पासवर्ड को याद रखने से मिलेगी मुक्ति, मस्तिष्क करेगा अब यह काम
वैज्ञानिकों के मुताबिक, वर्तमान में इलेक्ट्रोइंसेफालोग्राफी (ईईजी) बेहद आसान प्रणाली है, जिसके जरिये मस्तिष्क की तरंगों को रिकॉर्ड किया जा सकता है।
वाशिंगटन [प्रेट्र]। स्मार्टफोन ने जहां हमारे कई काम आसान किए हैं, वहीं सुरक्षा को लेकर एक चिंता भी खड़ी कर दी है। कब, कहां कोई हैकर हमारे स्मार्टफोन में सेंध लगा दे और हमारी तमाम जरूरी जानकारियों को चुरा ले, यह डर अक्सर बना रहता है। इसे दूर करने के लिए वैज्ञानिक निरंतर बेहतर सुरक्षा प्रणाली विकसित करने में प्रयासरत रहते हैं। इसी कड़ी में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अब एक खास सुरक्षा प्रणाली तैयार की है। इसके मार्केट में आने के बाद आपके स्मार्टफोन का पासवर्ड आपका मस्तिष्क होगा। मस्तिष्क की तरंगों को पहचानकर ही स्मार्टफोन का लॉक खुलेगा।
दरअसल, यह सुरक्षा प्रणाली तस्वीरों की श्रंखला में प्रतिक्रिया के जरिये मस्तिष्क की तरंगों को पढ़कर व्यक्ति की पहचान करती है। इस प्रणाली के जरिये उपकरणों की सुरक्षा को और मजबूत किया जा सकता है। वर्तमान में स्मार्टफोन की सुरक्षा के लिए कई प्रणालियों का प्रयोग किया जाता है। इसमें चेहरे की पहचान, फिंगरप्रिंट स्कैन व अन्य कई बायोमेट्रिक सिस्टम शामिल हैं। हालांकि, इन टूल्स का इस्तेमाल करने के साथ यह समस्या भी है कि यदि एक बार इसमें सेंध लग जाए तो इन्हें दोबारा रीसेट नहीं किया जा सकता है।
अमेरिका में बफेलो यूनिवर्सिटी (यूबी) के सहायक प्रोफेसर वेन्याओ जू ने कहा, यदि आइरस या फिंगरप्रिंट स्कैनर के बारे में जानकारी उजागर हो जाती है तो आप इसे दोबारा इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। यही वजह है कि हमने एक नए प्रकार का पासवर्ड विकसित करने का सोचा, जो तस्वीरों की श्रंखला पर प्रतिक्रिया के दौरान मस्तिष्क से निकलने वाली तरंगों का विश्लेषण कर उस व्यक्ति की पहचान करेगा। एक पासवर्ड की तरह इसे रीसेट किया जाना आसान है, वहीं बायोमेट्रिक की तरह इसका इस्तेमाल भी बेहद सरल है।
इन स्थानों पर भी किया जा सकता है इस्तेमाल
वैज्ञानिकों ने इस प्रणाली को ब्रेन पासवर्ड नाम दिया है। फिलहाल इस प्रणाली का इस्तेमाल करने के लिए उपभोक्ता को हेडसेट पहनने की आवश्यकता पड़ सकती है, लेकिन भविष्य में इसे और बेहतर करने का प्रयास किया जाना है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस सुरक्षा प्रणाली का इस्तेमाल केवल स्मार्टफोन में ही नहीं, बल्कि बैंकिंग प्रणाली, कानूनी क्षेत्र, एयरपोर्ट के अलावा कई अन्य क्षेत्रों में किया जा सकता है।
ऐसे काम करती है नई प्रणाली
वैज्ञानिकों के मुताबिक, वर्तमान में इलेक्ट्रोइंसेफालोग्राफी (ईईजी) बेहद आसान प्रणाली है, जिसके जरिये मस्तिष्क की तरंगों को रिकॉर्ड किया जा सकता है। इसमें विद्युत गतिविधि के जरिये मस्तिष्क के अद्वितीय पैटर्न को मापने के लिए इलेक्ट्रोड्स का इस्तेमाल किया जाता है। वैज्ञानिकों ने इस नवीन सुरक्षा प्रणाली के लिए इसमें थोड़ा परिवर्तन किया और उसे समाहित किया। इसके बाद वैज्ञानिकों ने 179 वयस्कों पर इस प्रणाली की जांच की। इससे प्राप्त आंकड़ों के आधार पर वैज्ञानिकों ने देखा कि ब्रेन पासवर्ड 95 फीसद तक सटीक साबित हुआ।
अभी तक की सबसे सुरक्षित प्रणाली
यूबी में सहायक प्रोफेसर झांपेंग जिन के मुताबिक, हमारी जानकारी में यह बेहद सुरक्षित प्रणाली है। इसमें सेंध लगाना लगभग नामुमकिन है। इसकी वजह इसका मस्तिष्क की तरंगों से चलना है। इसी के साथ इसका पासवर्ड भी उस व्यक्ति के बिना रीसेट नहीं हो सकता, जिसकी मस्तिष्क की तरंगें इसमें दर्ज की गई हैं।