अब तनाव के शुरुआती लक्षणों को पहचान कर बजेगा अलार्म, मिलेगा फायदा
अमेरिकी कंपनी एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनाने की दिशा में काम कर रही है जो तनाव गंभीर होने से पहले ही चेतावनी दे देगा। यह किसी डिजिटल फायर अलार्म की तरह काम करेगा।
वाशिंगटन (न्यूयार्क टाइम्स)। तनाव और अवसाद वर्तमान जीवनशैली के सबसे बड़े दुष्प्रभाव के रूप में सामने आए हैं। स्थिति गंभीर होने पर कई लोगों के मन में खुद को नुकसान पहुंचाने की इच्छा पैदा होने लगती है। कुछ लोगों के मन में आत्महत्या के विचार भी आने लगते हैं। कुछ दवाएं अवसाद के लक्षणों से राहत तो देती हैं, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि परेशानी का पता भी चले। अक्सर लोग तनाव की गंभीरता को शुरुआत में समझ नहीं पाते हैं। जब तक पता चलता है, तब तक स्थिति गंभीर हो चुकी होती है।
अब टेक्नोलॉजी ने इस दिशा में उम्मीद की किरण दिखाई है। अमेरिका में कैलिफोर्निया प्रशासन के साथ मिलकर माइंडस्ट्रॉन्ग कंपनी एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनाने की दिशा में काम कर रही है, जो तनाव गंभीर होने से पहले ही चेतावनी दे देगा। यह किसी डिजिटल फायर अलार्म की तरह काम करेगा। जैसे फायर अलार्म धुआं देखते ही आग की चेतावनी देने लगता है, ऐसे ही यह सॉफ्टवेयर भी शुरुआती स्तर पर ही लक्षण को पहचान कर चेतावनी देने लगेगा। इस कंपनी के सह-संस्थापक नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ के एक पूर्व निदेशक हैं। शोधकर्ता लिन फर ने कहा कि बहुत से लोग बॉर्डरलाइन पर्सनेलिटी डिसऑर्डर से ग्रस्त होते हैं। ऐसे लोग एकदम मुहाने पर खड़े होते हैं। उनके लिए कोई भी तनाव घातक हो सकता है। अगर उन्हें यह पता लग सके कि किस समय और किस परिस्थिति में उनका तनाव बढ़ जाता है, तो वे ऐसी परिस्थिति में स्वयं पर नियंत्रण का प्रयास भी कर सकेंगे।
कैलिफोर्निया प्रशासन कर रहा प्रयास
कैलिफोर्निया प्रशासन ने माइंडस्ट्रॉन्ग और 7 कप नाम की कंपनियों के साथ मिलकर इस दिशा में प्रयास शुरू किया है। यहां स्वास्थ्य अधिकारी और तमाम मरीज मिलकर ऐसा सॉफ्टवेयर को तैयार करने में मदद कर रहे हैं, जो संकेतों को शुरुआती स्तर पर ही पकड़ने में सक्षम हो। मनोचिकित्सक डॉ. थॉमस आर. इंसेल ने कहा, ‘इसकी शुरुआत थोड़ी मुश्किल हैं। सफलता में कुछ साल का वक्त भी लग सकता है। शुरुआती दौर में विफलता भी हाथ लग सकती है।’ इस व्यवस्था से जुड़े अधिकारी केलेची उबोजो ने कहा, ‘हम कुछ ऐसा कर रहे हैं, जो पहले नहीं हुआ। यहां यूजर खुद एप डेवलपर के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।’ डिजिटल मेंटल हेल्थ नेटवर्क की तरह काम करने वाली 7 कप्स इस समय 189 देशों में 140 भाषाओं में सेवा देती है। इससे करीब 3,40,000 प्रशिक्षित लोग जुड़े हैं, जो लोगों की परेशानियों को सुनते हैं और जरूरत के अनुरूप मदद देते हैं। इसकी स्थापना मनोवैज्ञानिक ग्लेन मोरियार्टी ने की है।
पहले से भी मौजूद हैं कई एप : दिमागी सेहत के मामले में डिजिटल टेक्नोलॉजी में अपार संभावनाएं हैं। इस समय बाजार में ऐसे करीब 10,000 एप उपलब्ध हैं, जो यह दावा करते हैं कि उनकी मदद से व्यक्ति अपनी सेहत पर नजर रख सकता है। हालांकि इस संबंध में पर्याप्त शोध की कमी है कि ऐसे एप कितने प्रभावी हैं।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप