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उइगर मामले में चीन पर प्रतिबंध लगाने की मांग, सांसदों ने ट्रंप प्रशासन को लिखा पत्र

अमेरिका के 17 सांसदों ने चीन में उइगर मुस्लिमों को गुप्त शिविरों में बंदी बनाए जाने की खबरों पर ट्रंप प्रशासन से कार्रवाई की मांग की है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 30 Aug 2018 05:20 PM (IST)Updated: Thu, 30 Aug 2018 05:20 PM (IST)
उइगर मामले में चीन पर प्रतिबंध लगाने की मांग, सांसदों ने ट्रंप प्रशासन को लिखा पत्र
उइगर मामले में चीन पर प्रतिबंध लगाने की मांग, सांसदों ने ट्रंप प्रशासन को लिखा पत्र

वाशिंगटन, एएफपी। अमेरिका के 17 सांसदों ने चीन में उइगर मुस्लिमों को गुप्त शिविरों में बंदी बनाए जाने की खबरों पर ट्रंप प्रशासन से कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने ट्रंप प्रशासन से उइगरों को बंदी बनाने में लिप्त चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने की अपील की है।

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पत्र लिखने वाले सांसदों में दोनों प्रमुख पार्टियों रिपब्लिकन और डेमोक्रेट के संसद सदस्य शामिल हैं। विदेश मंत्री माइक पोंपियो और कोषागार मंत्री स्टीव मुनचिन को लिखे गए इस पत्र में चीन के सात अधिकारियों और निगरानी उपकरण बनाने वाली दो कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। संसद सदस्य रूबियो ने ट्विटर पर यह जानकारी दी।

दस लाख उइगरों को बंदी बनाने का आरोप

चीन के शिनजियांग प्रांत में बड़ी संख्या में उइगर मुस्लिम रहते हैं। इस महीने के शुरू में ऐसी खबरें आई थीं कि चीन ने दस लाख से ज्यादा उइगर मुस्लिमों को कथित तौर पर कट्टरवाद विरोधी गुप्त शिविरों में कैद कर रखा है।

चीन नहीं मानता आरोपों को

उइगरों को शिविरों में कैद करने के आरोपों से चीन इन्कार करता है। हाल में चीन के एक अधिकारी ने जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार समिति से कहा था कि शिनजियांग में कट्टरपंथ और आतंकवाद से निपटने के लिए कड़े सुरक्षा उपाय जरूरी हैं, लेकिन किसी खास समुदाय को निशाना नहीं बनाया गया है।

एनजीओ, विशेषज्ञों की राय अलग

कई एनजीओ और चीनी विशेषज्ञों की अलग राय है। उनका मानना है कि कई पूर्व बंदियों और सरकारी दस्तावेजों से इस तरह के बंदी शिविरों के संकेत मिलते हैं।

शिनजियांग में कई तरह के प्रतिबंध

चीन ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सीमा से सटे शिनजियांग में कई तरह के कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। वहां लोगों के असामान्य दाढ़ी रखने और बुर्का पहनने पर प्रतिबंध है। क्षेत्र के सभी कार मालिकों को ट्रैकिंग डिवाइस जीपीएस लगाने का आदेश दिया गया है। चीन ने क्षेत्र में निगरानी के लिए ड्रोन भी तैनात किए हैं। 


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