'मैं जानता था कि जो कुछ कर रहा हूं उसकी कीमत भी चुकानी पड़ेगी' जॉन बोल्टन
अमेरिका के पूर्व एनएसए लगातार मीडिया की सुर्खियां बटोर रहे हैं। एबीसी न्यूज को इंटरव्यू देने के बाद उन्होंने अब कहा है कि वे इस बात से वाकिफ हैं कि इसकी उन्हें कीमत अदा करनी हो
वाशिंगटन (न्यूयॉर्क टाइम्स)। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच लगातार बयानबाजी हो रही है। बोल्टन अपनी किताब को लेकर अमेरिका समेत पूरी दुनिया की मीडिया में सुर्खियां बटोर रहे हैं। वे लगातार राष्ट्रपति ट्रंप को कटघरे में खड़ा करने की भी कोशिश कर रहे हैं। रविवार को उन्होंने एबीसी न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा था कि ट्रंप को किसी भी सूरत से दोबारा राष्ट्रपति नहीं बनने देना चाहिए। वो इस पद के योग्य व्यक्ति नहीं हैं। उन्होंने यहां तक कहा था कि यदि उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल कर ली तो ये अमेरिका के लिए सही नहीं होगा। उनके मुताबिक ऐसा हुआ तो कोई नहीं कह सकता है कि वो क्या कर बैठेंगे। वही ंअब उन्होंने कहा है कि वह जानते थे कि वह क्या कर रहे हैं और ऐसा करने के बाद उनके साथ क्या होगा।
बोल्टन ने कहा कि वे ये भी जानते थे कि राष्ट्रपति ट्रंप की तरफ से उनको गलत साबित करने के लिए कई ट्वीट किए जाएंगे और उनपर कई तरह के आरोप लगाए जाएंगे। वे ये भी जानते थे कि उन्हें कोर्ट में भी घसीटा जा सकता है। उनके मुताबिक वे ये भी जानते थे कि वो परिस्थितियों से समझौता नहीं कर सकते हैं और ऐसे में वे पार्टी के बीच घिर भी जाएंगे। फॉक्स न्यूज पर अपनी इन बातों को रखते हुए उन्होंने ये भी कहा कि वे ये भी जानते हैं कि इस सब की उन्हें कीमत चुकानी होगी।
सोमवार को अपनी किताब के प्रकाशन की पूर्व संध्या पर दौरान बोल्टन का कहना था कि किताब लिखते समय उन्हें कई बार इस बात का ख्याल आया इस सबसे उन्हें ट्रंप की नफरत के अलावा और क्या कुछ हासिल होगा। लेकिन उन्हें लगा कि तथ्यों को सामने लाने के लिए कठिनाइयों से गुजरना होगा। मैं इसके लिए पूरी तरह से तैयार हूं। उन्होंने कहा कि वे इसका मजा नहीं ले रहे हैं लेकिन उन्हें लगता है कि असलियत को बताना या सामने लाना जरूरी है।
उन्होंने इस दौरान माना कि हर कोई उनकी लिखी और कही बातों को उसी रूप में स्वीकार करे ये जरूरी नहीं है। उसको इसके जवाब चाहिए होंगे। सबकी अपनी समस्याएं होंगी सवाल होंगे और शिकायत भी होंगी। उन्होंने कहा कि एक मुद्दे पर ट्रंप और नेंसी पेलोसी दोनों ही सहमत थे कि वे केवल अपने बारे में सोचते हैं देश के बारे में नहीं। उन्होंने कहा कि वे देश की जनता को केवल इतना पूछना चाहते हैं कि जो कुछ ट्रंप ने राष्ट्रपति रहते हुए किया उसके बदले में उन्हें दोबार व्हाइट हाउस भेजना चाहते हैं या नहीं। एक मतदाता के तौर पर ये उनको तय करना है।
आपको बता दें कि बोल्टन की किताब The Room Where It Happened में उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने आने वाले चुनाव में अपनी जीत के लिए विदेशी सरकारों से मदद तक मांगी है। इसमें चीन के राष्ट्रपति और यूक्रेन शामिल है। उन्होंने ये भी कहा है कि इसकी जांच होनी जरूरी है। बोल्टन का आरोप है कि ऐसा करके ट्रंप ने देश को खतरे में डालने का काम किया है। इस दौरान उन्होंने ये भी कहा कि ट्रंप ने ऐसे सहयोगी से मदद मांगी जहां पर पत्रकारों को सच कहने की सजा दी जाती है।
रविवार को एबीसी न्यूज को दिए अपने इंटरव्यू में बोल्टन ने कहा था कि राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने प्रतिद्वंदी के खिलाफ जांच कराने के लिए यूक्रेन की सरकार पर दबाव बनाया था। इसके लिए उन्होंने हर तरह के हथकंडे अपनाए। महाभियोग के आरोपों से बरी होने के बावजूद ट्रंप को सीनेट के सामने शर्मिंदा होना पड़ा। लेकिन इससे भी उन्होंने कोई सबक नहीं सीखा। बोल्टन ने यहां तक कहा कि वे नंवबर में होने वाले चुनाव से खुद को अलग कर बच सकते हैं।
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