Move to Jagran APP

Food Wastage : विश्व में रोज 527 कैलोरी भोजन की बर्बादी कर देता है हर इंसान

Food Wastage विश्व में रोज 527 कैलोरी भोजन की बर्बादी कर देता है हर इंसान अभी तक हम खाने की बर्बादी का जितना अनुमान लगाते थे वास्तव में वैश्विक स्तर पर उससे दोगुना है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 15 Feb 2020 01:34 PM (IST)Updated: Sat, 15 Feb 2020 01:34 PM (IST)
Food Wastage : विश्व में रोज 527 कैलोरी भोजन की बर्बादी कर देता है हर इंसान
Food Wastage : विश्व में रोज 527 कैलोरी भोजन की बर्बादी कर देता है हर इंसान

लंदन, प्रेट्र। Food waste : दुनिया में ऐसे बहुत से देश हैं, जहां खाद्य पदार्थों की कमी नहीं है। वहीं, दूसरी ओर ऐसे देशों की संख्या भी कम नहीं है, जहां की जनता एक-एक निवाले के लिए कड़ा संघर्ष करती है। ऐसे में खाने की बर्बादी किसी अपराध से कम नहीं है। इस बारे में किए गए एक अध्ययन के परिणाम चिंताजनक हैं। इसमें बताया गया है कि अभी तक हम खाने की बर्बादी का जितना अनुमान लगाते थे, वास्तव में वैश्विक स्तर पर खाना उससे दोगुना अधिक बर्बाद किया जाता है।

loksabha election banner

नीदरलैंड की वैर्गंनगेन यूनिवर्सिटी एंड रिसर्च के शोधकर्ताओं के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने अनुमान लगाया था कि वर्ष 2015 में दुनियाभर में उपलब्ध कुल खाद्य पदार्थों का एक तिहाई बर्बाद हो गया था। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह आंकड़ा वैश्विक स्तर पर खाद्य पदार्थों की बर्बादी की मात्रा के संदर्भ में काम करता है।

हालांकि, एफएओ ने उपभोक्ताओं के व्यवहार को अपने अध्ययन में शामिल नहीं किया था। उसने केवल यह देखा कि लोगों को क्या परोसा जा रहा है। यानी उपरोक्त अध्ययन में लोगों की पसंद और नापसंद को नजरअंदाज किया गया। प्लस वन नामक जर्नल में प्रकाशित नवीन अध्ययन में पहली बार इस बात की पड़ताल की गई है कैसे उपभोक्ता की संपन्नता भोजन की बर्बादी को प्रभावित कर सकती है।

इस तरह किया गया अध्ययन: वैर्गंनगेन यूनिवर्सिटी एंड रिसर्च की मोनिका वैन ने बताया कि ऊर्जा की आवश्यकता और उपभोक्ता की संपन्नता के डाटा को इस अध्ययन में शामिल किया गया है। इसमें सामने आया है कि वास्तविक स्थिति उससे ज्यादा चिंताजनक है, जिसका अनुमान अभी तक लगाया जा रहा था। दरअसल, हमारे अब तक के अनुमान से दोगुना अधिक खाना बर्बाद किया जाता है।

मोनिका के मुताबिक, यह वैश्विक रूप से तुलनीय आधार प्रदान करता है, जिसके जरिये अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खाद्य पदार्थों की बर्बादी को कम करने के लक्ष्य की प्रगति को मापा जा सकता है। साथ ही इस अध्ययन के जरिये उपभोक्ताओं को सुझाव भी दिया जा सकता है। इस अध्ययन का मकसद ऐसी नीतियां तैयार करना है, जिसके जरिये वैश्विक स्तर पर खाद्य पदार्थों की बर्बादी को कम किया जा सके, ताकि जिस देशों में खाने का संकट है, वहां आपूर्ति बेहतर की जा सके। खाद्य पदार्थों का पूरे विश्व में बेहतर समायोजन करने के लिए यह अध्ययन बेहद मददगार साबित होगा।

इस तरह से किया गया था पहला अध्ययन एफएओ, विश्व बैंक और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अपने अध्ययन में मानव मेटाबॉलिज्म मॉडल और डाटा का प्रयोग किया था। इसके आधार पर शोधकर्ताओं ने भोज्य पदार्थों की बर्बादी और उपभोक्ता कितना खा सकते हैं इसके मध्य संबंध को देखा था। इस मॉडल का प्रयोग कर उन्होंने वैश्विक स्तर पर और साथ ही देशों के आधार पर खाने की बर्बादी का अनुमान लगाया था। इसमें सामने आया था कि व्यक्ति जब करीब 6.70 डॉलर (करीब 480 रुपये) प्रति दिन खर्च करने की सीमा पर पहुंच जाता है तो खाने की बर्बादी बढ़ने लगती है। 2015 में एएफओ ने अपने मॉडल का प्रयोग कर अनुमान लगाया था कि प्रति व्यक्ति 214 किलो कैलोरी प्रति दिन बर्बाद की जाती है। वहीं, नए मॉडल के आधार पर उसी वर्ष खाने की बर्बादी 527 किलो कैलोरी प्रति दिन का अनुमान लगाया गया था। नया अनुमान पुराने अनुमान से लगभग दोगुना ज्यादा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.