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दूसरे ग्रह पर बसाने का सपना दिखाकर दुनिया के सबसे रईस लोगों में शामिल हो गया ये शख्स

इंसान अगर एक ही ग्रह पर रहेंगे तो वो अपना अस्तित्व बचा नहीं सकेंगे। कभी ना कभी कोई आपदा आएगी अब वो चाहे प्राकृतिक हो या इंसान की पैदा की हुई। इसलिए दूसरे ग्रह पर भी रहना चाहिए।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Sun, 31 May 2020 04:55 PM (IST)Updated: Sun, 31 May 2020 06:07 PM (IST)
दूसरे ग्रह पर बसाने का सपना दिखाकर दुनिया के सबसे रईस लोगों में शामिल हो गया ये शख्स
दूसरे ग्रह पर बसाने का सपना दिखाकर दुनिया के सबसे रईस लोगों में शामिल हो गया ये शख्स

नई दिल्ली। आज के मॉर्डन युग में सपने भी बिकते हैं इससे कोई इनकार नहीं कर सकता है। जो इंसान दूसरों के सपने खरीदने के लिए सोच सकता है या उसके लिए काम कर सकता है दुनिया की कोई ताकत उसे धनवान बनाने से नहीं रोक सकती।

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दरअसल धरती पर तो लोगों को सबकुछ मिल ही रहा है अब लोगों का सपना दूसरे ग्रह पर दुनिया बसाना रह गया है। अपने इस सपने को पूरा करने के लिए वो किसी भी तरह से खर्च करने को तैयार हैं। 1971 में दक्षिण अफ्रीका में जन्मे ईलॉन रीव मस्क ने लोगों के इस सपने को समझ लिया और वो अब इन सपनों के जरिए पैसा कमाकर दुनिया के रईसों की सूची में शामिल हो गए हैं। डीडब्ल्यूए वेबसाइट ने ईलॉन मस्क पर एक ऐसी ही स्टोरी कैरी की है।

तीन देशों के नागरिक 

ईलॉन मस्क फिलहाल तीन देशों के नागरिक हैं। ये देश हैं दक्षिण अफ्रीका, कनाडा और अमेरिका। दरअसल ईलॉन की मॉ माये मस्क मॉडल और डाइटीशियन थीं और उनके पिता ईरॉल मस्क इलेक्ट्रोमेकेनिकल इंजीनियर। ईलॉन मस्क का अपने पिता के साथ संबंध ठीक नहीं रहा, वो अपने पिता को एक बुरा इंसान बताते हैं। अपने माता पिता की तीन संतानों में वे सबसे बड़े हैं।

ईलॉन का बचपन अधिकतर किताबों और कंप्यूटर के बीच ही बीता। उनको पढ़ने का बहुत शौक था। इस वजह से उनके दोस्तों की कमी थी। हर वक्त चुप रहने की वजह से स्कूल के बच्चे उन्हें काफी परेशान भी करते थे। बताते हैं कि स्कूल छोड़ने के बाद ईलॉन के व्यक्तित्व में थोड़ा बदलाव आया वो लोगों के बीच उठने बैठने लगे और बातचीत भी करने लगे थे।

इंसानों का अस्तित्व बचाने का काम 

मस्क का मानना है कि इंसान अगर एक ही ग्रह पर सीमित रहेंगे तो वो अपना अस्तित्व बचा नहीं सकेंगे। कभी ना कभी कोई आपदा आएगी अब वो चाहे प्राकृतिक हो या इंसान की पैदा की हुई। किसी विशाल क्षुद्रग्रह का धरती पर गिरने का मामला होगा या विशाल ज्वालामुखी के फटने या फिर परमाणु युद्ध की वजह से।

चाहे जो भी हो कभी ना कभी इंसान का अस्तित्व मिट जाएगा इसलिए मई 2002 में उन्होंने धरती से बाहर जीवन खोजने के मकसद से स्पेस एक्स की शुरुआत की। उन्होंने रॉकेट डिजाइन करना सीखा और आज वे ना केवल स्पेस एक्स के सीईओ हैं, बल्कि वहां के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर भी हैं।

खुद ही कर ली फैक्ट्री खोलने की तैयारी 

कोरोना संकट के बीच जब अमेरिका में उनकी टेस्ला की फैक्ट्री बंद हुई तो दो महीने बाद ईलॉन ने खुद ही उसे खोलने का फैसला कर लिया। ऐसा तब जब प्रशासन की ओर से कहा गया था कि टेस्ला का कारखाना जरूरी उद्योगों की सूची में नहीं आता। इस संकट के बीच स्पेस एक्स की ओर से अंतरिक्ष में अपना मिशन भेज कर मस्क यह साबित करना चाह रहे हैं कि दुनिया में कुछ भी हो जाए, उनका काम नहीं रुकता है। वैसे भी, इंसानों की दुनिया कहीं रुक ना जाए, इसी मकसद के लिए तो वे काम कर रहे हैं। 

