लिवर खराब होने पर न हो ज्यादा परेशान, ले सकते हैं जीवनरक्षक दवाएं; शोध से हुआ खुलासा
कई लोगों का लिवर दवाओं को खाने से भी कम जोर हो जाता है। ऐसे लोगों के लिए डॉक्टरों के पास कोई मानक दिशा-निर्देश भी नहीं होते।
न्यूयॉर्क, आइएएनएस। आम तौर पर लिवर खराब होने पर डॉक्टर दवाओं को खाने से यह सोचकर मना कर देते हैं कि कहीं कोई रिएक्शन न हो जाए। लेकिन एक नए अध्ययन में इस प्रकार की आशंकाओं को नकारा गया है। इसमें कहा गया है कि यदि आप मधुमेह, उच्च रक्तचाप और अवसाद जैसी समस्याओं से पीड़ित हैं और आप अपने खराब लिवर को दुरुस्त करने के लिए दवाएं ले रहे हैं तो भी आप जीवनरक्षक दवाओं की डोज कम मात्रा में ले सकते हैं।
ड्रग मेटाबोलिज्म एंड डिपोजिशन नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा कि गया है कि डॉक्टरों को चाहिए कि लिवर का इलाज करा रहे मरीजों को ऐसा सुझाव न दें कि जब तक लिवर पूरी तरह ठीक न हो जाए अन्य जरूरी दवाओं का सेवन न करें। क्योंकि ऐसा करने से मरीज की अन्य बीमारियां काफी बढ़ सकती हैं। बता दें कि पूरे विश्व में खराब लिवर की समस्या से लगभग 10 लाख लोग प्रभावित हैं।
अमेरिका में कनेक्टिकट यूनिवर्सिटी के शियाओबो झोंग ने कहा, 'डॉक्टर मरीजों को बीमारियों का इलाज करने के लिए दवाएं देते हैं। कोई नहीं चाहता है कि उनका लिवर खराब हो, लेकिन कई बार दवाओं से भी लिवर में खराबी आ जाती है। इससे बचने के लिए दवा की खुराक को कम या सीमित किया जा सकता है। इससे बीमारियां तो ठीक होंगी ही साथ ही लिवर को भी नुकसान नहीं होगा।'
दवा को विभाजित करते हैं एंजाइम
शोधकर्ताओं ने कहा कि जब कोई व्यक्ति मुंह से दवा की खुराक लेता है तो वह सीधे उसके पेट से होते हुए आतों में जाती है, जहां रासायनिक क्रियाओं के जरिये इसमें मौजूद घटक रक्त में घुल जाते हैं। इसके बाद यह रक्त शरीर के किसी भी हिस्से में जाने से पहले लिवर में जाता है। लिवर में एंजाइम होते हैं जो दवाओं को विभाजित कर शेष हिस्सों तक पहुंचाते हैं। लेकिन विभिन्न लोगों में स्वाभाविक रूप से इन एंजाइमों की संख्या कम या ज्यादा होती है। कभी-कभी ऐसा भी हो जाता है कि एक व्यक्ति के लिए दवा की एक सीमित खुराक उपयुक्त हो लेकिन वही खुराक किसी दूसरे व्यक्ति के लिए हो सकता है ज्यादा हो जाए या कम हो जाए। इसीलिए आपने गौर किया होगा दवा देते समय डॉक्टर आपकी उम्र जरूर पूछते हैं और उसी आधार पर खुराक तय करते हैं।
चूहों पर किया अध्ययन
यही कारण है कि कई लोगों का लिवर दवाओं को खाने से भी कम जोर हो जाता है। ऐसे लोगों के लिए डॉक्टरों के पास कोई मानक दिशा-निर्देश भी नहीं होते। इसीलिए लिवर खराब होने पर वह मरीजों से कहते हैं कि आप दवाएं खाना बंद कर दीजिए। शोधकर्ताओं ने कहा, यदि ज्यादा गंभीर बीमारी न हो तो आप कम से कम हफ्ते भर तक दवाएं लेना बंद कर सकते हैं लेकिन इसके बाद दवा न खाने पर आपकी समस्या बढ़ सकती है। ऐसे में कई बार जान पर भी बन आती है। इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने ऐसे चूहों पर अध्ययन किया जिनका लिवर खराब था। इस दौरान उन्होंने पाया कि छोटी-छोटी मात्रा में दवाएं देने लिवर को नुकसान नहीं पहुंचता।