दिल के रोगियों के जीवन का पूर्वानुमान बताएगा एआइ, उचित उपचार मुहैया कराने में मिलेगी मदद
अमेरिका के सैन डिएगो स्थित कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने विकसित किया खास टूल हृदय रोगियों को बेहतर उपचार मुहैया कराने में मिलेगी मदद।
लॉस एंजिलिस, प्रेट्र। वर्तमान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) के क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है। चिकित्सा क्षेत्र में भी यह टेक्नोलॉजी लाभकारी साबित हो रही है। इसी क्रम में वैज्ञानिकों को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। शोधकर्ताओं ने एक ऐसा एआइ टूल विकसित किया है, जिसकी मदद से हार्ट फेल के मरीजों की जीवन प्रत्याशा का पता लगाया जा सकता है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह टूल दिल के मरीजों के उपचार में बेहद मददगार साबित हो सकता है। इसके जरिये चिकित्सकों को यह तय करने में मदद मिल सकेगी कि मरीजों को किस प्रकार का उपचार मुहैया कराया जाए, जिससे उनके सुधार की संभावना बढ़ जाए।
अमेरिका के सैन डिएगो स्थित कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक, हार्ट फेल के रोगियों के मृत्यु की भविष्यवाणी करना महत्वपूर्ण होगा क्योंकि इसकी मदद से यह पता चल सकता है कि मरीज वर्तमान में किस स्थिति में है। उसमें मृत्यु का जोखिम कितना है। इन चीजों का पता चलने पर उसे बेहतर उपचार उपलब्ध कराया जा सकता है, जिससे उसके ठीक होने की दर बढ़ जाती है।
यूरोपियन जर्नल ऑफ हार्ट फेल्योर में प्रकाशित इस अध्ययन में बताया गया है कि शोधकर्ताओं ने यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया हेल्थ के करीब छह हजार दिल के मरीजों का इलेक्ट्रॉनिक डाटा एकत्र कर एक मशीन लर्निंग एल्गोरिद्म तैयार की। इसके जरिये शोधकर्ताओं ने एक जोखिम स्कोर विकसित किया, जो हार्ट फेल के मरीजों में मृत्यु के खतरे को बता सकता है।
यानी मरीज में मृत्यु का खतरा अधिक है या कम, यह इसकी मदद से पता चल सकता है। इसमें हृदय की शिथिलता के दौरान रक्तचाप, श्वेत रक्त कोशिकाओं की मात्रा, हीमोग्लोबिन, प्लेटलेट्स और रक्त में यूरिया और नाइट्रोजन, अमीनो एसिड के टूटने से एक रासायनिक अपशिष्ट उत्पाद जो यूरिन के माध्यम से उत्सर्जित होता है आदि वेरिएबल (चर) के रूप में मौजूद होते हैं। यानी हर मरीज में ये अलगअलग होते हैं, जिनके आधार पर जोखिम स्कोर की गणना की जा सकती है।
यह आया सामने
शोधकर्ताओं के मुताबिक, जब इन सब चीजों की मदद से विकसित एआइ टूल के जरिये उन्होंने दिल के मरीजों की जीवन प्रत्याशा का पता लगाया तो 88 फीसद मामलों में परिणाम सटीक साबित हुए। इस शोध के सह लेखक एरिक एडलर के मुताबिक, यह उपकरण हमें अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा। उदाहरण के लिए इससे यह पता चल सकेगा कि दिल के मरीज की अगले तीन महीनों या एक वर्ष में क्या स्थिति होगी और उसके हार्ट फेल की क्या आशंका होगी। इसके आधार पर ही उसे उचित उपचार मुहैया कराने में मदद मिल सकेगी।
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