नई सर्जरी से जल्द जुड़ सकेगी टूटी पसली, डिप्रेशन को भांपने का भी टूल तैयार, पढ़ें अध्ययन
शोधकर्ताओं ने एक ऐसा टूल विकसित किया है जो किशोर उम्र के बच्चों में डिप्रेशन (अवसाद) के खतरे को सालों पहले ही भांप सकता है।
वॉशिंगटन, एजेंसी। शोधकर्ताओं ने सर्जरी की एक नई प्रक्रिया विकसित की है। इससे टूटी पसलियों को जल्दी जोड़ा जा सकता है। इसमें दर्द का भी सामना नहीं करना पड़ेगा। मौजूदा उपचार मेंे टूटी पसलियों को जोड़ने की प्रक्रिया में लंबे समय तक दर्द का सामना करना पड़ता है।
अमेरिका के करीब एक दर्जन मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं ने सर्जिकल स्टेबलाइजेशन ऑफ रिब फ्रैक्चर (एसएसआरएफ) प्रक्रिया का परीक्षण किया है। इस प्रक्रिया में फ्रैक्चर के दोनों छोर को एक प्लेट के जरिये जोड़ा जाता है। यह पसली के दुरुस्त होने की पूरी प्रक्रिया के दौरान लगा रहता है। तीन या ज्यादा पसलियों के टूटने के कारण एसएसआरएफ से गुजरने वाले रोगियों ने इस प्रक्रिया में मामूली दर्द होने की बात कही। मेडिकल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैरोलिना के सर्जन एवर्ट एरिकसन ने कहा, 'शोध से जाहिर होता है कि फेफड़ों की समस्या से पीड़ित लोगों को भी इस प्रक्रिया से लाभ हो सकता है।' (एएनआइ)
किशोरों में डिप्रेशन के खतरे को भांप सकेगा नया टूल
शोधकर्ताओं ने एक ऐसा टूल विकसित किया है, जो किशोर उम्र के बच्चों में डिप्रेशन (अवसाद) के खतरे को सालों पहले ही भांप सकता है। इस तरीके से किशोरों में मानसिक बीमारियों के खतरे पर नजर रखने के लिए नई विधियां ईजाद करने का रास्ता प्रशस्त हो सकता है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, प्रिडिक्टिव टूल उन बच्चों की पहचान करने में मदद कर सकता है, जिनमें 18 साल की उम्र के बाद गंभीर डिप्रेशन का खतरा हो सकता है। यह निष्कर्ष कई हजार किशोरों पर किए गए अध्ययन के आधार पर निकाला गया है। ब्रिटेन के किंग्स कॉलेज लंदन की शोधकर्ता वेलेरिया मोंडेली ने कहा, 'यह शोध टूल विकसित करने की दिशा में ऐसा पहला अहम कदम है, जिससे किशोरों में डिप्रेशन की पहचान करने और मानसिक सेहत को दुरुस्त करने में मदद मिल सकती है।' (प्रेट्र)