लगातार सिकुड़ रहा चंद्रमा, सतह पर पड़ीं सिलवटें
NASA के अंतरिक्षयान लूनर रीकॉनिसेंस आर्बिटर (एलआरओ) से प्राप्त तस्वीरों के विश्लेषण से पता चला है कि धरती का उपग्रह चंद्रमा लगातार सिकुड़ रहा है।
वाशिंगटन, एएफपी। नासा के अंतरिक्षयान लूनर रीकॉनिसेंस आर्बिटर (एलआरओ) से प्राप्त तस्वीरों के विश्लेषण से पता चला है कि धरती का उपग्रह चंद्रमा लगातार सिकुड़ रहा है। ऐसा होने से उसकी सतह पर सिलवटें पड़ रही हैं और भूकंप आ रहे हैं। इसका कारण चंद्रमा के भीतरी हिस्से का ठंडा होना बताया जा रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके चलते पिछले लाखों वर्षो के दौरान चंद्रमा करीब 150 फीट सिकुड़ गया है।
12 हजार से ज्यादा तस्वीरों के विश्लेषण से पता चला कि चंद्रमा के उत्तरी ध्रुव के पास लूनर बेसिन मारे फ्रिगोरिस में दरार पड़ रही है और यह अपनी जगह से खिसक रही है। चंद्रमा पर कई विशाल बेसिनों में से मारे फ्रिगोरिस एक है। भूगर्भीय नजरिये से इन बेसिनों को मृत माना जाता है। हमारी धरती की तरह चंद्रमा पर कोई टेक्टोनिक प्लेट नहीं है। इसके बावजूद इस पर टेक्टोनिक गतिविधि होती है। इस गतिविधि के चलते चंद्रमा का अंदरूनी हिस्सा उस समय के मुकाबले धीरे-धीरे गर्मी खो रहा है जब करीब साढ़े चार अरब साल पहले चंद्रमा अस्तित्व में आया था।
अपोलो ने रिकार्ड किया था भूकंप
नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, अपोलो मिशन द्वारा चंद्रमा पर रिकार्ड किए गए भूकंप के झटकों पर गौर किया गया। अपोलो के अंतरिक्षयात्रियों ने बीती सदी के सातवें और आठवें दशक में चंद्रमा पर भूकंपीय गतिविधियों को पहली बार मापा था।
चंद्रमा पर जारी हैं भूगर्भीय गतिविधियां
अमेरिका की मैरीलैंड यूनिवर्सिटी में भूगर्भ विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर निकोलस शिमर ने कहा, 'इसकी पूरी संभावना है कि चंद्रमा पर भूगर्भीय गतिविधियां आज भी जारी हो सकती हैं। इसलिए यह सोचना रोमांचक है कि इन गतिविधियों के चलते चंद्रमा पर अब भी भूकंप आ रहे हैं।'
रोबोटिक अंतरिक्षयान है एलआरओ
एलआरओ अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का रोबोटिक अंतरिक्षयान है। यह चंद्रमा का चक्कर लगा रहा है। इसे 18 जून, 2009 को लांच किया गया था।
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