दक्षिण चीन सागर में बहुत ज्यादा आक्रामक है चीन, कुछ मामलों में बल का भी कर रहा इस्तेमाल
चीन दक्षिण चीन सागर पर पड़ोसी देशों के अधिकार को नकारते हुए पूरे समुद्री क्षेत्र पर अपना अधिकार बताता है। वहां पर उसने कृत्रिम द्वीप बनाकर सेनाएं भी तैनात कर दी हैं। इस समुद्री क्षेत्र में वियतनाम मलेशिया फिलीपींस ब्रूनेई और ताइवान की भी हिस्सेदारी है।
वाशिंगटन, एजेंसी। चीन अपने आसपास के इलाके में बहुत ज्यादा आक्रामक है और कुछ मामलों में उसे ताकत के इस्तेमाल में भी गुरेज नहीं। यह बात अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने रविवार को एबीसी न्यूज के टॉक शो में कही। ऑस्टिन ने कहा, चीन अपनी सेना के आधुनिकीकरण में लगा हुआ है। वह ताकत में अमेरिका की बराबरी करना चाहता है। कुछ मामलों में नजदीकी इलाकों में उसकी बहुत ज्यादा आक्रामकता सामने आई। उसने हमारे सहयोगियों के खिलाफ बल भी प्रयोग किया है। हमारे लिए सहयोगी बहुत महत्वपूर्ण हैं। अमेरिकी रक्षा मंत्री ने यह बात चीन की पड़ोसी देशों के साथ मनमानी पर कही है।
उल्लेखनीय है कि चीन दक्षिण चीन सागर पर पड़ोसी देशों के अधिकार को नकारते हुए पूरे समुद्री क्षेत्र पर अपना अधिकार बताता है। वहां पर उसने कृत्रिम द्वीप बनाकर सेनाएं भी तैनात कर दी हैं। इस समुद्री क्षेत्र में वियतनाम, मलेशिया, फिलीपींस, ब्रूनेई और ताइवान की भी हिस्सेदारी है। इसके अतिरिक्त चीन का भारत के साथ पहले डोकलाम में और उसके बाद पूर्वी लद्दाख में विवाद हुआ। विदेश नीति पर अपने भाषण में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी चीन को अमेरिका का सबसे गंभीर प्रतिद्वंद्वी करार दिया था। अमेरिका का चीन के साथ मानवाधिकारों, बौद्धिक संपदा, आर्थिक नीतियों समेत कई मसलों पर टकराव है।
एक सवाल के जवाब में ऑस्टिन ने कहा कि राष्ट्रपति बाइडन ने साफ कर दिया है कि उनका देश सऊदी अरब के साथ अलग तरह के संबंध विकसित करेगा। इसका मतलब यह नहीं होगा कि हमारे संबंध अच्छे नहीं रहेंगे। हमें उम्मीद है कि अमेरिका और सऊदी अरब के संबंध पहले तरह की मजबूत रहेंगे लेकिन कुछ शर्तो के साथ। उल्लेखनीय है कि बाइडन प्रशासन ने यमन में चल रही ल़़डाई में सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठबंधन का समर्थन करने से इन्कार कर दिया है।