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कैंसर विशेषज्ञों की चेतावनी- तत्काल कदम नहीं उठाए तो भारत में होगी 'कैंसर की सुनामी'

कैंसर विशेषज्ञों ने अर्ली डिटेक्शन में नाकामी पर जताई चिंता जताते हुए कहा है कि कैंसर से 1300 लोगों रोज मौत हो रही है जबकि सालाना 12 लाख नए मरीज समने आ रहे हैं।

By Manish PandeyEdited By: Published: Sun, 08 Mar 2020 12:08 PM (IST)Updated: Sun, 08 Mar 2020 12:08 PM (IST)
कैंसर विशेषज्ञों की चेतावनी- तत्काल कदम नहीं उठाए तो भारत में होगी 'कैंसर की सुनामी'
कैंसर विशेषज्ञों की चेतावनी- तत्काल कदम नहीं उठाए तो भारत में होगी 'कैंसर की सुनामी'

वाशिंगटन, प्रेट्र। भारत में हर रोज करीब 1300 लोगों की कैंसर से मौत हो रही है और सालाना तकरीबन 12 लाख कैंसर के मरीज सामने आ रहे हैं। कैंसर की इस भयावह स्थिति से निपटने के लिए तत्काल आवश्यक कदम नहीं उठाए गए तो वह दिन दूर नहीं जब भारत को 'कैंसर की सुनामी' जैसे खतरे का सामना करना पड़ सकता है। यह कहना है दुनिया के प्रख्यात कैंसर विशेषज्ञों का। उन्होंने भारत में बढ़ते कैंसर के खतरे को लेकर न केवल चेताया है, बल्कि देश में बीमारी का जल्द पता (अर्ली डिटेक्शन) लगाने में नाकामी और स्वास्थ्य शिक्षा (हेल्थ एजुकेशन) में कमी पर भी चिंता जताई।

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कैंसर मरीजों के सफल इलाज और इस घातक बीमारी के बारे में अपने बेहद अहम शोध की वजह से दुनिया भर में मशहूर भारतीय मूल के दो अमेरिकी विशेषज्ञों डॉ. दत्तात्रेयुडू नोरी और डॉ. रेखा भंडारी ने जोर दिया कि हेल्थ एजुकेशन और रोग की शुरुआती चरण में ही पहचानने की जबरदस्त कोशिशों के जरिए ही भारत को 'कैंसर की सुनामी' की गिरफ्त में जाने से रोका जा सकता है।

बता दें कि डॉ. नोरी इस घातक बीमारी से पीडि़त कई भारतीय नेताओं का इलाज कर चुके हैं। इनमें पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत नीलम संजीव रेड्डी भी शामिल हैं जबकि डॉ. भंडारी दर्द निवारक दवाओं के क्षेत्र में अपने शोध के लिए जानी जाती हैं। न्यूयॉर्क में रहनेवाले भारतीय अमेरिकी डॉ. नोरी खुद लो-प्रोफाइल रहना पसंद करते हैं। वह मीडिया से बातचीत से बचते हैं।

2030 तक बढ़ सकते हैं सालाना 17 लाख नए मरीज

इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर ने भी भविष्यवाणी की है कि 2030 तक भारत में हर साल कैंसर के करीब 17 लाख नए मरीज सामने आ सकते हैं। डॉ. नोरी ने कहा, कैंसर से भारत के लोगों को सामाजिक और आर्थिक तौर पर गंभीर समस्याओं से जूझना पड़ता है। यह बीमारी पीडि़त परिवार को गरीबी के दलदल में फंसा देती है। सामाजिक असमानता को बढ़ावा देती है। महंगे इलाज की वजह से भारत में अगर किसी परिवार के किसी सदस्य को कैंसर हो जाए तो पूरा परिवार गरीबी रेखा के नीचे चला जाता है। उन्होंने इसे भारत में पब्लिक हेल्थ केयर की एक बड़ी चुनौती करार दिया।

पीएम मोदी के हेल्थ प्रोग्राम से खुश

2015 में पद्मश्री से सम्मानित डॉ. नोरी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 'आयुष्मान भारत योजना' और 'नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम' के फैसले से काफी प्रभावित हैं। उन्होंने इसे सही दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया। नोरी और भंडारी दोनों को अमेरिका में प्रवासियों को दिए जाने वाले सबसे बड़े नागरिक सम्मान एलिस आइलैंड मेडल ऑफ ऑनर से नवाजा जा चुका है। यह प्रतिष्ठित सम्मान हर साल उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने देश सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया हो। इस सम्मान को पाने वालों में डोनाल्ड ट्रंप समेत कई अमेरिकी राष्ट्रपति और नोबेल पुरस्कार विजेता भी शामिल हैं।

कैंसर से निपटने को दिए कई अहम सुझाव

कैंसर की चुनौती से निपटने के लिए डॉ. नोरी ने भारत सरकार से कई सिफारिशें की हैं। वहीं डॉ. भंडारी इसके शुरुआती चरण में ही पहचान के लिए ब्लॉक चेन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस -जैसे नए आइटी टूल्स पर काम कर रही हैं। भारत में कैंसर के सबसे ज्यादा मामलों के पीछे मुख्य वजह तंबाकू है। दोनों कैंसर विशेषज्ञों ने सरकार को कैंसर हॉटलाइन और रीजनल कैंसर सेंटर बनाने के अलावा, ब्रेस्ट कैंसर व सर्वाइकल कैंसर जैसे तेजी से बढ़ रहे रोगों के लिए टास्क फोर्स बनाने -जैसे कई अहम सुझाव दिए।


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