भारत-अमेरिकी संबंधों में होने वाली वार्ता 'टू प्लस टू' में कौन सा एजेंडा में रहेगा अहम, जानिए
भारतीय विदेश मंत्रालय में अमेरिका के विदेश सचिव माइकल पोम्पीओ और रक्षा सचिव जेम्स मैटिस की आगवानी की तैयारी चल रही है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। तकरीबन दो वर्ष पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की तरफ से भारत को अमेरिका का सबसे अहम रणनीतिक साझेदार बताया था तब कई विशेषज्ञों ने इस पर हैरानी जताई थी। लेकिन जुलाई के अंत में अमेरिकी सरकार ने 90 फीसद तक के उच्च तकनीकी के हथियार बिना लाइसेंस के भारत को देने का फैसला कर ओबामा की बात को सही साबित कर दिया।
06 सितंबर, 2018 को होगी अहम बैठक
अब 06 सितंबर, 2018 को नई दिल्ली में भारत और अमेरिका के विदेश व रक्षा मंत्रियों की अगुवाई में होने वाली टू प्लस टू वार्ता दोनो देशों के रक्षा सहयोग के क्षेत्र में अभी तक की सबसे अहम बैठक साबित हो सकती है। यह बैठक लंबी अवधि में भारत व अमेरिका के साझा सैन्य सहयोग की दिशा तय करेगा। अमेरिका की प्रधान उप सहायक विदेश मंत्री एलिस जी वेल्स ने स्वयं इस बात के संकेत दिए हैं।
भारतीय विदेश मंत्रालय में अमेरिका के विदेश सचिव माइकल पोम्पीओ और रक्षा सचिव जेम्स मैटिस की आगवानी की तैयारी चल रही है। यह दोनो देशों के बीच कूटनीतिक व रणनीतिक रिश्तों को दिशा तय करने के लिए बने फार्मूले के तहत पहली बैठक होगी।
कूटनीतिक व रणनीतिक रिश्तों पर जोर
इसके पहले भारत व अमेरिका के बीच द्विपक्षीय रिश्तों को लेकर जो वार्ता होती थी उसमें कूटनीतिक, रणनीतिक, ऊर्जा व कारोबारी हर तरह के मुद्दों पर बातचीत होती थी। लेकिन जून, 2017 में पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच मुलाकात में यह तय हुआ कि कूटनीतिक व रणनीतिक रिश्तों पर खास तौर पर जोर दिया जाए।
विदेश व रक्षा मंत्रियों की अगुवाई में होने वाली इस वार्ता को टू प्लस टू वार्ता का नाम दिया गया। सालाना होने वाली इस बैठक की तैयारियों में दोनों देशों के विदेश व रक्षा मंत्रालयों के अधिकारियों की साल में कम से दो अलग बैठकें हुआ करेंगी। साथ ही इनमें लिए फैसलों के बारे में भारतीय पीएम और अमेरिकी राष्ट्रपति को भी समय समय पर अवगत कराया जाएगा।
हिंद-प्रशांत महासागर में अमेरिका की रणनीति का सबसे अहम हिस्सा
सूत्रों के मुताबिक पहली टू प्लस टू वार्ता हिंद व प्रशांत महासागर क्षेत्र में सहयोग का मुद्दा अहम होगा। इस क्षेत्र में सहयोग को प्रगाढ़ करने के लिए बहुआयामी प्रयासों का खाका इसमें तैयार की जाएगी। भारत व अमेरिका के बीच लगातार हिंद व प्रशांत महासागर की स्थिति में संपर्क बना हुआ है लेकिन सैन्य दृष्टिकोण से सहयोग के प्रारूप को अभी तय किया जाना शेष है।
अमेरिका की प्रधान उप सहायक विदेश मंत्री ने कहा भी है कि भारत उनकी हिंद-प्रशांत महासागर में रणनीति का सबसे अहम हिस्सा होगा। दोनों देश संयुक्त तौर पर इस क्षेत्र के दूसरे छोटे देशों की नौ सैनिक ताकतों को बढ़ाने में भी सहयोग करने के लिए बातचीत करेंगे। हाल ही में अमेरिका ने कहा है कि वह दक्षिण एशिया में बांग्लादेश और श्रीलंका की नौ सैन्य ताकतों को मजबूत करने के लिए उन्हें आर्थिक मदद करेगा। यह काम भारत के जरिए किये जाने के आसार है।
90 फीसद तक हथियारों को भारत में बना सकती हैं अमेरिकी कंपनियां
इस संभावित बैठक के तकरीबन पांच हफ्ते पहले ट्रंप प्रशासन ने भारत को रणनीतिक कारोबार साझेदार देश एसटीए-1 का दर्जा दिया है। इससे अमेरिकी कंपनियां अपनी 90 फीसद तक हथियारों को भारत में बना सकती हैं। इसके लिए उन्हें अमेरिकी सरकार से लाइसेंस लेने की भी जरुरत नहीं होगी। अब टू प्लस टू में इस बात पर चर्चा की जाएगी कि भारत की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए तत्काल व लंबी अवधि में और किन किन हथियारों की जरुरत होगी।
दरअसल, वर्ष 2008 तक भारत व अमेरिका के बीच कोई सैन्य कारोबार नहीं होता था लेकिन आज यह 18 अरब डॉलर का है। अमेरिका आज की तारीख में सबसे ज्यादा सैन्य अभ्यास भारत के साथ करता है। आगामी बैठक इस सहयोग को और प्रगाढ़ करेगा।