Covid-19: प्लाज्मा ट्रांसफ्यूज से 3 भारतीय अमेरिकियों में ठीक होने के संकेत दिखे
तीन भारतीय अमेरिकी जो सीओवीआईडी -19 की वजह से गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती थे उनमें प्लाज्मा ट्रांसफ्यूज से सुधार देखा जा रहा है।
ह्यूस्टन, पीटीआइ। कोरोना वायरस से ठीक हुए लोगों के प्लाज्मा ट्रांसफ्यूज से तीन भारतीय अमेरिकी, जो सीओवीआईडी -19 की वजह से गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती थे, उनमें सुधार देखा जा रहा है। चूंकि COVID-19 के लिए वैक्सीन अभी आगे महीनों में भी अपेक्षित नहीं की जा सकती तो ऐसे में नए मामले प्रतिदिन बढ़ रहे हैं, जिससे पार पाने के लिए टेक्सास और देश भर के डॉक्टर एक पुरानी तकनीक पर आधारित एक नए उपचार के साथ प्रयोग कर रहे हैं, लेकिन यह सुनिश्चित नहीं किया सकता कि यह पूरी तरह से प्रभावी हो।
बताया गया कि उपचार उन लोगों से एंटीबॉडी-समृद्ध प्लाज्मा इंजेक्ट करता है, जो नोवल कोरोना वायरस से ठीक लोगों से लिए जाते हैं और सीओवीआईडी -19 के गंभीर मामलों में इसका प्रयोग होता हैं। एंटीबॉडी रक्त में प्रोटीन होते हैं जो विशिष्ट बैक्टीरिया और वायरस से लड़ते हैं।
वैक्सीन के ना होने से, डॉक्टर और वैज्ञानिकों की नजर प्लाज्मा पर है। वे इसे कम जोखिम भरा मानते हैं और क्योंकि यह पिछले महामारी के दौरान प्रभावी रहा है। ह्यूस्टन में बेयलर सेंट ल्यूक मेडिकल सेंटर के पांच रोगियों (बायलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन का हिस्सा) का ठीक हुए व्यक्ति के प्लाज्मा से इलाज किया गया है। यह डॉ अशोक बालासुब्रमण्यम ने बताया, जो अकादमिक एकीकरण के उपाध्यक्ष और बेयर्स कॉलेज ऑफ मेडिसिन में अकादमिक मामलों के सहयोगी डीन है।
बता दें कि स्कूल को एक नैदानिक परीक्षण के लिए भी अधिकृत किया गया है, एक दो सप्ताह के भीतर शुरू होने की उम्मीद है। ह्यूस्टन के सेंट ल्यूक मेडिकल सेंटर में तीन भारतीय अमेरिकी सीओवीआईडी -19 के मरीजों - आईटी पेशेवर रोहन बावडेकर, डॉ लवंगा वेलुस्वामी और सुषम सिंह का इलाज किया जा रहा है और हाल ही में प्लाज्मा ट्रांसफ्यूजन के लिए एक ही रक्त समूह के साथ ठीक हुए मरीजों को ढूंढा गया है। अस्पताल के सूत्रों के मुताबिक, वे ठीक होने के सकारात्मक संकेत दिखा रहे हैं।