कोरोना की आड़ में कमाई करने में जुटा चीन, वैश्विक महाशक्ति बनने के लिए अपना रहा हर हथकंडा
अमेरिका में कोरोना संकट के दौरान चिकित्सा सामग्री और उपकरण का टोटा पड़ने से हालात भयावह है।
न्यूयार्क, एजेंसियां। दुनिया भर में कहर बरपा करने वाले कोरोना के लिए जिम्मेदार चीन अब इसकी आड़ में कमाई करने में जुट गया है। मदद के नाम दूसरे देशों को चिकित्सा सामग्री और उपकरण बेचकर वह भारी मुनाफा कमा रहा है। विडंबना की बात है कि अमेरिका जैसी महाशक्ति भी इस समय उसकी आपूर्ति की मोहताज है। भारत की भी यही स्थिति है। दुनिया के कई कमजोर देश तो पूरी तरह उसके रहमोकरम पर हैं। चीन की इस कुटिल चाल को विशेषज्ञों ने भांप लिया है। इन लोगों ने दुनिया को आगाह किया है कि अपनी धमक बनाने के लिए चीन कमजोर देशों को मीडिया के तेवर कुंद करने का विचार भी दे रहा है।
मुनाफा कमा रहा चीन
मनीला स्थित अकादमिक रिचर्ड जवाद हेडेरिन ने एशिया टाइम्स में प्रकाशित अपने लेख में लिखा कि दुनिया जहां कोरोना संकट पर काबू पाने के लिए जी जान से जूझ रही है वहीं चीन इसकी आड़ में मुनाफा कमाने में जुट गया है। पिछले कुछ दिनों में चीन ने अपनी सैन्य गतिविधियां भी बढ़ा दी हैं।
चीन के कई शीर्ष अधिकारी मानते हैं कि कोरोना वायरस चीन की सेना ने फैलाया
उन्होंने लिखा है कि चीन कोरोना के कहर अपने ढंग से बयां करने के लिए कई स्तर से काम कर रहा है। उनके अनुसार चीन के कई शीर्ष अधिकारी मानते हैं कि कोरोना वायरस चीन की सेना ने फैलाया। कोरोना संकट के समय भी चीन दक्षिण चीन सागर में अपनी सामरिक और आर्थिक धमक कायम रखने में जुटा रहा। चीन ने उत्तरी क्षेत्र के समुद्र में हाल ही में प्राकृतिक गैस का बड़ा भंडार खोज निकालने की घोषणा की है। चीन ने यह कामयाबी ऐसे समय पाई है जब बाकी देश अपने सभी संशाधनों का इस्तेमाल बीमारी से निपटने में कर रहे हैं। कोराना से तबाह हो रहे देश अमेरिका ने मेडिकल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए डिफेंस प्रोडक्शन कानून लागू किया है। वहीं चीन के पड़ोसी मुल्कों मलेशिया और फिलीपींस में लॉकडाउन लागू किया गया है।
जिम्मेदार वैश्विक नेता नेता बनने की चाह
कोरोना वायरस संकट के समय चीन खुद को जिम्मेदार वैश्विक नेता साबित करने की आड़ में दुनिया का चौधरी बनने की कोशिश में जुटा है।
मेडिकल सप्लाई की मदद करके चीन फायदा लेना चाहता है
इंटरनेशनल रिपब्लिकन इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ सलाहकार डेविड शुलमैन ने वार आन द राक्स में लिखा है कि कोरोना से बुरी तरह प्रभावित देशों को मेडिकल सप्लाई की मदद करके चीन के नेता ठोस फायदा लेना चाहते हैं। वे वैश्विक परिदृश्य को अपनी सुविधा और लाभ के हिसाब से बदलना चाहते हैं।
चीन की शर्ते मानने का दबाव
इन देशों को मास्क, दवा, वेंटीलेटर, जिसमें कुछ ठीक से काम भी नहीं करते, की आपूर्ति यों ही नहीं हो रही है। सप्लाई के साथ इन देशों पर चीन की शर्ते मानने का दबाव भी शामिल है। जो देश अभी तक अपने यहां फाइव जी मोबाइल सेवा में चीनी कंपनी हुवावे का विरोध कर रहे हैं वे भी दबाव में हैं।
