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सेहत पर गहरा असर डाल सकती है कोरोना महामारी, शारीरिक और मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर भी गंभीर असर

नए अध्ययन में पाया गया है कि लोगों की शारीरिक और मानसिक सेहत पर भी कोरोना महामारी का लंबा और गहरा असर पड़ सकता है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 21 May 2020 06:42 PM (IST)Updated: Thu, 21 May 2020 06:42 PM (IST)
सेहत पर गहरा असर डाल सकती है कोरोना महामारी, शारीरिक और मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर भी गंभीर असर
सेहत पर गहरा असर डाल सकती है कोरोना महामारी, शारीरिक और मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर भी गंभीर असर

वाशिंगटन, प्रेट्र। कोरोना वायरस (कोविड-19) से इस समय लगभग पूरी दुनिया प्रभावित है। इसके चलते स्वास्थ्य संबंधी कई दूसरी समस्याएं भी पैदा हो रही हैं। अब एक नए अध्ययन में पाया गया है कि लोगों की शारीरिक और मानसिक सेहत पर भी कोरोना महामारी का लंबा और गहरा असर पड़ सकता है। अमेरिका के येल स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की असिस्टेंट प्रोफेसर सारा लोव ने कहा, 'शारीरिक और मानसिक सेहत के नजरिये से इस महामारी का अल्प और दीर्घकालीन गहन प्रभाव करने की आशंका है। इसके उन प्रभावों से भी ज्यादा गंभीर होने का अनुमान है, जो अतीत में आए कट्रीना तूफान के चलते देखने को मिले थे।' 

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शारीरिक दिक्कतों का इस आपदा से गहरा संबंध
पीएनएएस पत्रिका में प्रकाशित शोध के अनुसार, वर्ष 2005 में आए कट्रीना तूफान के बाद किए गए अध्ययन में पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसार्डर (पीटीएसडी) और मानसिक तनाव के साथ ही आम शारीरिक दिक्कतों का इस आपदा से गहरा संबंध पाया गया था। मौजूदा महामारी के दौर में भी इसी तरह की समस्याएं आमतौर पर देखी जा रही हैं।
 
इस शोध में हालांकि कोरोना महामारी के चलते बेरोजगारी और आर्थिक नुकसान जैसे प्रभावों को शामिल नहीं किया गया है। इनका भी जनस्वास्थ्य पर उल्लेखनीय असर पड़ रहा है। शोध के नतीजों से जाहिर होता है कि कोरोना प्रसार को रोकने और सेहत पर पड़ने वाले दीर्घकालीन असर पर ध्यान देने से इन समस्याओं की रोकथाम में मदद मिल सकती है। हालिया अध्ययन से भी यह सामने आ चुका है कि इस खतरनाक वायरस के चलते पीटीएसडी और डिलीरियम जैसी मानसिक समस्याएं भी खड़ी हो सकती हैं।
 
हर चौथा व्‍यक्ति डिलीरियम की चपेट में
एक नए अध्ययन में पाया गया है कि इस खतरनाक वायरस के संक्रमण के चलते डिप्रेशन (अवसाद) और व्यग्रता का भी खतरा पाया गया है। पीटीएसडी समस्या किसी भयावह घटना के कारण उत्पन्न होती है। इसमें पीड़ित व्यक्ति को बुरे सपने आते हैं। जबकि डिलीरियम से पीड़ित व्यक्ति उलझन में रहता है। उसे सोचने और समझने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने पाया कि कोविड-19 के संक्रमण से अस्पताल में भर्ती होने वाला हर चौथा व्यक्ति बीमारी के दौरान डिलीरियम की चपेट में आ सकता है। इसके चलते अस्पताल में लंबे समय रहने या मौत का खतरा बढ़ सकता है। हालांकि कोरोना से उबरने के बाद के प्रभाव अभी ज्ञात नहीं हैं।
 
 

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