जिंदगी के कड़वे अनुभवों में भी छिपे हैं मीठे फल, विश्वास नहीं है तो पढि़ये यहां
यह ध्यान रखने की जरूरत है कि कड़वा अनुभव भी अनुभव ही होता है और हर अनुभव कुछ सिखाता है।
जॉली केर, द न्यूयॉर्क टाइम्स। कड़वे अनुभव हर किसी के जीवन में होते हैं। कई लोग कुछ कड़वे अनुभवों को जीवनभर ढोते भी हैं और उनसे दुखी भी होते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि यही कड़वे अनुभव जिंदगी में मीठे फल भी दे सकते हैं? इसके लिए आपको बस यह ध्यान रखने की जरूरत है कि कड़वा अनुभव भी अनुभव ही होता है और हर अनुभव कुछ सिखाता है। मूलत: आपराधिक कथानक पर लिखने वाली उपन्यासकार सोफी हाना ने इस बार अपनी धारा से अलग जाकर लिखा है। ‘हाउ टू होल्ड ए ग्रज’ (कड़वे अनुभव को कैसे संभाले) नाम से लिखी उनकी किताब नए साल पर प्रकाशित हुई है। किताब में उन्होंने कड़वे अनुभवों से कुछ सीखने पर जोर दिया है। हाना कहती हैं कि ग्रज (कड़वे अनुभव) असल में कोई भावना नहीं, बल्कि यह किसी घटना से जुड़ी पूरी कहानी होती है, जो हमें याद रहती है। यही याद कई मामलों में हमें बेहतर करने और बनने की सीख दे सकती है।
ताबीज की तरह हैं ‘कड़वे अनुभव’
कड़वा अनुभव असल में हमें कुछ याद दिलाता है और हमारे दिमाग को सतर्क करता है। उदाहरण के तौर पर अगर आपके किसी दोस्त ने घर की शराब पार्टी में होश खो दिया हो, तो यह अनुभव आपको सतर्क करता है। आप दोस्ती नहीं तोड़ते, बल्कि अगली बार उसके साथ ऐसी किसी स्थिति से बचे रहते हैं।
लिखकर कीजिए अनुभव
ऐसे अनुभवों को कागज पर उतारना भी कारगर रहता है। ऐसा करते हुए आपको पूरे घटनाक्रम को सही से समझने का मौका मिलता है। आपको यह सोचने की कोशिश करनी चाहिए कि अगर उस घटना में आपका व्यवहार अलग होता तो नतीजा क्या रहता? कई घटनाएं केवल इसलिए भी कड़वे अनुभवों को जन्म देती हैं क्योंकि हमारी प्रतिक्रिया सही नहीं होती। घटनाओं को लिखकर, उन पर पुन: विचार करने से हमें इस बात का एहसास हो सकता है।
माफ करने और बेहतर बनने की सीख
जैसे नए साल के संकल्प और लक्ष्य हमें प्रोत्साहित करते हैं, ऐसे ही कड़वे अनुभव भी हमें प्रोत्साहित कर सकते हैं। इनकी मदद से आप अपने लिए उन मूल्यों का निर्धारण कर सकते हैं, जो सही हैं। उदाहरण के तौर पर किसी का व्यवहार आपके प्रति कटु है और इसको लेकर आपके मन में कोई कड़वा अनुभव है। इससे आपको यह सबक मिलता है कि दूसरों के प्रति व्यवहार को नरम रखना चाहिए। इन अनुभवों के आधार पर आप लोगों को माफ करना भी सीखते हैं।
आपराधिक कथानक पर लिखने वाली उपन्यासकार सोफी हाना ने इस बार अपनी धारा से अलग जाकर लिखा है, कड़े अनुभवों से कुछ सीखने पर दिया है जोर