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डोनाल्ड ट्रंप प्रशसन ने कई चीनी संस्थाओं पर लगाए नए प्रतिबंध

डोनाल्ड ट्रंप ने चीन की दर्जनभर संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसमें एक समूह वह हैं जो सैन्य प्रौद्योगिकी कर रहा है दूसर वह जो चीन के मुस्लिम अल्पसंख्यक समूहों पर ब

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Sat, 23 May 2020 09:54 AM (IST)Updated: Sat, 23 May 2020 09:54 AM (IST)
डोनाल्ड ट्रंप प्रशसन ने कई चीनी संस्थाओं पर लगाए नए प्रतिबंध
डोनाल्ड ट्रंप प्रशसन ने कई चीनी संस्थाओं पर लगाए नए प्रतिबंध

वॉशिंगटन, एएनआइ।  ट्रंप प्रशासन ने चीनी संस्थाओं के पर नए प्रतिबंध लगा दिए हैं। एक समूह वह हैं जो सैन्य प्रौद्योगिकी कर रहा है दूसर वह जो चीन के मुस्लिम अल्पसंख्यक समूहों पर बीजिंग के हमले का समर्थन कर रहा है। विभाग ने द वालवेट जर्नल द्वारा उद्धृत एक बयान में कहा कि शुक्रवार को अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने पश्चिमी चीन में झिंजियांग उइगुर स्वायत्त क्षेत्र में कथित मानव अधिकारों के उल्लंघन में जटिलता के लिए नौ संस्थाओं का नाम दिया। सूची में सात कंपनियों को शामिल किया गया है जो क्षेत्र में उच्च-प्रौद्योगिकी निगरानी में बीजिंग की सहायता करते हैं। 

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अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने चीन, हांगकांग और केमैन आइलैंड्स में स्थित 24 चीनी वाणिज्यिक और सरकारी संस्थाओं को लक्षित किया, जिन्होंने कहा कि चीन में सैन्य अंत-उपयोग के लिए वस्तुओं की खरीद का समर्थन करने के प्रतिनिधित्व करते हैं।

सभी 33 संस्थाओं को उन व्यवसायों और व्यक्तियों के निर्यात ब्लैकलिस्ट में जोड़ा गया, जिन्हें राष्ट्रीय-सुरक्षा खतरे के रूप में माना जाता है या संयुक्त राज्य की विदेश नीति के विपरीत गतिविधियों में लगे हुए हैं। विभाग ने आगे कहा कि जिन अमेरिकी कंपनियों के साथ कारोबार करना जारी है, उन पर जुर्माना या जेल का खतरा है। वाणिज्य विल्बर रॉस के सचिव ने कहा कि ब्लैकलिस्ट के अतिरिक्त "हमारे हितों को कमजोर करने वाली गतिविधियों में अमेरिकी वस्तुओं और प्रौद्योगिकियों के उपयोग को रोकने के लिए हमारी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।

उइगुर निगरानी को खत्म करने वाली संस्थाओं में क्लाउडवॉक टेक्नोलॉजी और फाइबरहोम टेक्नोलॉजीज ग्रुप शामिल हैं। सैन्य प्रौद्योगिकी की खरीद के लिए प्रयास करने वालों में बीजिंग कम्प्यूटेशनल साइंस रिसर्च सेंटर और Qihoo 360 प्रौद्योगिकी कंपनी शामिल हैं। 

वहीं, अमेरिका और चीन के बीच व्यापार को लेकर शुरू हुई तकरार आखिरकार शीत युद्ध तक पहुंच गई है। चीन को लेकर अपने नए विजन डॉक्यूमेंट (दृष्टि पत्र) में अमेरिका ने उस पर कायदे और कानून पर आधारित वैश्विक व्यवस्था का दुरुपयोग कर उसे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) की विचारधारा और हितों के अनुकूल बनाने का आरोप लगाया है।


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