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भारतीय छात्रों का पढ़ाई के बाद अमेरिका में रुकना होगा मुश्किल, 'आप्ट' प्रोग्राम के खिलाफ विधेयक पेश

अमेरिकी सांसदों के एक समूह ने प्रतिनिधि सभा में विदेशी छात्रों से जुड़ा एक विधेयक पेश किया है जिससे भारतीय भी बड़ी संख्या में प्रभावित होंगे। यह विधेयक वैकल्पिक अभ्यास प्रशिक्षण (आप्ट) के खिलाफ पेश किया गया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 29 Jul 2021 07:01 PM (IST)Updated: Thu, 29 Jul 2021 07:01 PM (IST)
भारतीय छात्रों का पढ़ाई के बाद अमेरिका में रुकना होगा मुश्किल, 'आप्ट' प्रोग्राम के खिलाफ विधेयक पेश
अमेरिकी सांसदों के एक समूह ने प्रतिनिधि सभा में विदेशी छात्रों से जुड़ा एक विधेयक पेश किया है

वाशिंगटन, पीटीआइ। अमेरिकी सांसदों के एक समूह ने प्रतिनिधि सभा में विदेशी छात्रों से जुड़ा एक विधेयक पेश किया है, जिससे भारतीय भी बड़ी संख्या में प्रभावित होंगे। यह विधेयक वैकल्पिक अभ्यास प्रशिक्षण (आप्ट) के खिलाफ पेश किया गया है। आप्ट के जरिये विदेशी छात्रों को पढ़ाई के बाद अमेरिका में काम करने की अनुमति मिलती थी। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में सांसद पाल ए. गोसर के साथ सांसद मो ब्रूक्स, एंडी बिग्स और मैट गेट्ज ने फेयरनेस फार हाई-स्किल्ड अमेरिकन एक्ट पेश किया।

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इस विधेयकके पारित होने पर इसके जरिये वैकल्पिक अभ्यास प्रशिक्षण (आप्ट) के लिए इमिग्रेशन एवं राष्ट्रीयता अधिनियम में संशोधन संभव हो पाएगा। गोसर ने कहा कि कौन सा देश ऐसा कानून नहीं बल्कि कार्यक्रम बनाता है जो अपने व्यवसायों को अपने नागरिकों को निकालने और उनके स्थान पर विदेशी श्रमिकों को रखने के लिए पुरस्कृत करता है।

अमेरिका के इस कार्यक्रम का नाम 'आप्ट' है और यह हमारे अपने श्रमिकों के पूर्ण परित्याग को दर्शाता है। गोसर ने पहली बार 116वीं संसद में 'फेयरनेस फार हाई-स्किल्ड अमेरिकन एक्ट' पेश किया था। साथ ही आप्ट को खत्म करने के लिए होमलैंड सिक्योरिटी विभाग के खिलाफ एक मुकदमे में अमेरिकी श्रमिकों के समर्थन में दो बार उन्होंने 'एमिकस ब्रीफ' पर भी हस्ताक्षर किए हैं।

'एमिकस ब्रीफ' एक कानूनी दस्तावेज है, जिसे किसी अदालती मामले में उन लोगों द्वारा दायर किया जा सकता है, जो मामले में वादी नहीं होते, लेकिन इसमें रुचि रखते हैं। गोसर ने आरोप लगाया कि आप्ट ने एक लाख से अधिक विदेशी छात्रों को ग्रेजुएशन के बाद अमेरिका में तीन साल तक काम करने की अनुमति देकर एच-1बी सीमा के नियम को दरकिनार किया है। उन्होंने कहा कि इन विदेशी श्रमिकों को पेरोल करों से छूट दी गई है, जिससे उनका खर्चा एक अमेरिकी मजदूर की तुलना में करीब 10 से 15 प्रतिशत कम हो जाता है।

आप्ट 'यूनाइटेड स्टेट्स इमिग्रेशन एंड कस्टम्स इंफोर्समेंट' (आइसीई) द्वारा प्रशासित एक अतिथि श्रमिक कार्यक्रम है। अमेरिका में बड़ी संख्या में भारतीय छात्र भी पढ़ने जाते हैं। इस वजह से अगर इस विधेयक को मंजूर कर लिया जाता है तो आने वाले वक्त में अमेरिका में पढ़ाई के बाद नौकरी की तलाश कर रहे भारतीय छात्रों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

कोरोना से पहले तक अमेरिका में एक लाख से अधिक संख्या में भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे थे। मगर महामारी की शुरुआत होने के बाद से ही इस संख्या में कमी देखने को मिली है। लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में भारतीय छात्र अमेरिका पढ़ाई करने जाने की योजना बनाते हैं। ऐसे में उन्हें आने वाले समय में पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी पाने में कठिनाई हो सकती है। 


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