Move to Jagran APP

संयुक्‍त राष्‍ट्र के अध्‍ययन में दावा, लॉकडाउन के चलते आ सकते हैं अनचाही प्रेग्नेंसी के 70 लाख केस

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष ने कहा है कि लॉकडाउन के चलते आने वाले महीनों में अनचाहे गर्भधारण (unintended pregnancies) के 70 लाख मामले सामने आ सकते हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 29 Apr 2020 04:08 PM (IST)Updated: Wed, 29 Apr 2020 04:43 PM (IST)
संयुक्‍त राष्‍ट्र के अध्‍ययन में दावा, लॉकडाउन के चलते आ सकते हैं अनचाही प्रेग्नेंसी के 70 लाख केस
संयुक्‍त राष्‍ट्र के अध्‍ययन में दावा, लॉकडाउन के चलते आ सकते हैं अनचाही प्रेग्नेंसी के 70 लाख केस

संयुक्त राष्ट्र, पीटीआइ। दुनियाभर के तमाम मुल्‍कों में कोरोना वायरस को रोकने के लिए लगाया गया लॉकडाउन कई मायनों में प्रकृति के लिए वरदान साबित हुआ है तो इसके कुछ दूसरे नुकसानदायक पहलू भी सामने आने की आशंकाएं हैं। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UN Population Fund, UNFPA) ने कहा है कि लॉकडाउन के चलते निम्न और मध्यम आय वाले देशों में करीब पांच करोड़ महिलाएं आधुनिक गर्भनिरोधकों के इस्तेमाल से वंचित रह सकती हैं। चूंकि लॉकडाउन के कारण प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं बाधित हैं। यही कारण है कि आने वाले महीनों में अनचाहे गर्भधारण (unintended pregnancies) के 70 लाख मामले सामने आ सकते हैं।  

loksabha election banner

यूएनएफपीए और सहयोगियों की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना संकट के कारण बड़ी संख्या में महिलाओं की परिवार नियोजन के साधनों तक पहुंच नहीं बन पा रही है, जिससे उनके अनचाहे गर्भधारण का खतरा बढ़ गया है। यही नहीं लॉकडाउन के चलते महिलाओं के खिलाफ हिंसा एवं दूसरे प्रकार के शोषण के मामलों में तेजी दर्ज की जा सकती है। यूएनएफपीए की कार्यकारी निदेशक नतालिया कानेम का कहना है कि ये नए आंकडे़ लॉकडाउन की उस भयावहता की ओर इशारा कर रहे हैं जिसका सामना दुनियाभर में महिलाओं और लड़कियों को करना पड़ सकता है। 

कानेम (UNFPA Executive Director Natalia Kanem) ने कहा कि कोरोना महामारी स्‍त्री-पुरुष के बीच भेदभाव की खाई को और गहरा कर रही है। दुनियाभर में लाखों महिलाएं और लड़कियां परिवार नियोजन की योजनाओं का लाभ पाने से वंचित हो सकती हैं। अध्ययन के मुताबिक, दुनिया के 114 निम्न और मध्यम आय वाले देशों में लगभग 45 करोड़ महिलाएं गर्भनिरोधकों का इस्तेमाल करती हैं। लॉकडाउन के चलते लगी पाबंदियों के कारण निम्न और मध्यम आय वाले देशों में चार करोड़ 70 लाख महिलाएं आधुनिक गर्भनिरोधकों के इस्तेमाल से वंचित रह सकती हैं। 

अध्‍ययन में पाया गया है कि गर्भनिरोधकों के इस्तेमाल से वंचित रहने के कारण आने वाले महीनों में अनचाहे गर्भधारण (unintended pregnancies) के 70 लाख अतिरिक्त मामले सामने आ सकते हैं। लॉकडाउन की लंबी अवधि यानी यदि छह माह तक उक्‍त पाबंदियां जारी रहती हैं तो लैंगिक भेदभाव के तीन करोड़ 10 लाख अतिरिक्त मामले सामने आ सकते हैं। यही नहीं उक्‍त लॉकडाउन महिलाओं के खतने (FGM) और बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं को रोकने के लिए विभिन्‍न देशों में चलाए जा रहे कार्यक्रमों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। अध्‍ययन में बताया गया है कि लॉकडाउन के चलते एक दशक में एफजीएम के 20 लाख और मामले सामने आ सकते हैं।

अमेरिका के जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय (Johns Hopkins University, USA) के एवेनिर हेल्थ (Avenir Health) और ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया विश्वविद्यालय (Victoria University, Australia) के सहयोग से तैयार किए गए आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना संकट के चलते अगले 10 वर्षों में बाल विवाह के एक करोड़ 30 लाख केस सामने आ सकते हैं। हालांकि, कई दूसरे अध्‍ययन यह भी बताते हैं कि लॉकडाउन ने प्रकृति को खुद की क्षति दुरुस्‍त करने का एक मौका भी दिया है। नेचर पत्रिका में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, घातक रासायनिक गैसों के उत्सर्जन में कमी होने की वजह से ओजोन लेयर में काफी सुधार हुआ है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस बार बारिश के चक्र में भी अच्छा बदलाव देखने को मिलेगा। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.