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चीन और रूस को मिली यूएन के मानवाधिकार परिषद की सदस्यता, सऊदी का हुआ कड़ा विरोध

सऊदी अरब द्वारा घोषित सुधार योजनाओं के बावजूद ह्यूमन राइट्स वॉच और अन्यों ने इसकी उम्मीदवारी का कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि मध्य पूर्व राष्ट्र मानवाधिकार रक्षकों असंतुष्टों और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं को निशाना बनाता रहा है।

By Neel RajputEdited By: Published: Wed, 14 Oct 2020 09:40 AM (IST)Updated: Wed, 14 Oct 2020 09:40 AM (IST)
चीन और रूस को मिली यूएन के मानवाधिकार परिषद की सदस्यता, सऊदी का हुआ कड़ा विरोध
सऊदी अरब को नहीं मिल सकी UNHRC की सदस्यता

यूनाइटेड नेशन, एपी। चीन, रूस और क्यूबा संयुक्त राष्ट्र के संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (United Nations Human Rights Council, HRC) की सदस्यता हासिल करने में कामयाब हुए हैं, जबकि सऊदी अरब इसमें सफल नहीं हो सका। इस दौड़ में 193 सदस्यीय यू.एन. महासभा में गुप्त मतदान में, पाकिस्तान को 169 मत मिले, उज्बेकिस्तान को 164, नेपाल को 150, चीन को 139 और सऊदी अरब को मात्र 90 मत मिले।

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सऊदी अरब द्वारा घोषित सुधार योजनाओं के बावजूद, ह्यूमन राइट्स वॉच और अन्यों ने इसकी उम्मीदवारी का कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि मध्य पूर्व राष्ट्र मानवाधिकार रक्षकों, असंतुष्टों और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं को निशाना बनाता रहा है। वहीं, पिछले दुर्व्यवहारों के लिए बहुत कम जवाबदेही का प्रदर्शन किया है, जिसमें वाशिंगटन पोस्ट के लेखक की हत्या और दो साल पहले इस्तांबुल में सऊदी वाणिज्य दूतावास में सऊदी के पत्रकार जमाल खाशोगी की हत्या भी शामिल है।

खाशोगी द्वारा स्थापित संगठन डेमोक्रेसी फोर द अरब वर्ल्ड नाओ के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, सारा लायह विटसन (Sarah Leah Whitson) ने कहा कि अपने अत्याचारों को छुपाने के लिए सार्वजनिक संबंधों पर करोड़ों डॉलर खर्च करने के बावजूद सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को नहीं खरीद सके। उन्होंने कहा कि जब तक सऊदी अरब राजनीतिक कैदियों को रिहा करने के लिए नाटकीय सुधार नहीं करता है, यमन में अपने विनाशकारी युद्ध को समाप्त नहीं करता है और अपने नागरिकों को सार्थक राजनीतिक भागीदारी की अनुमति नहीं देता है, तब तक उसे अंतर्राष्ट्रीय तौर पर खारिज किया जाता रहेगा।

150 वोटों के साथ नेपाल को दोबारा मिली सदस्यता

नेपाल (Nepal) को मानवाधिकार परिषद के सदस्य के तौर पर दोबारा चुना गया है। इस संबंध में नेपाल विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी रिलीज में बताया गया, 'जनवरी 2018 से परिषद के सदस्य के तौर पर काम करने वाले नेपाल का चुनाव दोबारा 150 वोटों से किया गया है। इसके बाद अब नेपाल और तीन साल 2021-2023 तक परिषद के सदस्य के तौर पर काम करेगा।'


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