US के लिए बड़ा सवाल, क्या होम कुकिंग मोटापे की बीमारी से निपटने में कारगर है?
मोटापा एक ऐसी बीमारी है जिससे आज पूरी दुनिया जूझ रही है। ताजा शोध में इसकी वजह और इससे निपटने के उपाय बताए गए हैं। भारत इस मामले में विश्व गुरू बन सकता है...
वाशिंगटन, न्यूयार्क टाइम्स। क्या घर में खाना पकाना, मतलब होम कुकिंग करना मोटापे से निपटने में कारगर है? क्या बाहर के मुकाबले घर का खाना ज्यादा बेहतर और स्वास्थ्यवर्धक है? अगर आपका जवाब हां, है तो ये खबर जरूर पढ़ें। ज्यादातर न्यूट्रीशियन विशेषज्ञ मोटापे के लिए प्रोसेस्ड फूड को जिम्मेदार मानते हैं। इनका सुझाव है कि हमें घर में बना खाना खाने की तरफ वापस लौटना चाहिए।
शोधकर्ताओं का तर्क है कि प्रोसेस्ड फूड उन बाधाओं को दूर करता है, जिसका गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को सामना करना पड़ता है। इसमें कम समय और आय प्रमुख वजह है। पिछले महीने खाद्य पदार्थों पर हुए एक अध्ययन में चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं। अध्ययन में पता चला है कि इन खाद्य पदार्थों में आमतौर पर नमक, चीनी, वसा और रासायनिक चीजों की मात्रा काफी ज्यादा होती है। इस वजह से प्रोसेस्ड फूड मोटापे और अन्य तरह स्वास्थ्य संबंधी खतरों को बढ़ाते हैं।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के वैज्ञानिकों ने शोध में पाया है कि लोग खाने में जरूरत से ज्यादा कैलोरी ले रहे हैं। अल्ट्रा प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों जैसे कि फ्रोजेन खाद्य पदार्थ, डाइट बेवरेजेस, फ्रूट जूस, पेसट्रीज, चिप्स, केन फूड और प्रोसेस्ड मीट खाने से लोगों का वजन तेजी से बढ़ रहा है।
प्रोसेस्ड फूड के खतरे
वहीं बीएमजे जर्नल में प्रकाशित तमाम अध्ययन बताते हैं कि इस तरह के प्रोसेस्ड फूड ज्यादा मात्रा में खाने वाले लोगों में मृत्यु दर और हृदय रोग की संभावना, उन लोगों के मुकाबले ज्यादा होती है जो इस तरह के खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करते हैं। इन निष्कर्षों और अन्य स्वास्थ्य विशेषज्ञों जिसमें एनआईएच के निदेशक डॉ फ्रांसिस कोलिन्स भी शामिल हैं ने अमेरिकी नागरिकों से आग्रह किया है कि वह अल्ट्रा प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का सेवन बेहद सीमित मात्रा में करें।
प्रोसेस्ड फूड ही एकमात्र विकल्प क्यों?