गजब के आइडिया रखते हैं मस्क 

ईलॉन मस्क को जीनियस बताया जाता हैं। साथ ही ये भी कहा जाता है कि उनके पास गजब के आइडिया हैं लेकिन उनके साथ काम कर चुके लोग बताते हैं कि मस्क के साथ काम करना कितना मुश्किल है। कहा जाता है कि वे हफ्ते में 80 घंटे काम करते हैं और दूसरों से भी यही उम्मीद करते हैं। जब वे काम को लेकर तनाव में होते हैं तो अपनी टीम पर खूब चीखते चिल्लाते भी हैं। बताया जाता है कि छोटी सी गलती पर भी खूब खरी खोटी सुननी पड़ जाती है। ट्विटर पर भी उनका यह मिजाज देखने को मिलता है। कई बार वे ऐसे ट्वीट कर चुके हैं, जिनके लिए बाद में उन्हें माफी मांगनी पड़ी है। 

जिप 2 कंपनी से सपनों को मिली रफ्तार 

स्कूल और कॉलेज खत्म करने के बाद ईलॉन 1995 में पीएचडी करने अमेरिका की सिलिकॉन वैली पहुंचे। उन्होंने यहां की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के अप्लाइड फिजिक्स विभाग में दाखिला लिया लेकिन दो ही दिन ही वो उसे छोड़ कर आ गए। उस वक्त छोटे भाई किम्बल मस्क ने क्वीन्स यूनिवर्सिटी से स्नातक पूरी की ही थी। किम्बल ईलॉन से 15 महीने छोटे हैं। वे भाई के पास कैलिफोर्निया पहुंच गए।

उस दौरान इंटरनेट का दौर शुरू ही हुआ था। दोनों भाइयों ने मिलकर एक स्टार्टअप शुरू करने का निर्णय लिया। इस स्टार्टअप का नाम रखा गया जिप 2। जिप 2 एक ऑनलाइन बिजनेस डायरेक्ट्री थी जो नक्शों से लैस थी। ऑनलाइन कंपनी शुरू होने के बाद इस कंपनी को निवेशक भी मिलते गए। निवेशक मिलने के साथ ही कंपनी फलने फूलने लगी। 1999 में उन्होंने 30 लाख अमेरिकी डॉलर में उस कंपनी को कंप्यूटर निर्माता कॉम्पैक को बेच दिया। 

एक्सडॉटकाम से बढ़े आगे 

अपने इस स्टार्टअप को बेचने के बाद ईलॉन ने अकेले ही एक्सडॉटकाम (X.com) नाम की ऑनलाइन फाइनैंस कंपनी खोली। इस कंपनी की दिलचस्प बात यह थी कि जिस इमारत में इस कंपनी का दफ्तर था, उसी में कुछ महीने बाद ऐसी ही एक और कंपनी खुली। कॉनफिनिटी नाम की इस कंपनी से ईलॉन की कंपनी X.com से कॉम्पिटिशन रहने लगा।

कुछ समय के बाद ही दोनों कंपनियों ने आपस में मिलकर मीटिंग की और मार्च 2000 में ये दोनों कंपनियां मर्ज हो गईं, उसके बाद एक नई कंपनी तैयार हो गई, उसका नाम पेपाल रखा गया, आज लोग इस नई कंपनी को पेपाल के नाम से ही जानते भी हैं। कुछ साल तक कंपनी ने खूब कारोबार किया, उसके बाद अक्टूबर 2002 में ईबे कंपनी ने डेढ़ अरब अमेरिकी डॉलर के शेयर के बदले पेपाल को खरीद लिया।

फिर बनाई स्पेस एक्स और टेस्ला मोटर्स 

पेपाल को जब ईबे ने खरीद लिया उसके बाद मिले पैसे से ईलॉन ने कई कंपनियां बनाई। इनमें से एक स्पेस एक्स और दूसरी टेस्ला मोटर्स है। इन दोनों कंपनियों पर उन्होंने अपने सारे पैसे लगा दिए। मस्क की मौजूदा सभी कंपनियों का मकसद है इंसानी अस्तित्व पर मंडरा रहे खतरों का उपाय खोजना है। टेस्ला मोटर्स, सोलर सिटी और द बोरिंग कंपनी ऊर्जा के साफ विकल्पों के इस्तेमाल से जलवायु परिवर्तन का सामना करने की कोशिश में लगी हैं।  

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