कहीं निजता पर भारी न पड़ जाए कोरोना वायरस, संक्रमितों पर नजर रख रही हैं जांच एजेंसियां
कोरोना संक्रमितों का पता लगाने के लिए सरकारें हर तरह की कोशिश कर रही हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह कोशिश लोगों की निजता पर भारी पड़ सकती है।
वाशिंगटन, न्यूयॉर्क टाइम्स। कोरोना लोगों की सेहत के लिए कितना घातक यह तो दिन-ब-दिन सामने आता ही जा रहा है। अब इसको लेकर और भी चौंकाने वाली बात सामने आने लगी है। कोरोना संक्रमितों का पता लगाने और होम क्वारंटाइन में रहने का निर्देश पाए लोगों पर नजर रखने के लिए दुनियाभर की सरकारें इन दिनों हरसंभव कोशिश कर रही हैं। सरकारों की यही कोशिश अब लोगों की निजता पर भारी पड़ती दिख रही है।
आवाजाही पर रखी जा रही नजर
दक्षिण कोरिया में सरकारी एजेंसियां सर्विलांस कैमरा की फुटेज, स्मार्टफोन लोकेशन डाटा और क्रेडिट कार्ड से खरीदारी के डाटा पर भी निगाह रख रही हैं। इसके जरिये एजेंसियां यह जानने की कोशिश में हैं कि कोरोना का मरीज हाल के दिनों में कहां-कहां गया है। इससे उन्हें संक्रमण की कड़ी को जोड़ने में भी मदद मिल रही है। ऐसा ही काफी कुछ इटली में हो रहा है। वहां एजेंसियां मोबाइल फोन लोकेशन डाटा पर नजर रख रही हैं।
फोन लोकेशन डाटा का कर रहीं इस्तेमाल
फोन लोकेशन डाटा का इस्तेमाल यह पता लगाने के लिए किया जा रहा है कि लोग सरकार की ओर से दिए गए लॉकडाउन के आदेश का कितना पालन कर रहे हैं। इसी के आधार पर अधिकारियों का कहना है कि निर्देश के बाद भी करीब 40 प्रतिशत लोग बहुत ज्यादा इधर-उधर जा रहे हैं। इजरायल की जांच एजेंसियां भी वायरस के संभावित प्रसार को रोकने के लिए लोगों के मोबाइल फोन के लोकेशन डाटा का इस्तेमाल कर रही हैं।
बिगड़ रहा है संतुलन
हर देश में स्वास्थ्य एवं कानून प्रवर्तन एजेंसियां इस महामारी के प्रसार पर लगाम लगाने की कोशिश में हैं। अब जानकारों को लगने लगा है कि एजेंसियों की इस कोशिश में लोगों की निजता और सार्वजनिक सुरक्षा के बीच का संतुलन बिगड़ने लगा है। इस वायरस पर लगाम के लिए एजेंसियां जिस तरह से हर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रही हैं, ऐसे में आने वाले समय में निसंदेह यह बहस का विषय बन सकता है कि ऐसे मामलों में आखिर लोगों की निजता से कहां तक समझौता करना सही है।