गर्भनाल के जरिये भ्रूण तक पहुंचकर मां के साथ-साथ बच्चे के स्वास्थ्य पर डालता है असर
गर्भनाल के जरिये भ्रूण तक पहुंचकर मां के साथ-साथ बच्चे के स्वास्थ्य पर डालता है असर अमेरिका की टुलाने यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया दावा।
वाशिंगटन, प्रेट्र। जुकाम का वायरस गर्भनाल के जरिये भ्रूण की कोशिकाओं तक पहुंच सकता है। इससे गर्भवती महिलाओं के साथ-साथ उनके अजन्मे बच्चे भी प्रभावित हो सकते हैं। एक नए अध्ययन में यह दावा किया गया है। इस शोध में अमेरिका की टुलाने यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता भी शामिल थे। शोधकर्ताओं ने कहा, ‘गर्भनाल शरीर का एक अंग है जो गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय में विकसित होती है। गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए यह एक द्वारपाल का काम करती है। यानी जीवाणुओं और विषाणुओं से उनकी रक्षा करती है और मां के जरिये भ्रूण को आवश्यक पोषण भी देती है।’
पीएलओएस वन नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि भ्रूण का यह सुरक्षा चक्र अभेद्य नहीं है क्योंकि जीका के वायरस इस चक्र को आसानी से भेद जाते हैं। टुलाने यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता और इस अध्ययन के सह-लेखक गिओवन्नी पीडिमोंटे ने कहा, ‘इस अध्ययन में पहली बार यह पता लगाया है कि एक साधारण जुकाम का वायरस मनुष्य की गर्भनाल को कैसे संक्रमित कर सकता है।’ पीडिमोंटे ने कहा, ‘यह अध्ययन हमारे सिद्धांत के अनळ्रूप है। जब एक महिला गर्भावस्था के दौरान जुकाम से संक्रमित होती है तो इसका वायरस के भ्रूण में भी फैल सकता है और जन्म से पहले ही बच्चे के फेफड़ों में संक्रमण फैल
सकता है।’
गर्भनाल के अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने इसमें पाई जाने वाली तीन प्रमुख कोशिकाओं साइटोट्रॉफोबलास्ट, स्ट्रोमा फाइब्रोब्लास्ट्स और हॉफबॉयर को अलग कर कर इनमें जुकाम के लिए जिम्मेदार वायरस का पता लगाया, जो सामान्य सर्दी-जळ्काम का कारण बनता है। शोधकर्ताओं ने कहा, ‘साइटोटोप्रोब्लास्ट कोशिकाएं एक सीमा तक जुकाम के संक्रमण को झेलने में सक्षम थी, वहीं अन्य दो खतरनाक संक्रमणों के लिए भी ये अतिसंवेदनशील थी।’ कोशिकाओें की जांच के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि हॉफबॉयर कोशिकाएं संक्रमण से बच गई थी, पर इसकी दीवारों की झिल्लियों पर वायरस जरूर देखे गए। ये कोशिकाएं गर्भनाल जाती हैं और इसकी दीवारों पर चिपके वायरस इसके जरिये भ्रूण तक पहुंचकर उसे संक्रमित कर सकते हैं।
क्यों जरूरी है गर्भनाल
गर्भनाल महिला के ही शरीर का ही अंग होता है। इसी के सहारे बच्चा मां के गर्भ में जीवित रहता है। यह शरीर में लैक्टोजन के बनने में मदद करती है, जो मां के शरीर में दूध बनने की प्रक्रिया को प्रेरित करता है। मां जो कुछ भी खाती है, इसके जरिये से उसका पोषण बच्चे को भी मिलता है। गर्भनाल बच्चे के लिए फिल्टर की तरह भी काम करती है। यह उस तक सिर्फ पोषण पहुंचाती है और विषैले पदार्थों को भ्रूण तक जाने नहीं देती है। बच्चे के जन्म के कुछ दिनों बाद नाल खुद ही सूखकर गिर जाती है। इसका काम बच्चे को मां के गर्भ में बच्चे को पोषण और विकास के लिए आवश्यक तत्व देने का है।