पिछल रहे हैं हिमालय के ग्लेशियर्स, पानी की कमी बनेगी बड़ी समस्या
अमेरिका के ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कहा है कि सन 2100 तक जलवायु परिवर्तन की वजह से एंडीज पहाड़ और तिब्बती पठार पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है।
वाशिंगटन,पीटीआइ। जलवायु परिवर्तन की वजह से हिमालय के ग्लेसियर्स काफी तेज़ी से पिघल रहे हैं। इसके चलते जल्द ही भारत, पाकिस्तान और नेपाल के कुछ हिस्सों में पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिका के ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में इसका खुलासा हुआ है।
यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कहा है कि सन 2100 तक जलवायु परिवर्तन की वजह से एंडीज पहाड़ और तिब्बती पठार पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है। उनका मानना है कि यहां से आधी बर्फ गायब हो जाएगी।
शोधकर्ताओं ने कहा कि पिछले कुछ समय में पानी की आपूर्ति में कमी आई है और बढ़ती आबादी के कारण इसकी मांग बढ़ रही है। पेरू में ग्लेशियर फसलों, पशुओं और आमजन के लिए भारी मात्रा में पानी की आपूर्ति करते हैं। 2016 में, चीन और भारत के शोधकर्ताओं ने तिब्बती पठार पर इसी तरह के शोध करने के लिए एक पहल की थी, जिसमें हजारों ग्लेशियर शामिल थे, जो अफगानिस्तान, भूटान, चीन, भारत, नेपाल, पाकिस्तान और तजाकिस्तान के कुछ हिस्सों में लोगों को पानी की आपूर्ति कर सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय शोध दल ने 'तीसरे ध्रुव' पठार को संवारना शुरू किया। यहां उत्तर और दक्षिण ध्रुवों में उपयोग करने हेतु पानी का सबसे बड़ा भंड़ार है। इसके बाद से उन्होंने तिब्बती पठार और एंडीज पहाड़ों से बर्फ का नमूना लिया और इसके तापमान, वायु गुणवत्ता और अन्य बड़े पैमाने को लेकर पूर्व में हुए घटनाओं के बारे में जानने के लिए इसकी जांच की।
थॉम्पसन ने कहा कि हमें लगता है कि पिछले 200 सालों के बारे में हमें लगभग सबकुछ पता चल गया है। अब हम पिछले 10,000 साल के बारे में पता लगाना चाहते हैं।
पूर्व में अल नीनो की वजह से ग्लेशियर्स ने कई बार तापमान में वृद्धि का संकेत दिए हैं। हालांकि, पिछली शताब्दी के भीतर, एंडीज और हिमालय दोनों के ग्लेशियर्स ने तापमान में व्यापक तौर पर लगातार वृद्धि के संकेत दिए हैं।
थॉम्पसन ने कहा कि वर्तमान समय में तापमान वृद्धि सामान्य नहीं है। यह काफी तेजी से बढ़ रहा है। इससे पेरू और भारत दोनों के ग्लेशियर्स प्रभावित हो रहे हैं। यह एक बड़ी समस्या है, क्योंकि बहुत से लोग पानी के लिए इन ग्लेशियर्स पर आश्रित हैं। ग्लेशियर पिघलने से हिमस्खलन और बाढ़ का खतरा बढ़ रहा है। इससे भी क्षेत्र की जलापूर्ति पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है।