डोनाल्ड ट्रंप का Pfizer पर गंभीर आरोप, चुनावों से पहले जानबूझकर नहीं की गई कोरोना वैक्सीन की घोषणा
हाल ही में अमेरिका की दिग्गज दवा कंपनी फाइजर (Pfizer Vaccine) और जर्मनी की बायोटेक फर्म बायोएनटेक ने दावा किया है कि उनकी बनाई वैक्सीन कोरोना वायरस (Coronavirus Vaccine) के इलाज में 90 फीसद से अधिक असरदार है।
वाशिंगटन, प्रेट्र। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने सोमवार को खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) और दवा कंपनी फाइजर (Pfizer) पर आरोप लगाया कि जानबूझकर चुनाव से पहले कोरोना के टीके (Coronavirus Vaccine) की घोषणा नहीं की गई, क्योंकि इससे उनकी जीत हो सकती थी।
ट्रंप ने ट्वीट करते हुए कहा, 'एफडीए और डेमोक्रेट्स चुनाव से पहले मुझे टीके का श्रेय नहीं देना चाहते थे, क्योंकि इससे उन्हें चुनाव में जीत हासिल हो सकती थी। खास बात यह है कि टीके की घोषणा मतदान के पांच दिन बाद की गई।' ट्रंप ने आरोप लगाया कि अगर जो बाइडन राष्ट्रपति होते तो, आपको अगले चार साल तक टीका नहीं मिलता और ना ही एफडीए ने इसे तुरंत मंजूरी दी होती।
The @US_FDA and the Democrats didn’t want to have me get a Vaccine WIN, prior to the election, so instead it came out five days later – As I’ve said all along!
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) November 10, 2020
इससे पहले फाइजर ने दावा किया था कि टीके के प्रारंभिक विश्लेषण से पता चला है कि उसकी टीका कोरोना बीमारी को रोकने में 90 फीसद कारगर है। फाइजर ने इस बारे में कुछ विस्तार से तो नहीं बताया, लेकिन कहा कि अध्ययन के अंत तक परिणाम में बदलाव हो सकता है। उधर, निर्वाचित राष्ट्रपति बाइडन ने टीका बनाने वाले विज्ञानियों को बधाई देते हुए कहा कि हमें यह समझना होगा कि कोरोना का अंत होने में अभी समय लगेगा।
कोरोना टास्क फोर्स में शामिल किए गए दो भारतीय
नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा बनाई गई कोरोना टास्क फोर्स में दो भारतीयों को शामिल किया गया है। मूलरूप से कर्नाटक के रहने वाले डॉ. विवेक मूर्ति को जहां इस टास्क फोर्स का को-चेयरमैन बनाया गया है वहीं डॉ. अतुल गवांडे को टास्क फोर्स का सदस्य नियुक्त किया गया है। मूलरूप से महाराष्ट्र से आने वाले गवांडे ने इस जिम्मेदारी के लिए बाइडन प्रशासन का आभार जताया है। कर्नाटक के रहने वाले मूर्ति वर्ष 2014 से 2017 तक अमेरिका के 19वें जनरल सर्जन रहे हैं।