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जलवायु संकट पर बोला आमेरिका, भारत-चीन-रूस को कार्बन उत्सर्जन में करनी होगी कटौती

अमेरिका के विशेष दूत जॉन केरी ने कहा कि भारत रूस चीन और जापान समेत प्रमुख 17 कार्बन उत्सर्जक देशों को वास्तव में कदम उठाने एवं उत्सर्जन को कम करने की शुरुआत करने और उसके लिए काम करने की जरूरत है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Sat, 20 Feb 2021 03:22 PM (IST)Updated: Sat, 20 Feb 2021 03:22 PM (IST)
जलवायु संकट पर बोला आमेरिका, भारत-चीन-रूस को कार्बन उत्सर्जन में करनी होगी कटौती
जलवायु संकट पर अमेरिका के विशेष दूत जॉन केरी ने कहा कि चीन दुनिया का सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक है।

संयुक्त राष्ट्र, प्रेट्र। जलवायु संकट पर अमेरिका के विशेष दूत जॉन केरी ने जोर देकर कहा है कि भारत, चीन और रूस सहित सभी 17 प्रमुख कार्बन उत्सर्जक देशों को आगे आने एवं उत्सर्जन में कटौती करने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि सभी देश जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अपनी लड़ाई को और तेज करें। बता दें कि अमेरिका आधिकारिक रूप से जलवायु परिवर्तन पर हुए पेरिस समझौते में दोबारा शामिल हो गया है। इससे पहले, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को समझौते से अलग कर लिया था।

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केरी ने शुक्रवार को कहा, 'सब कुछ त्वरित आधार पर करने के भाव से और इस प्रतिबद्धता से किया जाना चाहिए कि हमें यह लड़ाई जीतनी ही है। हमें जरूरत है कि अमेरिका सहित प्रत्येक देश वर्ष 2050 तक शून्य उत्सर्जन के रास्ते पर जाने को प्रतिबद्ध हों।' उन्होंने कहा, 'अगले 10 वर्षो में हम क्या कदम उठाएंगे, इस बारे में जानकारी होना आवश्यक है। चीन दुनिया का सबसे बड़ा (कार्बन) उत्सर्जक है और ऐसी स्थिति में वर्ष 2020 से 2030 के बीच जो भी प्रयास किए जाएं, उसमें बीजिंग की हिस्सेदारी होने की आवश्यक है।

केरी ने कहा, 'भारत को इसका हिस्सा होने की जरूरत है, रूस को हिस्सा होने की जरूरत है। इसी तरह जापान और प्रमुख 17 उत्सर्जक देशों को वास्तव में कदम उठाने एवं उत्सर्जन को कम करने की शुरुआत करने की जरूरत हैं।' केरी ने कहा कि यह चुनौती है, इसका मतलब है कि सभी देशों ने जो भी साहसिक और प्राप्त करने वाले लक्ष्य तय किए हैं, उसके लिए काम करने की जरूरत है।

बता दें कि संयुक्त राष्ट्र का 26वां जलवायु सम्मेलन (सीओपी26) इस वर्ष नवंबर में ग्लासगो में आयोजित किया जाएगा। पेरिस जलवायु समझौते पर वर्ष 2015 में हस्ताक्षर किए गए थे। समझौते के तहत भारत ने अपने सकल घरेलू उत्पाद के ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में 33-35 फीसद कटौती करने की प्रतिबद्धता जताई थी। साथ ही गैर जीवाश्म ईधन के प्रयोग को बढ़ाने की बात कही थी।


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