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डोनाल्ड ट्रंप बोले, क्रिसमस तक अफगानिस्तान से हट जाएगी अमेरिकी सेना

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट करके कहा फिलहाल अफगानिस्तान में बहुत कम संख्या में सैनिक तैनात हैं और अमेरिकी लोगों को यह अपेक्षा करनी चाहिए कि 25 दिसंबर तक बाकी बचे सैनिक देश वापस आ जाएंगे। अब तक 2400 अमेरिकी सैनिकों की जान जा चुकी है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 08 Oct 2020 04:13 PM (IST)Updated: Thu, 08 Oct 2020 04:13 PM (IST)
डोनाल्ड ट्रंप बोले, क्रिसमस तक अफगानिस्तान से हट जाएगी अमेरिकी सेना
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की फाइल फोटो।

वाशिंगटन, प्रेट्र। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को कहा कि अफगानिस्तान में बचे हुए सभी सैनिक क्रिसमस तक अमेरिका वापस आ जाएंगे। उन्होंने यह बयान अफगानिस्तान में अमेरिकी हमले के 19 साल पूरे होने के मौके पर दिया। ट्रंप की इस घोषणा पर व्हाइट हाउस और नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल ने फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। बता दें कि अफगानिस्तान में तालिबान के साथ लड़ाई के दौरान अब तक 2400 अमेरिकी सैनिकों की जान जा चुकी है जबकि कई हजार सैनिक बुरी तरह घायल हुए हैं। 

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अमेरिकी राष्ट्रपति ने ट्वीट करके कहा, ' फिलहाल अफगानिस्तान में बहुत कम संख्या में सैनिक तैनात हैं और अमेरिकी लोगों को यह अपेक्षा करनी चाहिए कि 25 दिसंबर तक बाकी बचे सैनिक देश वापस आ जाएंगे।' इसी वर्ष 29 फरवरी को तालिबान के साथ हुए समझौते के तहत अमेरिका ने अफगानिस्तान में मौजूद सैनिकों की संख्या को घटाकर 8600 तक कर दिया है। साथ ही पांच सैन्य ठिकानों को अफगान सुरक्षा बलों को सौंप दिए हैं। अगस्त में राष्ट्रपति ने यह फैसला लिया था कि नवंबर तक अफगानिस्तान में स्थितियां ऐसी हो जाएंगी कि सैनिकों की संख्या को चार से पांच हजार के बीच किया जा जा सकेगा। 

राष्ट्रपति के सैनिकों को वापस बुलाने की घोषणा से पहले बुधवार को व्हाइट हाउस के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर रॉबर्ट ओ ब्रायन ने दावा किया था कि वर्ष 2021 की शुरुआत तक अफगानिस्तान से संतोषजनक संख्या में सैनिकों को कम कर दिया जाएगा। लास वेगास स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ नेवादा में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, 'जब राष्ट्रपति ट्रंप ने कार्यभार संभाला था तब अफगानिस्तान में 10 हजार अमेरिकी सैनिक थे। वर्तमान समय में इनकी संख्या 5 हजार है। अगले साल की शुरुआत तक यह संख्या घटकर 2500 पहुंच जाएगी।' 

वहीं विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप को तारीख का एलान नहीं करना चाहिए था। इससे तालिबान के साथ वार्ता के मेज पर अमेरिका कमजोर पड़ जाएगा। इतना ही नहीं तालिबान के अंदर एक बड़ा धड़ा है जो यह मानता है कि वह अफगानिस्तान के ज्यादातर इलाकों पर फिर से कब्जा कर सकता है। तालिबान का मानना है कि शांति समझौता केवल देश में मौजूद बड़ी शक्तियों के लिए केवल एक छूट है।


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