कमजोर लोकतंत्र वाले देशों में चीन मदद की आड़ में अपना माडल भी थोपना चाहता है
अपने आलोचकों का मुंह बंद करने के लिए कुख्यात चीन मदद की आड़ में कमजोर लोकतंत्र वाले देशों में सूचना पर नियंत्रण रखने वाला अपना माडल भी थोपना चाह रहा है।
उल्लेखनीय है चीन ने 2003 में सार्स फैलने पर खुद पर तोहमत लगने पर मीडिया और मामले की पैरवी कर रहे समूहों का मुंह बंद कर दिया था। इसी तरह इस बार कोविड-19 की जानकारी देने वालों को भी यही सब भुगतना पड़ा।
चीन इस समय कंबोडिया को जनमत को अपने हिसाब से प्रभावित करने के हथकंडे सिखा रहा
चीन इस समय कंबोडिया, सर्बिया और युगांडा जैसे देशों को जनमत को अपने हिसाब से प्रभावित करने, और पत्रकारों व सिविस सोसायटी को नियंत्रित करने और उनकी निगरानी के हथकंडे सिखा रहा है।
उन्होंने लेख में लिखा है कि अमेरिका और उसके सहयोगी देशों को विश्व में अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए चीन की कुटिल चालों का विरोध करते रहना होगा।
अमेरिका ने भी माना, चीन कोरोना के नाम पर कर रहा कमाई
अमेरिका के न्यूयार्क प्रांत के गवर्नर एंड्यू कुओमो का भी मानना है कि दुनिया भर में कोरोना के प्रकोप के लिए जिम्मेदार चीन अब इसकी आड़ में कमाई कर रहा है। मास्क, दवा और वेंटीलेटर महंगे दाम पर बेचकर वह मनमाना मुनाफा ले रहा है। अफसोस तो इस बात का है कि अमेरिका जैसी महाशक्ति उस पर निर्भर है।
अमेरिका में कोरोना संकट के दौरान चिकित्सा सामग्री और उपकरणाेंं का टोटा
अमेरिका में कोरोना संकट के दौरान चिकित्सा सामग्री और उपकरण का टोटा पड़ने से हालात भयावह है। भारत द्वारा कुछ दवाओं के निर्यात पर पाबंदी लगाने से भी अमेरिका को दिक्कत हुई है। भारत हर साल अमेरिका को 5.35 अरब डालर की दवाएं भेजता है।
कोरोना संकट के चलते अमेरिका में वेंटीलेटर के दाम दोगुने हो गए
लुइसियाना के गवर्नर जान बेल एडवर्ड ने बताया कि इस संकट काल में अमेरिका में वेंटीलेटर के दाम दोगुने तक हो गए हैं। उन्होंने कहा कि देश में बीते 35 साल में उद्योगों को दूसरे देश में ले जाने की नीति के कारण आज अमेरिका को चीन के सामने लाचार होना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस संकट से उबरने के बाद हो सकता है देश में सभी लोग राष्ट्रपति की अमेरिका फर्स्ट की नीति पर सहमत हो जाएं।
ट्रंप ने की चीन से मेडिकल सप्लाई मंगाने के लिए 51 उड़ानों की घोषणा
उल्लेखनीय है ट्रंप ने मौजूदा संकट के लिए चीन से मेडिकल सप्लाई मंगाने के लिए आनन फानन में 51 उड़ानों की घोषणा की है। रूस के एक संगठन ने भी अपने खर्च पर अमेरिका को मेडिकल सप्लाई भेजी है। गरीब देशों की मदद करने वाले संयुक्त राष्ट्र ने न्यूयार्क शहर के लिए मास्क की खेप भेजी है।
हम लोग मेडिकल सप्लाई पर दूसरे देशों का मुंह ताकते हैं
इस मामले में व्हाइट हाउस ट्रेड एंड मैन्यूफैक्चरिंग पालिसी के निदेशक पीटर नवारो ने कहा कि इस संकट ने हमें चेताया है कि हम लोग मेडिकल सप्लाई पर खतरनाक स्तर तक दूसरे देशों पर निर्भर हैं। पेनीसिलीन, मास्क और वेंटीलेटर जैसी चीजों को लिए आज हम दूसरे देशों का मुंह ताकते हैं।