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इस सौरमंडल में छोटे तारे की पर‍िक्रमा कर रहा बड़ा ग्रह, चौंक गए खगोल वैज्ञानिक

आमतौर पर ऐसा कम देखने का मिलता है कि छोटा तारा किसी बड़े ग्रह का चक्‍कर लगाए लेकिन ऐसा हुआ है यह देख कर खगोल वैज्ञानिक भी चौंक गए हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 30 Sep 2019 07:40 PM (IST)Updated: Tue, 01 Oct 2019 08:27 AM (IST)
इस सौरमंडल में छोटे तारे की पर‍िक्रमा कर रहा बड़ा ग्रह, चौंक गए खगोल वैज्ञानिक
इस सौरमंडल में छोटे तारे की पर‍िक्रमा कर रहा बड़ा ग्रह, चौंक गए खगोल वैज्ञानिक

वाशिंगटन, रायटर्स। आमतौर पर ऐसा कम देखने का मिलता है कि छोटा तारा किसी बड़े ग्रह का चक्‍कर लगाए, लेकिन ऐसा हुआ है, यह देख कर खगोल वैज्ञानिक भी चौंक गए हैं। वैज्ञानिकों को पृथ्वी से करीब 30 प्रकाश वर्ष दूर एक और सौरमंडल मिला है, इसमें एक बृहस्पति जैसे बड़े ग्रह से छोटे तारे की परिक्रमा करते देखा जा सकता है, जिसे लाल बौना के रूप में जाना जाता है। माना जाता है कि इससे ग्रहों के बनने की परिभाषा बदल जाएगी।

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देखा जाता है कि ग्रह जिन तारों की परिक्रमा करते हैं वह सबसे बड़े ग्रह से भी काफी बड़े होते हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक इस नए सौरमंडल में तारे और ग्रहों के आकार में कोई ज्यादा अंतर नहीं दिख रहा है। इस सौर मंडल का सितारा जिसे जीजे (GJ) 3512 नाम दिया गया है। उसका आकार सौरमंडल के सूर्य के आकार का 12 प्रतिशत है, जबकि जो ग्रह इसकी परिक्रमा कर रहा है, उसका वजन सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति के आधे आकार का है।

वैज्ञानिकों को हैरत में डाला

इस शोध का नेतृत्व कैटेलोनिया के इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस स्टडीज के खगोल वैज्ञानिक  युआन कार्लोस मोराल्स कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस खोज ने हमें हैरत में डाल दिया है। कम वजन वाले तारे के पास छोटे ग्रह होते हैं जैसे कि पृथ्वी या फिर इससे भी छोटे वरुण जैसे ग्रह, लेकिन हमने बृहस्पति जैसा एक ग्रह देखा है जो अपने से छोटे ग्रह की परिक्रमा कर रहा है। दक्षिणी स्पेन में एक टेलीस्कोप का उपयोग करते हुए कारर्मेंस की टीम को एक वस्तु मिली है जो इस सिद्धांत को धता बताती है। एक ग्रह जो बृहस्पति के आधे द्रव्यमान का परिक्रमा करता है जिसे GJ 3512 कहा जाता है। 

कैसे होता ग्रहों का निर्माण

ग्रहों का जन्म उस तारे के आसपास की धूल और तारों के बीच की गैसों से होता है। ग्रहों के बनने का 'कोर एक्रेशन' सबसे प्रचलित मॉडल है, जिसके मुताबिक कोई भी पिंड पहले ठोस कणों से बनता है और फिर इस पिंड के गुरुत्वीय सिरे के आसपास की गैसों से वातावरण का निर्माण करता है। युआन मोराल्स का कहना है कि इस में युवा तारे के चारों और घूमता नया ग्रह उम्मीद से ज्यादा बड़ा और ठंडा हो सकता है। इसकी वजह से यह डिस्क ज्यादा अस्थिर हो जाता है और इसके घने इलाके गायब हो सकते हैं। इन पिंडों का इस तरह से विकास हो सकता है, जब तक कि ये खत्म ना हो जाएं और इनसे एक ग्रह ना बन जाए।

204 दिनों में पूरी होती है परिक्रमा

बृहस्पति जैसा ग्रह गैसों से बना है। यह सितारे के चारों ओर एक दीर्घवृत्ताकार पथ पर परिक्रमा कर रहा है जो 204 दिनों में चक्‍कर पूरी करता है। जीजे (GJ) 3512 एक लाल छुद्र ग्रह है जिनके सतह का तापमान थोड़ा कम होता है। यह सूर्य से बहुत छोटा है बल्कि इसके आकार की बड़े ग्रह से तुलना की जा सकती है। यह बृहस्पति से आकार में करीब 35 फीसदी बड़ा है।

कार्लोस मोराल्स ने बताया कि ये तारे कम ऊर्जा छोड़ते हैं इसलिए यह सूर्य की तुलना में हल्के होते हैं और इनके सतह का तापमान भी ठंडा होता है। यही वजह है कि इनका रंग लाल है। खगोल वैज्ञानिकों के पास इसका सुबूत हैं कि एक दूसरा ग्रह भी इस तारे की परिक्रमा कर रहा है, जबकि एक तीसरा ग्रह शायद सौरमंडल से पहले कभी बाहर जा चुका है। मोराल्स ने बताया कि इसकी पुष्टि बृहस्पति जैसे ग्रह के दीर्घ वृत्ताकार परिक्रमा पथ से होती है।

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