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ईश्वर पर आइंस्टीन का पत्र 20 करोड़ में नीलाम, मृत्यु के एक साल पहले लिखा था पत्र

इस किताब को पढ़ने के बाद आइंस्टीन ने पत्र में उन्हें लिखा, ईश्वर शब्द मेरे खयाल में और कुछ नहीं बल्कि मनुष्य की कमजोरी का प्रतीक है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Wed, 05 Dec 2018 04:34 PM (IST)Updated: Wed, 05 Dec 2018 08:04 PM (IST)
ईश्वर पर आइंस्टीन का पत्र 20 करोड़ में नीलाम, मृत्यु के एक साल पहले लिखा था पत्र
ईश्वर पर आइंस्टीन का पत्र 20 करोड़ में नीलाम, मृत्यु के एक साल पहले लिखा था पत्र

न्यूयॉर्क, प्रेट्र। ईश्वर और धर्म के बारे में लिखा गया प्रख्यात वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन का पत्र अमेरिका में एक नीलामी में 28.9 लाख डॉलर (करीब बीस करोड़ रुपये) में बिका। आइंस्टीन ने अपनी मृत्यु से एक साल पहले तीन जनवरी, 1954 को यह पत्र जर्मनी के दार्शनिक एरिक गटकाइंड को लिखा था।

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नीलामी घर क्रिस्टी ने कहा कि इस पत्र में आइंस्टीन ने धर्म और दर्शन को लेकर अपने विचारों को पूरी तरह व्यक्त किया है जो इसे महत्वपूर्ण बनाता है। गटकाइंड ने आइंस्टीन को अपनी किताब 'चूज लाइफ: द बाइबलिकल कॉल टू रिवॉल्ट' पढ़ने को दी थी।

इस किताब को पढ़ने के बाद आइंस्टीन ने पत्र में उन्हें लिखा, 'ईश्वर शब्द मेरे खयाल में और कुछ नहीं बल्कि मनुष्य की कमजोरी का प्रतीक है। जबकि बाइबिल प्राचीन दंतकथाओं का संग्रह है। कोई भी बात मेरे इन विचारों को बदल नहीं सकती।'

अपने इस पत्र में वह 17वीं शताब्दी के दार्शनिक बारुच स्पिनोजा से कुछ हद तक सहमत होने की बात भी कहते हैं। स्पिनोजा किसी मानव रूपी ईश्वर में नहीं बल्कि प्रकृति की खूबसूरती के लिए जिम्मेदार और सृष्टि को संचालित करने वाले ईश्वर में विश्वास करते थे, जो निराकार है।


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