ड्रैगन का हमला : चीनी हैकर्स ने उड़ाया अमेरिकी सेना का सीक्रेट डेटा, हो सकता है बड़ा नुकसान
चीनी हैकर्स ने अमेरिकी नौसेना के कॉन्ट्रैक्टर से नई तरह की जहाज रोधी मिसाइल विकसित करने की गोपनीय योजना समेत कई संवेदनशील जानकारियां चोरी की।
वॉशिंगटन (आइएएनएस)। चीन के हैकर्स अमेरिकी सेना का डेटा चुरा रहे हैं। जानकारी के मुताबिक चीनी सरकार के हैकर्स ने अमेरिकी नौसेना के कॉन्ट्रैक्टर से नई तरह की जहाज रोधी मिसाइल विकसित करने की गोपनीय योजना समेत समुद्र के नीचे युद्ध से संबंधित कई अति संवेदनशील जानकारियां चोरी कर ली हैं। शुक्रवार को अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि एफबीआइ की मदद से नौसेना इस मामले की जाचं कर रही है। बताया जा रहा है कि ये घटना जनवरी-फरवरी की है।
करीब 614 गीगाबाइट जानकारी चोरी
‘द वॉशिंगटन पोस्ट’ में छपी खबर के मुताबिक, हैकर्स ने कॉन्ट्रैक्टर को निशाने पर लिया, जो नौसेना अंडर-सी वारफेयर सेंटर के लिए काम करते हैं। जानकारी के अनुसार, जनवरी और फरवरी में करीब 614 गीगाबाइट जानकारी चोरी की गई, जिसमें 2020 तक अमेरिकी पनडुब्बियों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सुपरसोनिक जहाज रोधी मिसाइल विकसित करने की गोपनीय योजना भी शामिल है। रिपोर्ट में बताया गया कि चीनी हैकर्स ने एक कॉन्ट्रैक्टर के कंप्यूटर को हैक करके ये सारी जानकारी हासिल की। हालांकि अखबार ने कॉन्ट्रैक्टर के नाम का खुलासा नहीं किया है।
अमेरिका के सीक्रेट डेटा पर 'ड्रैगन' का वार
चीनी हैकर्स द्वारा चोरी की गई गोपनीय जानकारी में 'सी ड्रैगन' नाम की गोपनीय परियोजना से संबंधित डाटा भी है। साथ ही सिग्नल्स और सेंसर डेटा व नौसेना की पनडुब्बी विकास ईकाई की इलेक्ट्रॉनिक युद्ध संबंधी लाइब्रेरी भी इसमें शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक, पेंटागन के इंस्पेक्टर जनरल कार्यालय ने कहा है कि रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने साइबर सुरक्षा मुद्दों के कॉन्ट्रैक्टर की समीक्षा करने का आदेश दिया है।
FBI की मदद से नौसना कर रही जांच
चोरी किया गया डेटा बेहद संवेदनशील है। ऐसे में नौसेना एफबीआइ की मदद से इसकी जांच कर रही है। बता दें कि चीनी हैकर्स पहले भी इस तहत की हरकत कर चुके हैं। पेंटागन ने बताया कि उन्होंने पहले नए एफ -35 स्टील्थ लड़ाकू विमान , पैट्रॉइट पीएसी -3 मिसाइल प्रणाली और अन्य अति संवेदनशील परियोजनाओं पर अहम जानकारियां चोरी की थी। ये हरकत सैन्य प्रौद्योगिकी में अमेरिकी के बढ़ते कदम को रोकने और पूर्वी एशिया में प्रमुख शक्ति बनने के लिए चीन के लंबे समय से चलने वाले प्रयासों का हिस्सा है।