अल्ट्रा प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का सेवन बेहद सीमित मात्रा में करने की विशेषज्ञों की अपील अमेरिकियों के लिए कहने में जितने आसानी है, वास्तविकता में उतनी ही मुश्किल भरी हो सकती है। अत्यधिक प्रोसेस्ड फूड अमेरिकियों के लिए प्रमुख खाद्य श्रोत बन चुके हैं। अमेरिकी नागरिक काफी ज्यादा मात्रा में इस तरह के खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं। अध्ययन में पता चला है कि इस तरह के खाद्य पदार्थों का सेवन करने वाले अमेरिकी नागरिकों में ज्यादातर कम आय वाले परिवार हैं। कम आय वाले ज्यादातर परिवार इस तरह के खाने पर इसलिए निर्भर हैं क्योंकि प्रोसेस्ड फूड ही उनके लिए सस्ते और सुविधाजनक हैं। कुछ परिवारों के लिए प्रोसेस्ड फूड ही एकमात्र विकल्प है।
पांच साल के अध्ययन में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य
भोजन, परिवार और असमानता पर अध्ययन करने वाले तीन समाजशास्त्रियों द्वारा लिखी गई किताब, ‘प्रेशर कूकर: क्यों होम कुकिंग हमारी समस्याओं का समाधान नहीं कर सकती और हम इस दिशा में क्या कर सकते हैं’ (Pressure Cooker: Why Home Cooking Won’t Solve Our Problems and What We Can Do About It) गरीबी और प्रोसेस्ड फूड के बीच की कड़ी को चित्रित करती है। किताब के लेखक सारा बोवेन (Sarah Bowen), जोसलिन ब्रेंटन (Joslyn Brenton) और सिनिक्का इलियाट (Sinikka Elliott) ने उत्तरी कैरोलिना (North Carolina) के 168 गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का अध्ययन किया है। इस अध्ययन में उन्होंने पाया कि उत्तरी कैरोलिना में प्रत्येक तीन में से एक वयस्क मोटापे से और दस में से एक वयस्क मधुमेह से ग्रसित है। शोधकर्ताओं ने पांच वर्ष तक इन परिवारों के रहन-सहन, खान-पान, कुकिंग, खरीदारी जैसी आदतों का अध्ययन किया है। कुछ परिवारों के साथ शोधकर्ताओं ने 100 से ज्यादा घंटे बिताए हैं।
अमेरीका में डेढ़ करोड़ परिवार खाद्य असुरक्षा से पीड़ित
अमेरीका का राष्ट्रीय सर्वे दर्शाता है कि केवल 48 फीसद अमेरिकी नागरिक सप्ताह में छह या सात दिन रात का खाना बनाते हैं। शेष 44 फीसद अमेरिकी नागरिक सप्ताह में दो से पांच दिन ही रात का खाना बनाते हैं। फेडरल डाटा के अनुसार अमेरीका में तकरीबन डेढ़ करोड़ परिवार खाद्य असुरक्षा से पीड़ित हैं, मतलब उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए उनके पास पर्याप्त भोजन उपलब्ध नहीं है। इसके बाद अमेरिकी परिवारों के सामने दूसरी सबसे बड़ी चुनौती है सीमित समय। प्रत्येक छह में से एक व्यक्ति के काम का समय अनिश्चित होता है और ऐसा केवल गरीब परिवारों के साथ नहीं होता। ऐसे में लोग खाना पकाने की जगह परिवार के साथ समय बिताने, बच्चों का होमवर्क पूरा कराने और अन्य घरेलू गतिविधियों को समय देना प्राथमिकता में रखते हैं।
इन समस्याओं से कैसे निपटें
प्रोसेस्ड फूड की समस्या से कैसा निपटा जाए, इसका जवाब आसानी नहीं है। हालांकि, शोधकर्ताओं का मानना है कि इसके लिए परिवारों को बेहतर समर्थन देने वाली नीतियों की आवश्यकता है, जैसे- यूनिवर्सल चाइल्ड केअर नीति, माता-पिता का सवैतनिक अवकाश (Paid Parental Leave), न्यूनतम मजदूरी और बीमारी की छुट्टियों में बढ़ोत्तरी। इसके लिए नौकरीदाताओं को कामकाज के तौर-तरीकों में थोड़ा बदलाव करना होगा, ताकि माता-पिता बच्चों को स्कूल से लेने के लिए समय से जा सकें, उनके साथ समय बिता सकें और इसके बाद भी उनके पास सेहतमंद खाना पकाने का समय हो।
क्या हो सकते हैं सरकारी उपाय
शोधकर्ताओं ने प्रोसेस्ड फूड से बढ़ रहे मोटापे और हृदय आदि की बीमारियों से निपटने के लिए एक और सुझाव दिया है। शोधकर्ताओं के अनुसार सरकारी स्तर पर स्कूलों में यूनिवर्सल फ्री लंच जैसा कार्यक्रम चलाया जा सकता है, जहां बहुत सारे बच्चों को एक साथ सेहतमंद खाना परोसा जा सकता है। स्कूली भोजन को फ्री और पौष्टिक करने से उनके परिवारों को काफी मदद मिलेगी।
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