रहेंगे, उतना ही अधिक बेहोशी का जोखिम बना रहता है।

टेक्सास के हेल्थ प्रेस्बिटेरियन हॉस्पिटल में इंस्टीट्यूट फॉर एक्सरसाइज एंड इंवायरमेंटल मेडिसिन के निदेशक लेविन ने कहा कि इसी समस्या के चलते अंतरिक्ष कार्यक्रमों का समय सीमित रखा जाता है पर यह स्थिति कुछ खास लोगों में ही देखी जाती है। उन्होंने कहा कि जब भी कोई व्यक्ति सोकर या बैठने के बाद उठता है तो मस्तिष्क से रक्त तीव्र गति से पैरों की ओर दौड़ने लगता है। कई बार इससे भी लोगों को चक्कर आते हैं। तकनीकी भाषा में इसे ऑर्थोस्टैटिक हाइपोटेंशन कहते हैं। शरीर में रक्त के बहाव में अचानक परिवर्तन होने से बेहोशी या चक्कर आने की समस्या कुछ खास तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे लोगों के साथ-साथ अंतरिक्ष यात्रियों में भी देखी जाती है क्योंकि वह शून्य गुरुत्वाकर्षण में लंबे समय तक रह कर आते हैं और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में पहुंचने के बाद उनकी परेशानी बढ़ने लगती है।

यह अध्ययन सकरुलेशन नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है, जिसमें 43 से 56 आयुवर्ग के 12 अंतरिक्ष यात्रियों (आठ पुरुष और चार महिलाएं) को शामिल किया गया था। इन लोगों ने अंतरिक्ष में लगभग छह माह का समय व्यतीत किया।

शोधकर्ताओं ने कहा कि उड़ान के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा प्रतिदिन दो घंटे व्यायाम करने के उत्साहजनक परिणाम देखने को मिले। अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि व्यायाम के बाद गुरुत्वाकर्षण के संपर्क में आने पर उनके रक्तचाप पर कम से कम प्रभाव पड़ा था और किसी ने भी 24 घंटे बाद नियमित गतिविधियों के दौरान चक्कर या बेहोशी का अनुभव नहीं किया।


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