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न्यूयॉर्क में भारतीय अमेरिकियों ने किया चीन के खिलाफ प्रदर्शन, बॉयकॉट चाइना के लगाए नारे

भारतीय अमेरिकियों ने न्यूयॉर्क में टाइम्स स्क्वायर पर चीन के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए बॉयकॉट चाइना का आह्वान किया है।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2020 08:47 AM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2020 08:47 AM (IST)
न्यूयॉर्क में भारतीय अमेरिकियों ने किया चीन के खिलाफ प्रदर्शन, बॉयकॉट चाइना के लगाए नारे
न्यूयॉर्क में भारतीय अमेरिकियों ने किया चीन के खिलाफ प्रदर्शन, बॉयकॉट चाइना के लगाए नारे

न्यूयॉर्क, एएनआई।  भारतीय अमेरिकियों ने न्यूयॉर्क में टाइम्स स्क्वायर पर चीन के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए 'बॉयकॉट चाइना' का आह्वान किया है। भारतीय अमेरिकियों का ये विरोध लद्दाख में भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच हुए संघर्ष के बाद किया गया है। न्यूयॉर्क में कोरोना वायरस के प्रभाव के बावजूद, प्रदर्शन ने तिब्बती समुदाय और ताइवान के अमेरिकियों के सदस्यों के साथ दर्जनों भारतीय मूल के अमेरिकियों को एकजुटता से देखा।

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भारत और चीन के बीच गलवान गतिरोध के बाद से, संयुक्त राज्य अमेरिका में कई शहरों में चीन विरोधी प्रदर्शन छिड़ गए हैं और न्यूयॉर्क में भी ऐसा ही दृश्य देखा गया लोगों ने अपने हाथों में चीन विरोधी संदेशों को पकड़ा गुआ था। भारतीय और तिब्बत के राष्ट्रीय झंडे को पकड़ते हुए समर्थकों ने भारत और चीन विरोधी नारे भी लगाए।प्रदर्शनकारियों का मानना ​​है कि भले ही चीन का बहिष्कार अभियान पहले से ही अनुमान से अधिक सफल रहा हो, लेकिन अभी भी चीनी उत्पादों के उपयोग को रोकने के अलावा बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में प्रदर्शकारियों ने तीन मांगों पर ज्यादा जोर दिया पहली ये कि चीन के साथ व्यापार पर रोक लगाई जाए। दूसरा चीनी उत्पादों का बहिष्कार किया जाए, तिब्बत की पूर्ण स्वतंत्रता और ताइवान का पूर्ण समर्थन।

टाइम्स स्क्वायर के प्रदर्शनकारियों ने यह भी बताया कि किस तरह से तीन टी को वैश्विक गठबंधन द्वारा सफलतापूर्वक संभाला जा सकता है, जिसका नेतृत्व मुख्य रूप से तीन विश्व नेता भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे करेंगे।

न्यूयॉर्क में चीन के विरोध पर बहिष्कार के आह्वान पर सबसे आगे रहे अमेरिकन इंडिया पब्लिक अफेयर्स कमेटी के अध्यक्ष जगदीश सिहानी ने चीन को एक दुष्ट कम्युनिस्ट शासन के रूप में वर्णित किया। विरोध में सिवनी और भारतीय समुदाय के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका में शरण में रहने वाले तिब्बती और ताइवान के कार्यकर्ता भी थे।


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