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कीमोथेरेपी से मांसपेशियों का निर्माण होता है बाधित, नए शोध में आया सामने

शोधकर्ताओं के अनुसार पहले से यह माना जाता रहा है कि कीमोथेरेपी की दवाएं कोशिकाओं के माइटोकांडिया (ऊर्जा घर या स्नोत) को प्रभावित करती है जिसके कारण आक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ने से मांसपेशियों के ऊतकों को नुकसान होता है।

By Neel RajputEdited By: Published: Sun, 28 Nov 2021 12:24 PM (IST)Updated: Sun, 28 Nov 2021 12:24 PM (IST)
कीमोथेरेपी से मांसपेशियों का निर्माण होता है बाधित, नए शोध में आया सामने
यह निष्कर्ष अमेरिकन जर्नल आफ फिजियोलाजी- सेल फिजियोलाजी में प्रकाशित हुआ है

वाशिंगटन, एजेंसी। एक नए अध्ययन में सामने आया है कि कैंसर (Cancer) के इलाज में इस्तेमाल होने वाली कीमोथेरेपी (Chemotherapy) से शरीर की नई मांसपेशियों के निर्माण की प्रक्रिया भी बाधित होती है। यह निष्कर्ष अमेरिकन जर्नल आफ फिजियोलाजी- सेल फिजियोलाजी में प्रकाशित हुआ है।

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शोधकर्ताओं के अनुसार, पहले से यह माना जाता रहा है कि कीमोथेरेपी की दवाएं कोशिकाओं के माइटोकांडिया (ऊर्जा घर या स्नोत) को प्रभावित करती है, जिसके कारण आक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ने से मांसपेशियों के ऊतकों को नुकसान होता है। लेकिन इस नए शोध में कीमोथेरेपी की तीन दवाओं का कल्चर माध्यम में मांसपेशियों के ऊतकों पर बहुत कम इस्तेमाल किया गया। इसके बावजूद मांसपेशियों पर असर हुआ, लेकिन इसमें मांसपेशियों के बनने की प्रक्रिया, जिसे प्रोटीन संश्लेषण कहते हैं, उस पर असर पड़ा।

शोधकर्ता गुस्तावो नादेर का कहना है कि हालांकि इस निष्कर्ष की इंसानों में पुष्टि के लिए अभी और अनुसंधान की जरूरत है, लेकिन भविष्य में इसका असर कैंसर के इलाज पर पड़ेगा। नादेर ने कहा कि कैंसर के इलाज में यदि इस पर विचार भी किया जाए कि दवा की कम डोज दी जाए, जिससे कि आक्सीडेटिव स्ट्रेस पैदा नहीं हो, तब भी कीमोथेरेपी की कुछ दवाएं मांसपेशी की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती हैं। ट्यूमर तो पहले ही लोगों को कमजोर कर चुका होता है और इलाज के कारण भी मांसपेशी को नुकसान पहुंचता है। इस कारण विशेषज्ञों को कीमोथेरेपी इलाज को लेकर विचार करना होगा कि किस तरह से इसे और सुरक्षित बनाया जा सके।

उन्होंने बताया कि लंबे समय से यह माना जाता रहा है कि कीमो के कारण मांसपेशियों के नुकसान का मामला उसमें जमा प्रोटीन का स्तर घटने से जुड़ा है। इसलिए पहले के शोध का फोकस प्रोटीन के स्तर को कम होने से रोकने पर रहा। लेकिन इस ताजा अध्ययन में पाया गया है कि समस्या प्रोटीन संश्लेषण या निर्माण में है।


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