Tik Tok पर बैन चीनी हाथों से जासूसी का हथियार छीन लेगा, अमेरिकी NSA बोले- भारत जैसा कदम उठाओं
अमेरिकी एनएसए ने ट्रंप प्रशासन और यूरोपीय देशों से भारत जैसा कदम उठाने का आह्वान किया।
वाशिंगटन, प्रेट्र। चीनी एप से जुड़े प्रतिबंधों को लेकर अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओब्रायन ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि अगर भारत की तरह अमेरिका और यूरोपीय देश टिक टॉक जैसी चीनी एप पर प्रतिबंध लगाते हैं तो ड्रैगन के हाथ से जासूसी का बड़ा हथियार छिन जाएगा। इससे पहले विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने कहा था कि भारत ने चीनी एप को प्रतिबंधित करके एक बड़ा कदम उठाया है। अमेरिका भी इस पर विचार कर रहा है और इसको लेकर रिपोर्ट तैयार की जा रही है। बता दें कि भारत ने पिछले महीने टिक टॉक और यूसी ब्राउजर सहित 59 चीनी एप पर यह कहते हुए प्रतिबंध लगा दिया था कि इससे देश की संप्रभुता को खतरा है।
फॉक्स न्यूज रेडियो को दिए साक्षात्कार में ओब्रायन ने कहा कि ट्रंप प्रशासन टिक टॉक, वीचैट और चीन के दूसरे एप पर गंभीरता से नजर रख रहा है। टिक टॉक से जुड़े खतरों के संबंध में पूछे गए प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत पहले ही इन पर प्रतिबंध लगा चुका है। अगर अमेरिका भी ऐसा कर दे और फिर उसके बाद यूरोपीय देश भी कदम उठाएं तो इससे चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का एक जासूसी हथियार खत्म हो जाएगा। जो बच्चे टिक टॉक का प्रयोग कर रहे हैं, यह उनके लिए मजेदार हो सकता है, लेकिन यह उनकी पूरी पहचान ले रहा है। बच्चे इसकी जगह दूसरे सोशल मीडिया एप का उपयोग कर सकते हैं। उन्होंने दावा किया कि टिक टॉक अब प्रत्येक व्यक्ति का व्यक्तिगत डाटा ले रहा है। उसे पता है कि आपका दोस्त और पिता कौन है। आप कब कहां पर हैं। ये लोग आने वाले वक्त में इसका गलत इस्तेमाल कर सकते हैं। ये सभी सूचनाएं चीन स्थित सुपर कंप्यूटरों में सीधे जा रही हैं।
बायोमीट्रिक्स भी अपने पास सुरक्षित रख रहा चीन
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा कि चीन आपके बारे में सब कुछ पता लगा रहा है। आपका बायोमीट्रिक्स भी वह अपने पास सुरक्षित रख रहा है। एक आम आदमी को इस बारे में बहुत सावधान रहना चाहिए कि आप इस तरह की निजी जानकारी किसको देते हैं। ओब्रायन ने कहा कि या तो वे टिक टॉक और वीचैट के माध्यम से आपकी जानकारी जुटाएंगे नहीं तो वे इसे चोरी कर लेंगे। ट्रंप प्रशासन ने कहा कि वह सिर्फ टिक टॉक ही नहीं बल्कि वीचैट और चीन के दूसरे एप पर भी नजर रख रहा है, क्योंकि चीनी अमेरिका के व्यक्तिगत डेटा के सबसे बड़े उपभोक्ता हैं।