संयुक्त राष्ट्र के भाषणों में युवाओं को लेकर बार-बार हो रहा आह्वान, बुजुर्गों की बड़ी संख्या को छोड़ा गया पीछे
पिछले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र में जब नेताओं ने मंच पर कदम रखा और हॉल से दुनिया को संबोधित किया। इस दौरान कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान दिया गया। इन वैश्विक नेताओं ने नई पीढ़ी बच्चों और युवाओं की बात की। बुजुर्गों के मुद्दों पर वैश्विक नेताओं ने बात नहीं की।
संयुक्त राष्ट्र, एपी। दुनिया में युवाओं का बोलबाला है। विश्व के अधिकतर हिस्सों में युवा लोग तेजी से बढ़ रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र में भी दुनिया के शीर्ष नेता युवा शक्ति पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र में नेताओं द्वारा युवाओं के आह्वान में बुजुर्गों की बड़ी संख्या को पीछे छोड़ दिया गया है।
संयुक्त राष्ट्र में अक्सर युद्ध, जलवायु परिवर्तन, असमानता और युवा शक्ति पर चर्चा होती है। संयुक्त राष्ट्र महासभा का अधिकांश हिस्सा युवाओं के मुद्दों के इर्द-गिर्द ही होते हैं। नेताओं ने बड़े पैमाने पर बुजुर्गों की आबादी को पीछे छोड़ दिया है। इन पर कोई बात नहीं होती है।
वैश्विक नेताओं ने 'नई पीढ़ी', 'बच्चों' और 'युवाओं' की बात की
पिछले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र में जब नेताओं ने मंच पर कदम रखा और हॉल से दुनिया को संबोधित किया। इस दौरान कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान दिया गया। इन वैश्विक नेताओं ने 'नई पीढ़ी', 'बच्चों' और 'युवाओं' की बात की। विश्वव की एक बड़ी आबादी बुजुर्गों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया।
वैश्विक स्तर पर लगभग एक अरब है बुजुर्गों की आबादी
संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकार आयोग के शीर्ष अधिकारी क्लाउडिया मलहर (Claudia Mahler) ने कहा कि हर कोई केवल युवाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। 60 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों की आबादी हाल के दशकों में बढ़ी है। यह वैश्विक स्तर पर लगभग एक अरब (1 बिलियन) है। संयुक्त राष्ट्र ने अगले तीन दशकों में इसे फिर से दोगुना होनी की उम्मीद लगाई है।
वहीं, मिल्कन इंस्टीट्यूट में सेंटर फॉर द फ्यूचर ऑफ एजिंग के निदेशक लॉरेन डनिंग (Lauren Dunning) ने कहा कि बड़े वयस्क हमारे समय के महत्वपूर्ण मुद्दों में उलझे हुए हैं और अक्सर असंगत प्रभावों का सामना करते हैं। वे सभी अक्सर प्रमुख मुद्दों से छूट जाते हैं। एक पीढ़ी पर अन्य पीढ़ियों के विचार के बिना ध्यान केंद्रित करना सभी की प्रगति में बाधा डालता है।
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