चीन के यातना कैंपों में 'कैद' दस लाख मुसलमान, आंख मूंदे क्यों बैठा है पाकिस्तान...?
चीन के शिनजियांग प्रांत में 10 लाख मुसलमानों को बंदी बनाकर कैद में रखा जा रहा है लेकिन पाकिस्तान ने आजतक इसका विरोध नहीं किया है।
वाशिंगटन डीसी, एएनआइ। चीन के शिनजियांग प्रांत में 10 लाख मुसलमानों को बंदी बनाकर कैद में रखा जा रहा है। इस बात को संयुक्त राष्ट्र(UN) ने स्वीकार किया है। चीन में उइगर और दूसरे मुसलमानों के खिलाफ ज्यादतियों से पूरी दुनिया वाकिफ है। लेकिन एक इस्लामिक देश के रूप में पाकिस्तान इसपर आंख मूंदे बैठा हुआ है। उसे ना इन मुसलमानों का दर्द दिखाया दे रहा है और ना उनकी तकलीफें।
चीन का अच्छा 'दोस्त' पाकिस्तान
चीन का अच्छा दोस्त, पाकिस्तान एक मुस्लिम देश है। पाकिस्तान ओआइसी(OIC)का एक मजबूत देश है। लेकिन इसके बावजूद वो चीन के शिनजियांग प्रांत में मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार पर कुछ नहीं बोल रहा है। ब्रूसेल्स में दक्षिण एशिया डेमोक्रैटिक फोरम(SADF)में रिसर्च डायरेक्टर डॉ. सीगफ्राइड ओ वुल्फ कहते हैं, ' मुझे इसके पीछे सबसे बड़ी वजह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा(CPEC) लगती है। दरअसल, अगर पाकिस्तान द्वारा उइगर मुसलमानों के खिलाफ अत्याचार की बात स्थानीय या अंतर्राष्ट्रीय तरीके से उठाई जाती है तो इसे चीन के खिलाफ एक कदम समझा जाएगा। इसका चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा(CPEC) पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।इसलिए पाकिस्तान डर की वजह से यह कदम नहीं उठाता है।
वो आगे कहते है, ' इसे ऐसे भी संदर्भ में भी देखा जाना चाहिए कि पाकिस्तान ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहता, जिससे उसके अपने देश में चीन के खिलाफ बगावती सुर मजबूत हों। ऐसे बगावती सुर दबी जबान में धीरे-धीरे पाकिस्तान में उठने भी लगे हैं। लिहाजा अगर ऐसा हुआ तो इससे सीपीईसी प्रोजेक्ट की सुरक्षा पर भी बड़ा खतरा आएगा।
चीन का गुलाम बन गया पाकिस्तान ?
वुल्फ कहते हैं, 'एक और वजह ये है कि पाकिस्तान, चीन की मजबूत सेना से हर मामले में कमतर है। इसको देखते हुए वो चीन से बगावत की बात सोच भी नहीं सकता। इसलिए भी पाकिस्तान, चीन में मुसलमानों के खिलाफ अत्याचार पर चुप्पी साधे हुए है। ऐसा करने से पाकिस्तान अपनी सेना को बचा सकता है और इससे चीन-पाकिस्तान रिश्तों पर भी कोई असर नहीं आएगा। पाकिस्तान उइगर मुसलमानों के खिलाफ अत्याचार पर चुप रहकर इससे बच सकता है।
बता दें, हाल ही में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद(UNHRH)के करीब 24 देशों ने चीन को एक पत्र लिखकर उइगरों के खिलाफ अत्याचार को रोकने को कहा है। चीन में नस्लीय और धार्मिक आधार पर मुसलमानों के मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर दुनियाभर में आवाजें उठती रही हैं। अमेरिका ने उइगर मुसलमानों के खिलाफ चीन में हो रही ज्यादती का हवाला देते हुए कहा है कि मौजूदा समय में चीन सर्वाधिक खराब मानवाधिकार रिकॉर्ड वाले दुनिया के देशों में से एक है।
अमेरिका ने जताया विरोध
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा है, 'यह हैरान करने वाली बात है कि दुनिया की 83 फीसदी आबादी उन देशों में रहती है, जहां न केवल धार्मिक आजादी खतरे में है, बल्कि लोगों को इस संबंध में उनके अधिकारों से पूरी तरह वंचित कर दिया जाता है।' चीन के शिनजियांग में नजरबंदी शिविरों में 10 लाख उइगर मुसलमानों के कैद होने का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, 'चीन हमारे समय में सबसे खराब मानवाधिकार रिकार्ड वाले देशों में से एक है। वाकई यह इस सदी पर एक धब्बा है।'
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के अमेरिका दौरे में भी उइगर मुसलमानों का मसला उठाया जाएगा। इमरान खान जब अमेरिकी के सचिव से मुलाकात करेंगे उस दौरान यह मुद्दा उठाया जा सकता है। इमरान खान 21 से 23 जुलाई तक अमेरिकी के दौरे पर है। इस दौरान वो 22 जुलाई को राष्ट्रपति ट्रंप से भी मुलाकात करेंगे।
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन में उइगर मुसलमानों के खिलाफ अत्याचार में पाकिस्तान का भी बराबर का हाथ है। चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों के खिलाफ ज्यादती की कई रिपोर्ट्स आई हैं। हाल ही में एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि वहां उइगर बच्चों को उनके परिवार से दूर रखा जा रहा है। इससे पहले ऐसी भी रिपोर्ट्स आईं, जिनमें कहा गया कि चीन में उइगर मुसलमानों को न तो अपने धार्मिक विश्वास के अनुरूप कपड़े पहनने और न ही नमाज अदा करने की अनुमति है। यहां तक कि उन्हें रमजान के महीनों में रोजा रखने की अनुमति भी नहीं दी गई। इसके अतिरिक्त शिनजियांग में कई मस्जिदों को ढाह दिए जाने की रिपोर्ट आई तो ऐसी भी खबरें भी आईं, जिनमें कहा गया कि उइगर मुसलमानों पर नजर रखने के लिए जगह-जगह सीसीटीवी भी लगाए गए हैं।