55 साल से कम उम्र की डायबिटीज पीड़ित महिलाओं में हृदय रोग का जोखिम अधिक
डायबिटीज पीडि़तों में हृदय रोग के खतरे को लेकर एक नया अध्ययन किया गया है। इसका दावा है कि टाइप-2 डायबिटीज से पीडि़त 55 साल से कम उम्र की महिलाओं में हृदय संबंधी रोग का उच्च खतरा हो सकता है।
न्यूयार्क, आइएएनएस। डायबिटीज पीडि़तों में हृदय रोग के खतरे को लेकर एक नया अध्ययन किया गया है। इसका दावा है कि टाइप-2 डायबिटीज से पीडि़त 55 साल से कम उम्र की महिलाओं में हृदय संबंधी रोग का उच्च खतरा हो सकता है। डायबिटीज पीडि़त इस उम्र की महिलाओं में कोरोनरी हार्ट डिजीज का दस गुना ज्यादा जोखिम पाया गया है।
हाल में हुए एक अध्ययन के अनुसार, आज कल के युवाओं की लाइफस्टाइल के कारण कम उम्र में ही जटिल बीमारियां घेर रही हैं। एक अध्ययन के अनुसार, भारत के 65 फीसद युवकों और 56 फीसद युवतियों में डायबिटीज का खतरा बढ़ गया है। बता दें कि शारीरिक रूप से जो लोग अधिक एक्टिव होते हैं उनमें डायबिटीज का जोखिम कम होता है। अध्ययन के अनुसार एक पोजिशन में बैठे रहने वालों को 3.4 फीसद डायबिटीज का खतरा अधिक होता है।
जेएएमए कार्डियोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, 28 हजार से ज्यादा महिलाओं पर करीब दशक भर तक किए गए एक शोध के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया है। इनमें बीमारी से जुड़े 50 ज्यादा कारकों पर गौर किया गया था। अमेरिका के हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की असिस्टेंट प्रोफेसर सामिया मोरा ने कहा, 'हमें कम उम्र के लोगों में हार्ट अटैक का खतरा देखने को मिल रहा है। इस उम्र में हृदय संबंधी समस्याओं के चलते इनकी उत्पादकता और समाज में इनके योगदान पर असर पड़ सकता है।'
शोधकर्ताओं ने हृदय रोग से जुड़े करीब 50 बायोमार्करों का विश्लेषण किया। लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एलडीएल) कोलेस्ट्राल या बैड कोलेस्ट्राल और लिपोप्रोटीन इंसुलिन रेसिस्टेंस (एलपीआइआर) जैसे बायोमार्करों पर गौर किया गया। जहां सिर्फ एलडीएल कोलेस्ट्राल के संबंध का पता चला, वहां 55 साल से कम उम्र की महिलाओं में कोरोनरी हार्ट डिजीज का खतरा 40 फीसद ज्यादा पाया गया। जबकि एलपीआइआर का संबंध इस बीमारी के छह गुना ज्यादा जोखिम से पाया गया। शोधकर्ताओं ने कहा, 'डायबिटीज की रोकथाम हो सकती है, लेकिन यह एक ऐसी समस्या है, जिस पर हमें और शोध करने की जरूरत है।'