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Coronavirus: भारत में घटते मामले करें पुकार, सावधानी का रखें खयाल, दूसरी लहर का न हो शिकार

भारत में घटते मामलों के बीच हमें और सावधानी बरतनी होगी ताकि हम महामारी की दूसरी लहर में संक्रमण के शिकार न हो जाएं। आइए आंकड़ों के जरिये जानते हैं कि किन देशों ने ऐसी गलती की और इसकी सजा भुगती।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 05:07 PM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 05:07 PM (IST)
Coronavirus: भारत में घटते मामले करें पुकार, सावधानी का रखें खयाल, दूसरी लहर का न हो शिकार
भारत में घटते मामलों के बीच कोरोनावायरस संक्रमण से बचने के लिए और सावधानी बरतनी होगी। (फाइल फोटो)

नई दिल्ली। देश में कोरोना के दैनिक मामले कम हुए हैं और उससे कहीं तेजी से सक्रिय मामलों में कमी आ रही है। यह अच्छी बात है। बावजूद इसके हमें दुनिया के दूसरे मुल्कों का उदाहरण नहीं भूलना चाहिए, जब कम होते मामलों के बीच लोगों ने लापरवाही बरती।

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इसके बाद बड़ी संख्या में मामले सामने आए और कोविड-19 महामारी के खिलाफ निर्णायक जंग तक पहुंची स्थिति से इन देशों को पीछे हटना पड़ा। भारत में घटते मामलों के बीच हमें और सावधानी बरतनी होगी, ताकि हम महामारी की दूसरी लहर में संक्रमण के शिकार न हो जाएं। आइए आंकड़ों के जरिये जानते हैं कि किन देशों ने ऐसी गलती की और इसकी सजा भुगती।

अमेरिका 

अमेरिका में मार्च में तेजी से मामले सामने आने शुरू हुए और अपै्रल के पहले सप्ताह तक सर्वाधिक दैनिक मामले 34 हजार पहुंच गए। हालांकि इसके बाद गिरावट का ट्रेंड दिखा और आठ जून को दैनिक मामले 20 हजार से भी कम रिकॉर्ड किए गए। इसके बाद स्थिति एक बार फिर विस्फोटक हो गई और छह जुलाई से दो अगस्त के मध्य रोजाना 50 हजार से अधिक मामले सामने आए। हालांकि एक बार फिर गिरावट आई और 07 सितंबर को मामले 30 हजार से कम रह गए, लेकिन फिर स्थिति बद से बदतर होती गई और मामले बहुत ही तेजी से बढ़ने लगे। यहां तक की 23 अक्टूबर को 81 हजार मामले सामने आए हैं। यह बताता है कि अमेरिका में लोगों ने घटते मामलों के दौरान सावधानी नहीं बरती। 

भारत 

भारत में अप्रैल में मामले बढ़ने शुरु हुए थे। हर दिन बीतने के साथ दैनिक मामलों में बढोतरी होती गई। जुलाई की शुरुआत में मामले 25 हजार के पार और इसी महीने के आखिर में 50 हजार के पार पहुंच गए। हालांकि सितंबर में सर्वाधिक दैनिक मामले 97 हजार से अधिक का आंकड़ा छूने के बाद घटने शुरू हुए। अक्टूबर में यह 50 हजार के करीब पहुंच चुके हैं। ऐसे में किसी भी तरह की लापरवाही कोरोना संक्रमण के मामलों में विस्फोट साबित होगी। इससे बचने के लिए हमें सतर्कता और सावधानी बरतनी होगी।

रूस 

दैनिक मामलों के घटने और फिर बढ़ने का यह ग्राफ बताने के लिए काफी है कि यहां के लोगों ने सबक नहीं सीखा। यहां एक बार दैनिक मामले पांच हजार से कम पहुंच गए थे। हालांकि चार अक्टूबर से यहां रोजाना 10 हजार से अधिक मामले सामने आ रहे हैं।

स्पेन 

महामारी की शुरुआत में बुरी तरह से प्रभावित होने के बाद स्पेन में मामले तेजी से कम हुए। मई और जून में इस महामारी से बहुत हद तक राहत मिली और सात जून को मामले घटकर 200 से भी कम रह गए। 16 अगस्त को 4,871 मामले सामने आए। इसके बाद एक भी दिन ऐसा नहीं था, जब दैनिक मामले पांच हजार से कम रहे हों। 22 अक्टूबर को सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए एक दिन में 20 हजार से अधिक मामले सामने आए।

फ्रांस 

यहां पर शुरुआत में मामले बढ़े और 31 मार्च को 7 हजार से अधिक मामले सामने आए। हालांकि इसके बाद दैनिक मामलों में कमी आई और मई-जून में यह घटकर सैंकड़ों में रह गए। संक्रमण घटने के बाद पहली बार 23 जुलाई को एक हजार से ज्यादा पुष्ट मामले सामने आए। इसके बाद तो जैसे नए पुष्ट मामलों की बाढ़ आ गई। 22 और 23 अक्टूबर को दोनों दिन 40 हजार से अधिक दैनिक मामले सामने आए।

ब्रिटेन 

ब्रिटेन का हाल भी दूसरे देशों से कुछ अलग नहीं है। यहां भी पहले बहुत तेजी से कोरोना संक्रमण के मामले सामने आए, लेकिन फिर इन पर लगाम लगी। जून-जुलाई में यह उम्मीद बंधी कि इस महामारी पर ब्रिटेन में काबू पा लिया जाएगा। लेकिन अगस्त में फिर से मामले ज्यादा होने लगे और सिंतबर-अक्टूबर में अचानक से यह मामले बहुत ही तेजी से बढ़े। ब्रिटेन में समुद्र किनारे लोगों का जमावड़ा और नियमों को नहीं मानने के कारण एक बार फिर अप्रैल की परिस्थितियों से दो-चार होना पड़ा है।


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