स्तनपान कराने से जुड़ा होता है मां का मानसिक स्वास्थ्य
मां का दूध बच्चों के लिए तो फायदेमंद होता है साथ ही इससे मां का मानसिक स्वास्थ्य भी जुड़ा होता है।यह अध्ययन जर्नल आफ वुमेन हेल्थ में प्रकाशित हुआ है। यह अध्ययन जर्नल आफ वुमेन हेल्थ में प्रकाशित हुआ है। यूनिवर्सिटी आफ मैसाचुसेट्स चान मेडिकल स्कूल की मेगन ने किया
वाशिंगटन (एएनआइ)। मां का दूध बच्चों के लिए तो सेहतकारी होता ही है, इसके साथ स्तनपान कराने से मां का मानसिक स्वास्थ्य भी जुड़ा होता है। एक समीक्षात्मक अध्ययन स्तनपान कराने वाली माताओं के मानसिक स्वास्थ्य की पड़ताल की गई, जिसके आधार पर स्तनपान कराने को मां के लिए भी फायदेमंद बताया गया है। यह अध्ययन जर्नल आफ वुमेन हेल्थ में प्रकाशित हुआ है।
यूनिवर्सिटी आफ मैसाचुसेट्स चान मेडिकल स्कूल की मेगन युएन और ओलिवा हाल तथा उनके सहयोगियों ने पाया है कि स्तनपान कराने से कुल मिलाकर माताओं के मानसिक स्वास्थ्य सुधरता है। हालांकि यदि कोई मां स्तनपान कराने में तकलीफ महसूस करती है या उसकी अपेक्षाओं और अनुभव में फर्क होता है तो स्तनपान कराने का मां की मानसिक सेहत पर नकारात्मक असर भी होता है।
शोधकर्ताओं ने 36 अध्ययनों की समीक्षा में पाया कि स्तनपान कराने से माताओं का मानसिक स्वास्थ्य जुड़ा हुआ है। उनके अनुसार, 29 अध्ययनों का निष्कर्ष यह रहा कि स्तनपान कराने से माताओं को मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं कम होती हैं। सिर्फ एक में पाया गया कि स्तनपान कराने वाली माताओं में मानसिक समस्याओं के लक्षण दिखे।
34 अध्ययनों में यह भी पाया गया कि स्तनपान तथा प्रसव बाद अवसाद के बीच उल्लेखनीय सांख्यिकीय संबंध है। इनके अनुसार, 28 अध्ययनों में पाया गया कि स्तनपान कराने से प्रसव बाद होने वाले अवसाद का जोखिम होता है।
जर्नल आफ वुमेन हेल्थ की प्रधान संपादक तथा वर्जिनिया कामनवेल्थ यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट फार वुमेन हेल्थ की कार्यकारी निदेशक सुसान जी. कार्नस्टीन ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से डाक्टरों को व्यक्तिगत तौर पर माताओं को स्तनपान कराने की सलाह देने में मदद मिलेगी और उसके असर को समझा जा सकेगा। गौरतलब है कि दुनियाभर में स्तन पान को लेकर महिलाओं को जागरुक कराने और इसके फायदों को बताने के लिए भी कई स्तर पर काम किया जा रहा है। इसमें विश्व की कई एजेंसियां भी लगी हैं।