अध्ययन में किया दावा, फ्लू से बढ़ता है स्ट्रोक का खतरा
बताया गया कि उन लोगों को स्ट्रोक होने का 40 प्रतिशत तक ज्यादा खतरा था, जिनको पिछले 15 दिनों के भीतर ही फ्लू जैसे लक्षणों के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
न्यूयॉर्क, आइएएनएस। एक नए अध्ययन में यह दावा किया गया है कि फ्लू होने से एक वर्ष तक स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, शोधकर्ता इसके पीछे के कारणों के बारे में ज्यादा नहीं जानते। इसका कारण फ्लू के दौरान आई सूजन भी हो सकती है। पिछले अध्ययनों से भी इसे जोड़ कर देखा जा सकता है जिसमें यह दावा किया गया था कि फ्लू की दवा स्ट्रोक का खतरा कम करती है।
अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए 72 वर्ष के आयु के आस-पास के ऐसे 30,912 लोगों का रिकॉर्ड देखा जिनको स्ट्रोक होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अमेरिकन स्ट्रोक एसोसिएशन के इंटरनेशनल स्ट्रोक क्रांफ्रेंस 2019 में इसके परिणाम रखे गए गए।
बताया गया कि उन लोगों को स्ट्रोक होने का 40 प्रतिशत तक ज्यादा खतरा था, जिनको पिछले 15 दिनों के भीतर ही फ्लू जैसे लक्षणों के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मिशिगन स्टेट के प्रोफेसर फिलिप बी गोरेलिक ने कहा, यह एसोसिएशन 15 दिनों का था। बताया कि यह जानना लोगों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर उन्हें फ्लू हो जाता है, तो वे स्ट्रोक के लक्षणों पर नज़र रख सकें।
यह हो सकता है कारण
एक अन्य अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि फ्लू होने के बाद गर्दन की धमनी के फटने का खतरा बढ़ जाता है। इसको औपचारिक रूप से ग्रीवा धमनी विच्छेदन कहा जाता है, तब होता है जब गर्दन की बड़ी रक्त वाहिकाओं में से एक क्षतिग्रस्त हो जाती है, जिससे रक्त के थक्के बनते हैं। डेलीमेल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार यह स्ट्रोक का एक प्रमुख कारण है क्योंकि यह मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति को प्रभावित करता है।