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कोविड-19 के उपचार में परखी जा रही सेल थेरेपी, पढ़ें क्या कहा शोधकर्ताओं ने

कोरोना से गंभीर रूप से पीडि़त रोगियों में एआरडीएस के चलते सूजन के साथ फेफड़ों में तरल पदार्थ भर जाता है। इससे सांस लेने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

By Nitin AroraEdited By: Published: Wed, 08 Apr 2020 09:39 AM (IST)Updated: Wed, 08 Apr 2020 09:39 AM (IST)
कोविड-19 के उपचार में परखी जा रही सेल थेरेपी, पढ़ें क्या कहा शोधकर्ताओं ने
कोविड-19 के उपचार में परखी जा रही सेल थेरेपी, पढ़ें क्या कहा शोधकर्ताओं ने

वॉशिंगटन, आइएएनएस/प्रेट्र। कोरोना वायरस (कोविड-19) से मुकाबले के लिए इस समय पूरी दुनिया में शोध और परीक्षण तेज हो गए हैं। इसी कवायद में ब्रिटिश शोधकर्ताओं को एक नई सेल थेरेपी में उम्मीद देखी है। वे कोरोना संक्रमण के उपचार में इस थेरेपी को परख रहे हैं।

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ब्रिटेन की क्वींस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का एक दल बडे़ पैमाने पर इस थेरेपी को लेकर क्लीनिकल ट्रायल कर रहा है। कोरोना वायरस के चलते होने वाले एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) से जूझ रहे रोगियों पर मेसेंकाइमल स्ट्रोमल सेल्स (एमएससी) का परीक्षण किया जा रहा है।

कोरोना से गंभीर रूप से पीडि़त रोगियों में एआरडीएस के चलते सूजन के साथ फेफड़ों में तरल पदार्थ भर जाता है। इससे सांस लेने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यह स्थिति अक्सर ही घातक हो जाती है। ऐसे रोगियों को वेंटीलेटर की जरूरत पड़ सकती है। क्वींस की प्रोफेसर सेसिलिया ओकेन ने कहा, 'हम सिर्फ क्लीनिकल ट्रायल के जरिये ही यह तय कर सकते हैं कि यह नया उपचार रोगियों के लिए प्रभावी और सुरक्षित है या नहीं।' 

कोरोना संक्रमण को रोक सकती है नई मर्स वैक्सीन

वैज्ञानिकों का कहना है कि चूहे में घातक मर्स से पूरी तरह बचाव करने में एक नई वैक्सीन प्रभावी पाई गई है। कोविड-19 का कारण बनने वाले नए कोरोना वायरस से इस मर्स (मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम) का करीबी जुड़ाव होता है।

अमेरिका की आयोवा यूनिवर्सिटी और जार्जिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की उत्पत्ति के लिए कोशिकाओं में मर्स कोरोना वायरस प्रोटीन पहुंचाने के लिए वैक्सीन में एक वायरस का इस्तेमाल किया गया। चूहे में आजमाई गई यह मर्स वैक्सीन प्रभावी पाई गई है।

इस तरीके से कोविड-19 समेत दूसरे कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन के विकास की राह खुल सकती है। जर्नल एमबायो में प्रकाशित नतीजों के मुताबिक, यह वैक्सीन नुकसान नहीं पहुंचाने वाला पैराइंफ्लुएंजा वायरस (पीआइवी5) है। टीकाकरण किए गए सभी चूहे मर्स कोरोना वायरस की घातक खुराक के बावजूद जीवित पाए गए। 


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