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एस्प्रिन से हो सकता है माइग्रेन का इलाज, हर सात में से एक व्यक्ति इस बीमारी का है शिकार

Aspirin can be used to treat migraine 4000 से ज्यादा मरीजों पर किए गए 13 क्लीनिकल ट्रायल से सामने आया है कि एस्प्रिन का इस्तेमाल माइग्रेन के इलाज में किया जा सकता है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 05 Dec 2019 08:55 AM (IST)Updated: Thu, 05 Dec 2019 10:53 AM (IST)
एस्प्रिन से हो सकता है माइग्रेन का इलाज, हर सात में से एक व्यक्ति इस बीमारी का है शिकार
एस्प्रिन से हो सकता है माइग्रेन का इलाज, हर सात में से एक व्यक्ति इस बीमारी का है शिकार

न्‍यूयॉर्क, पीटीआइ। Aspirin can be used to treat migraine एस्प्रिन जैसी सामान्य प्रयोग वाली दवा माइग्रेन के इलाज में कारगर हो सकती है। वैज्ञानिकों ने इस बारे में 4,000 से ज्यादा मरीजों पर 13 क्लीनिकल ट्रायल किए। उन्‍होंने अपने परीक्षणों में पाया कि एस्प्रिन का इस्तेमाल माइग्रेन के इलाज में किया जा सकता है। 

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वैज्ञानिकों ने बताया कि माइग्रेन दुनिया की तीसरी सबसे आम बीमारी है। हर सात में से एक व्यक्ति इसका शिकार है। डायबिटीज, मिर्गी और अस्थमा से ज्यादा लोग माइग्रेन से पीड़ित हैं। इस बीमारी में सिर का आधा हिस्सा दर्द करता है। पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण माइग्रेन के ज्यादातर मरीजों को इलाज नहीं मिल पाता है। 

वैज्ञानिकों ने अपने अध्‍ययन में पाया है कि एस्प्रिन की 900 से 1,300 मिलीग्राम की हाई डोज माइग्रेन के भयंकर दर्द से बचाने में मददगार हो सकती है। बार-बार माइग्रेन के दर्द के दौरे से बचने में रोजाना 81 से 325 मिलीग्राम तक की एस्प्रिन की डोज प्रभावी हो सकती है। वैज्ञानिकों ने एस्प्रिन को माइग्रेन के इलाज के लिए आसानी से उपलब्ध एवं सस्ता विकल्प माना है। 

इससे पहले अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, सैन फ्रांसिस्को के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध में पाया गया था कि एस्प्रिन जैसी सामान्य दवा कैंसर के मरीजों की उम्र बढ़ाने में भी मददगार हो सकती है। शोध के दौरान इन नॉन स्टेरॉइडल एंटी-इन्फ्लेमेटरी ड्रग्स (एनएसएआइडी) को सिर और गर्दन के कैंसर के कुछ मामलों में कारगर पाया गया। हालांकि, इस दवा का असर उन्हीं मरीजों में देखा गया जिनके कैंसर में विशेष जीन की मौजूदगी थी। 

वहीं हांगकांग की चाइनीज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की मानें तो नतीजों में पाया गया कि जिन रोगियों को रोजाना एस्प्रिन खाने की सलाह दी गई उनमें लिवर और ओसोफैगनल (ग्रासनली संबंधी) कैंसर के खतरे में 47 फीसद तक की कमी देखी गई। यही नहीं गैस्ट्रिक कैंसर के जोखिम में भी 38 फीसद, पैंक्रियाटिक कैंसर में 34 और कोलोन कैंसर के खतरे में 24 फीसद तक की उल्‍लेखनीय गिरावट देखी गई। 


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