ईरान पर हमले से आखिर क्षण पीछे हटे ट्रंप, रडार और मिसाइल थे निशाने पर
डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर हमला करने का आदेश दे दिया। ट्रंप के आदेश के बाद फाइटर जेट और जहाज तैयार हो ही गए थे कि ट्रंप ने अपना फैसला वापस ले लिया।
वाशिंगटन, न्यूयार्क टाइम्स। अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ता तनाव युद्ध के मुहाने तक पहुंचता नजर आ रहा है। अमेरिका के एक सर्विलांस ड्रोन को मार गिराए जाने से खफा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर हमले का आदेश दे दिया था, लेकिन अंतिम क्षणों में वह इससे पीछे हट गए। उन्होंने शुक्रवार को ट्वीट में कहा, 'मुझे कोई जल्दबाजी नहीं है। मैंने हमले को दस मिनट पहले रोक दिया।'
ईरान ने गुरुवार को अमेरिकी सेना के एक ड्रोन (मानरहित विमान) को मार गिराया था। ईरान ने दावा किया था कि यह जासूसी ड्रोन उसके वायु क्षेत्र में उड़ रहा था। जबकि अमेरिका का कहना है कि ड्रोन अंतरराष्ट्रीय वायु क्षेत्र में था।न्यूयॉर्क टाइम्स अखबार ने ट्रंप प्रशासन के कई वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से बताया कि राष्ट्रपति भवन ह्वाइट हाउस में कई दौर की चर्चा के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि गुरुवार शाम करीब सात बजे हमला हो सकता है।
ट्रंप ने पहले ईरान में कुछ लक्ष्यों जैसे रडार और मिसाइल ठिकानों पर हमले की मंजूरी दी थी। लेकिन शाम के समय इस फैसले को रद कर दिया गया। हालांकि यह अभी साफ नहीं है कि हमले को लेकर ट्रंप ने अपना मन बदला या प्रशासन ने किसी रणनीति के तहत बदलाव किया। यह भी स्पष्ट नहीं है कि क्या हमला आगे हो सकता है या नहीं? इस बारे में पूछे जाने पर ह्वाइट हाउस और अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन की ओर से कोई बयान नहीं मिला।
हमले को लेकर उभरे मतभेद
ट्रंप के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों में इस बात को लेकर मतभेद उभरा कि सैन्य कार्रवाई की जाए या नहीं। वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि विदेश मंत्री माइक पोंपियो, एनएसए जॉन बोल्टन, सीआइए निदेशक जिना हास्पेल सैन्य कार्रवाई के पक्ष में थे, लेकिन पेंटागन के अधिकारियों ने आगाह किया कि इससे क्षेत्र में तैनात अमेरिकी बलों को खतरा बढ़ सकता है।
900 करोड़ रुपये का था ड्रोन
ईरान ने गुरुवार सुबह अमेरिका के जिस सर्विलांस ड्रोन को मार गिराया था, उसकी कीमत 13 करोड़ डॉलर (करीब 900 करोड़ रुपये) थी। ईरान ने सतह से सतह पर मार करने वाली एक मिसाइल से ड्रोन को मार गिराया था। ड्रोन आरक्यू-4 ग्लोबल हॉक श्रेणी का था। यह जानकारी ट्रंप प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी।
तेल टैंकरों पर हमले से बढ़ी तनातनी
होर्मुज जलडमरूमध्य (स्ट्रेट) के पास ओमान की खाड़ी में गत 13 जून को दो तेल टैंकरों को निशाना बनाया गया था। इस के लिए अमेरिका ने ईरान को जिम्मेदार ठहराया था। जबकि ईरान ने अपना हाथ होने से इन्कार किया था। इसी क्षेत्र में गत 12 मई को भी चार तेल टैंकरों को निशाना बनाया गया था। तब सऊदी अरब ने हमले में ईरान का हाथ बताया था।
पश्चिम एशिया में तैनात हैं अमेरिकी युद्धपोत
ईरान से खतरे के मद्देनजर पिछले माह से ही पश्चिम एशिया में कई अमेरिकी युद्धपोत और एक विमानवाहक पोत तैनात हैं। अमेरिका ने बमवर्षक विमान भी तैनात कर रखे हैं।
परमाणु करार टूटने से शुरू हुआ तनाव
दोनों देशों में उस समय से तनातनी का दौर चल रहा है, जब ट्रंप ने ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते से अमेरिका के हटने का एलान किया था। इसके बाद उस पर कई सख्त प्रतिबंध लगाए दिए थे। ईरान ने 2015 में दुनिया की छह ताकतवर देशों अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी के साथ परमाणु करार किया था।
ईरान ने दो बार दी थी चेतावनी
संयुक्त राष्ट्र में ईरान के दूत माजिद तख्त-रवानी ने सुरक्षा परिषद को पत्र लिखकर बताया कि ड्रोन को मार गिराने से पहले दो बार चेतावनी दी गई थी। उन्होंने यह भी कहा, 'तेहरान युद्ध नहीं चाहता है, लेकिन हम अपनी जमीन, समुद्र और वायु क्षेत्र की रक्षा करेंगे।'
विमानों ने बदला रास्ता
अमेरिकी ड्रोन को मार गिराए जाने की घटना के बाद ईरान के नियंत्रण वाले हवाई क्षेत्र से दुनिया की कई दिग्गज एयरलाइंस ने अपनी उड़ानों को निलंबित कर दिया। अमेरिका के संघीय विमानन प्रशासन ने एक आदेश जारी कर अमेरिकी विमानों को फारस और ओमान की खाड़ी से नहीं गुजरने को कहा।
इसके बाद मुंबई-न्यूजर्सी की उड़ान को निलंबित कर दिया। जबकि ब्रिटिश एयरवेज और सिंगापुर एयरलाइंस समेत कई विमानन कंपनियों ने अपनी उड़ानों का रास्ता बदल दिया।
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