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Coronavirus: ट्रंप सरकार का हमला- WHO को बताया चीनी प्रोपेगैंडा का हथियार

Coronavirus अमेरिकी फंडिंग को रोकने की घोषणा के बाद ट्रंप सरकार ने आरोप लगाया है कि डब्ल्यूएचओ चीनी प्रोपेगैंडा का एक हथियार बन गया है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Wed, 22 Apr 2020 11:34 AM (IST)Updated: Wed, 22 Apr 2020 11:51 AM (IST)
Coronavirus: ट्रंप सरकार का हमला- WHO को बताया चीनी प्रोपेगैंडा का हथियार
Coronavirus: ट्रंप सरकार का हमला- WHO को बताया चीनी प्रोपेगैंडा का हथियार

वाशिंगटन, प्रेट्र।Coronavirus, विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्ल्यूएचओ) की अमेरिकी फंडिंग को रोकने की घोषणा के बाद ट्रंप सरकार ने डब्ल्यूएचओ पर एक बार फिर हमला बोला है। ट्रंप सरकार ने आरोप लगाया है कि डब्ल्यूएचओ चीनी प्रोपेगैंडा का एक हथियार बन गया है। ट्रंप सरकार ने साथ ही कहा है कि वैश्विक स्वास्थ्य एजेंसी(डब्ल्यूएचओ) ने दुनिया में जारी कोरोना संकट के दौरान अपनी सारी विश्वसनीयता खो दी है।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में घोषणा की कि वह संयुक्त राष्ट्र(यूएन) के विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के लिए अमेरिकी फंडिंग को रोकेंगे। गौरतलब है कि जिनेवा स्थित विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) में अमेरिका का सबसे बड़ा योगदान है।

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अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार(एनएसए) रॉबर्ट ओ ब्रायन ने मंगलवार को कहा कि डब्ल्यूएचओ के साथ समस्या यह है कि वे इस संकट के दौरान अपनी सारी विश्वसनीयता खो चुके हैं।उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसा नहीं है कि डब्ल्यूएचओ कई वर्षों से एक उच्च-विश्वसनीय संगठन रहा है। अमेरिका, डब्ल्यूएचओ पर करीब 50 अरब डॉलर से अधिक खर्च करता है। चीन, डब्ल्यूएचओ पर लगभग 40 करोड़ अमेरीकी डालर खर्च करता है, जो कि अमेरिका का दसवां हिस्सा है और फिर भी डब्ल्यूएचओ चीनी प्रचार का एक हथियार बन गया है।

एनएसए रॉबर्ट ओ ब्रायन ने कहा कि 14 जनवरी, 2020 को डब्ल्यूएचओ ने अमेरिका को आश्वस्त किया कि कोरोना वायरस के मनुष्य से मनुष्यों में संक्रमण का कोई खतरा नहीं है, जो पूरी तरह से गलत है।उन्होंने कहा कि फरवरी में डब्ल्यूएचओ ने यात्रा प्रतिबंधों की आलोचना की जो चीन और अन्य हॉटस्पॉटों से यात्रा पर लगाए जा रहे थे, न केवल अमेरिका द्वारा, बल्कि अन्य देशों द्वारा भी ऐसा किया गया।साथ ही कहा कि यह पूरी तरह से अनुचित सलाह है और सार्वजनिक स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा अस्वीकार कर दिया गया।उन्होंने कहा कि 11 मार्च को WHO गैर-चिकित्सीय सलाह के साथ सामने आया और कहा कि वायरस को लेकर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की प्रतिक्रिया में इसे शामिल करने में आश्चर्यजनक उपलब्धि रही है और अब यह घातक वायरस कम से कम 184 देशों में है।


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