डिमेंशिया से जुड़े जीन से भी कोविड-19 का खतरा, पढ़ें अध्ययन में सामने आई बातें
जर्नल ऑफ जेरोंटोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार कोविड-19 के संक्रमण का गंभीर खतरा उन लोगों में ज्यादा पाया गया जो गड़बड़ी वाले एपीओई या ई4ई4 नामक जीन के वाहक होते हैं।
वॉशिंगटन, प्रेट्र। एक नए अध्ययन में पाया गया है कि डिमेंशिया का खतरा बनने वाले जीन के चलते कोरोना वायरस (कोविड-19) का भी गंभीर जोखिम हो सकता है। इस खतरनाक वायरस के संक्रमण का खतरा उन लोगों में ज्यादा पाया गया है, जिनमें डिमेंशिया से जुड़ा यह जीन मौजूद होता है। यह निष्कर्ष बड़े पैमाने पर किए गए एक अध्ययन के आधार पर निकाला गया है। इससे कोरोना संक्रमण के उपचार के लिए नए तरीकों की राह खुल सकती है। डिमेंशिया बीमारी से पीडि़त व्यक्ति को याददाश्त खोने के साथ ही सोचने-समझने और निर्णय लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
जर्नल ऑफ जेरोंटोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, कोविड-19 के संक्रमण का गंभीर खतरा उन लोगों में ज्यादा पाया गया, जो गड़बड़ी वाले एपीओई या ई4ई4 नामक जीन के वाहक होते हैं। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर मेडिकल स्कूल के शोधर्कताओं ने करीब पांच लाख लोगों के डाटा का विश्लेषण किया। उन्होंने हर 36वें व्यक्ति में यह जीन पाया। शोधकर्ताओं ने बताया कि इस जीन से भूलने की बीमारी अल्जाइमर का खतरा 14 गुना ज्यादा हो सकता है। इस जीन के चलते हृदय रोग का भी जोखिम बढ़ सकता है। जबकि मौजूदा महामारी के संदर्भ में उन्होने पाया कि इस जीन के वाहक वाले लोगों में कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा दोगुना अधिक हो सकता है। शोधकर्ता यह पहले ही बता चुके हैं कि डिमेंशिया पीडि़तों में कोरोना वायरस के गंभीर संक्रमण का खतरा तीन गुना ज्यादा हो सकता है।